लखनऊ

अनुदेशक और शिक्षा मित्र का मानदेय हुआ रिलीज, 1103 का सिलेंडर और दो से तीन हजार का का खर्चा उसके बाद बचेगा क्या?

Shiv Kumar Mishra
1 March 2023 3:32 PM IST
अनुदेशक और शिक्षा मित्र का मानदेय हुआ रिलीज, 1103 का सिलेंडर और दो से तीन हजार का का खर्चा उसके बाद बचेगा क्या?
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अनुदेशक और शिक्षा मित्र कई किलोमीटर दूर तक पठन पाठन का काम करने जाते है। इस दौरान आए हुए किराये भाड़े या वाइक मे पेट्रोल के पैसे देने के बाद बचता क्या है।

अनुदेशक और शिक्षा मित्र का मानदेय महानिदेशक बेसिक शिक्षा विभाग विजय किरण आनंद ने होली के पर्व के चलते जल्दी से रिलीज कर दिया। सभी अनुदेशक और शिक्षा मित्र उनकी इस कार्यवाही से खुश और संतुष्ट नजर या रहे है। लेकिन इस अल्प वेतन में दीपावली मनेगी कैसे क्योंकि जनवरी के 15 दिन का वेतन तो पहले खा पीकर नहीं आवागमन में हजम कर चुका है। अब दो माह में ये वेतन सिर्फ ऊंट के मुंह में जीरा का काम करेगा।

महंगाई के इस दौर में जब चीजों की कीमतें अपने मूल भाव के तीन से चार गुणी महंगी हो गई हो और अनुदेशक और शिक्षा मित्र को अल्प वेतन मिलता हो तो कैसे काम करेगा और कैसे उसका परिवार होली का पर्व मनाएगा ये गंभीर और यक्ष प्रश्न सबके सामने यानि 1 लाख 75 हजार परिवार के सामने उत्तर प्रदेश में खड़ा हुआ है। इस पर कोई भी बात नहीं कर रहा है। यूपी में विधानसभा चल रही है कई बार चर्चा हुई लेकिन कोई नतीजा अब तक नहीं निकला है। बेसिक शिक्षा मंत्री अनुदेशक और शिक्षा मित्र को अपना अध्यापक मानते है लेकिन वेतन विसंगति दूर करने का कोई प्रयास नहीं करते है।

मंगलवार को योगी की पाठशाला नंबर 1 प्रोग्राम में एक अनुदेशिका में एक बड़ा गंभीर जबाब दिया और उससे अनुदेशक और शिक्षा मित्र की जब तुलना की तो सभी दर्शक और कार्यक्रम में शामिल लोग सोच में पद गए। उन्होंने कहा कि शरीर में अंग है जो दो है क्या अलग अलग है या कोई अलग काम करते है या कोई उनका अलग मतलब है नहीं तो शिक्षा विभाग मं पढ़ाने वाले टीचर में अंतर क्यों? कुछ तो समानता करिए।

अब बात वेतन की हो रही थी जब 9000 हजार और दस हजार में से अगर एक सिलेंडर खरीद लिया जाए और महीने भर का किराया और पेट्रोल के पैसे अलग किए जाएँ तो अधिकतर के पास सिर्फ 5000 हजार रुपये बचेंगे। हमारे हिंदू धर्म की मान्यता है कि होली और दिवपाली के पर्व पर बच्चों को नए कपड़े दिलवाए जाएँ। तो क्या ये दिलवा पाएंगे क्योंकि बचे हुए 5000 हजार में कोई माई का लाल पूरा महिना खर्च कैसे चलाता है ये तो वहीं जान सकता है इस हिसाब में जो लोग जीवन यापन करते है वहीं समझ सकते है अन्यथा किसी के बस में नहीं है खर्च चलाना।

बता दें कि इस सब समस्या के बाद भी अनुदेशक और शिक्षा मित्र सुबह एक नई ऊर्जा के साथ स्कूल के लिए निकल लेता है। ठीक उसी तरह तू चल में आता हूँ चुपड़ी रोटी एक दिन भी नहीं खाता हूँ। लेकिन पानी ठंडा पीता हूँ पूरी ड्यूटी करता हूँ शाम को जब घर जाता हूँ मंन की जरूरत की रोज हत्या करता हूँ लेकिन फिर नई ऊर्जा के साथ फिर सुबह उसी काम पर आता हूँ। शिक्षा मित्र अनुदेशक सरकार से अपने जीवन यापन के लिए एक अच्छे वेतन की मांग करता है अपने नियमितीकरण की मांग करता है अपने आए कोर्ट आदेश को लागू करने की मांग करता है।

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Shiv Kumar Mishra

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