- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- लखनऊ
- /
- एक जून से दो जून की...
एक जून से दो जून की रोटी किससे मांगेगा अनुदेशक और शिक्षा मित्र, सरकार से लगा रहे है गुहार
उत्तर प्रदेश में अनुदेशक और शिक्षा मित्र अब 1 जून से लेकर 15 जून तक बेरोजगार हो गया है। अब इन पंद्रह दिनों किससे आस लगाए कि इस महंगाई में उसको भोजन कौन देगा। सरकार से लगातार गुहार लगा रहा है अनुनय विनय कर रहा है। यूपी शिक्षा व्यवस्था में चार चाँद लगा रहा है। बीजेपी की सरकार बनाने में भी लगातार मदद कर रहा है। लेकिन अपनी मांग पर कोई निरुत्तर ही रहता है।
आज एक जून से अब दो जून यानी अब दोनों समय का भोजन किससे मागेगा और कौन देगा? जब महंगाई चरम सीमा पर हो और सरकार जहां हर साल बजट में बढ़ोत्तरी कर रही हो तब इनके वेतन के कुछ पैसे न देकर सरकार क्या बचत कर लेगी। बता दें कि सरकारी कार्यक्रम में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाकर जब सरकार को कुछ हासिल नहीं होता है तो इन दो लाख परिवारों को भूखा रखकर क्या सरकार को कुछ मिलेगा। जहां प्रधानमंत्री 80 करोड़ जनसंख्या को राशन देकर भूख से मरने से बचाते हो वहीं दो लाख परिवारों के भोजन की चिंता न पीएम को न सीएम को है।
मालूम हो कि जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिक्षा मित्रों को लेकर दो बार बड़ी घोषणा कर चुके है जिसे आज तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। तो सीएम योगी आदित्यनाथ सीएम बनने से पहले खूब शिक्षा मित्रों और अनुदेशक की मुखर बात करते थे। लेकिन जब सीएम के पद पर आए तो अब भूल चुके है। जबकि अनुदेशक को 17000 हजार देने की बात भी कही थी।
बात आज अनुदेशक शिक्षा मित्र संविदाकर्मी की नहीं एक सोशल बातचीत है कि जिन लोगों को सरकार की बीस वर्ष और दस वर्ष सेवा करते हो गए है उनको लेकर हमारी सरकार कितनी संवेदनशील है बात यह है। अगर जब हमारे द्वारा चुनी गई सरकार हमारे समाज के बीच के लोगों के प्रति संवेदनशील न रहे तो फिर हम किससे अपनी बात कहेंगे।
अनुदेशक और शिक्षा मित्र के भाग्य के दरवाजे कब खुलेंगे। इन दरवाजों पर दस्तक देतेदेते समाज का यह वर्ग अब थक गया है। परिवार में जिम्मेदारी बढ़ गई। बच्चे सवाल करते है हमें अच्छी शिक्षा के लिए कब भेजोगे। हमको न्याय कब दिलाओगे। बूढ़े मां बाप दवाई के लिए कभी नहीं बोलेते उसके बाद खुद भी बीमार होने पर सामने मौत का प्रतिरूप खड़ा दिखाई देता है। आपको बता दें कि हम इस पूरे घटना क्रम में शिक्षा मित्र अनुदेशक के साथ न समाज को न अधिकारी न जनप्रतिनिधि को खड़ा देखते है जबकि आम जन मानस भी सवाल कर सकता है कि आखिर इनको न्याय न मिलने के पीछे कारण क्या है?