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उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के एक लाख से ज्यादा पद रिक्त विज्ञापन जारी करे सरकार- राकेश कुमार पांडेय
लखनऊ | उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक का सूखा कब खत्म होगा यह भविष्य के गर्भ में है लेकिन बढती बेरोजगारी खतरे का संकेत है।बेरोजगारों के सामने बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया है,क्योंकि शिक्षक पात्रता परीक्षा 5 वर्षों से लगातार हो रही है,लेकिन प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा एक बार भी आयोजित नहीं हुई है,जिससे बेरोजगारों के सामने नया संकट आ गया है।
कैरियर के चढाव में बेरोजगारी का दंश झेल रहे बेरोजगार युवाओं के पास नौकरी न होने से मानसिक रूप से प्रताड़ित हैं। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार जब 2017 में बनी थी उस समय कुल प्राथमिक विद्यालय की संख्या 113249 थी एवं उस समय प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त प्राथमिक शिक्षक 399273 थे, 2017 में उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के स्वीकृत पद 5.65 लाख थे। उस समय उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के 165727 पद खाली थे। 2017 से लेकर अब तक कम से कम लगभग 90000 प्राथमिक शिक्षक रिटायर हो चुके हैं, 2018 के बाद उत्तर प्रदेश में कोई प्राथमिक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं हुआ है, 137000 शिक्षामित्रों का जो सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद्द हुआ था यानी वह पहले अध्यापक थे, उन्ही पदों पर सरकार दो पार्ट में भर्ती को करवा पाई है।
प्रदेश में शिक्षकों का बहुत ही ज्यादा अभाव है। कई स्कूल उत्तर प्रदेश में ऐसे हैं जो शिक्षक विहीन हैं। रसोईया तक छात्रों को विद्यालय में पढ़ा रहीं हैं।प्राथमिक विद्यालयों में 1.91 करोड़ छात्रों ने एडमिशन लिया।
युवा बेरोजगार मंच के संस्थापक राकेश कुमार पाण्डेय उर्फ बंटी पाण्डेय नें आरटीआई के डाटा का हवाला देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के 173795 पद खाली हैं। टेट सीटेट पास अभ्यर्थियों की संख्या 15 लाख के ऊपर है जो शिक्षित होते हुए बेरोजगार हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी लगाया था कि 51112 पदों पर हम शिक्षा मित्रों को मौका देते हुए भर्ती करेंगे। लेकिन अभी तक नई प्राथमिक शिक्षक भर्ती नहीं आई। बंटी पाण्डेय ने सरकार को सन्देश देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार 51112 पद में कुछ और पद को जोड़कर विज्ञापन जल्द से जल्द जारी करे।