लखनऊ

'सवर्ण कोटे' मे सवर्णो का नाम ही नही है, मोदी की कुटिल चाल है जानिए इसके ये बड़ी बातें - अमरेश मिश्र

Special Coverage News
9 Jan 2019 3:15 PM GMT
सवर्ण कोटे मे सवर्णो का नाम ही नही है, मोदी की कुटिल चाल है जानिए इसके ये बड़ी बातें - अमरेश मिश्र
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देश में केंद्र सरकार ने सवर्ण आरक्षण को लेकर पीएम मोदी ने दस प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही है। इसको लेकर कल लोकसभा में कल पास हो गया और आज राज्यसभा में बिल पास होने की उम्मीद है।

1. सबसे पहले, इसे 'सवर्ण कोटा' कहना भ्रामक है। सरकार ने प्रस्ताव, सिर्फ प्रस्ताव, पास किया है, जिसके अनुसार 49% से अतिरिक्त, 10% आरक्षण 'अर्थिक रूप से कमज़ोर' तबकों को दिया जाये।

2. गौर तलब यह है कि संविधान मे कहीं भी, 'अर्थिक रूप से कमज़ोर' तबकों को आरक्षण देने का प्रावधान है ही नही। संविधान मे साफ-साफ लिखा है कि 'समाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों', को आरक्षण दिया जाये। संविधान मे न जात का उल्लेख है, न तबकों का न आर्थिक आधार का। उसमे सामाजिक, शैक्षिक पिछड़े वर्गों (classes) का उल्लेख है। 1947 के बाद की सरकारों ने 'सामाजिक, शैक्षिक पिछड़े वर्गों' को दलित और पिछड़ी 'जातियों' के रूप मे चीन्हित किया।

3. तो मौजूदा सरकार की 'अर्थिक रूप से कमज़ोर' तबकों की व्याख्या, न इधर है न उधर। न संविधान सम्मत है, न ही कोर्ट के निर्णयों के आधार पर। न उसमे कहा गया की सवर्ण 'अर्थिक रूप से कमज़ोर' हैं। और न यह की सवर्ण भी अब 'शैक्षिक और समाजिक पिछड़े' हो गये हैं। इसलिये कोई भ्रम न पाले। पता नही ये प्रस्ताव कोर्ट मे टिक पायेगा, या संसद मे पारित हो पायेगा। अगर सरकार amendment लाती है--तो किस बात का लायेगी? यह की सवर्ण पिछड़े हो गये हैं? या ये की सवर्ण कमज़ोर हो गये हैं? या ये कि 49% जातिगत आरक्षण के ऊपर, 10% कमज़ोर तबकों को आरक्षण दिया जाये? आखरी पॉइन्ट सरकारी प्रस्ताव के करीब है। पर इसमे सवर्णों के लिये क्या है? क्योंकि सवर्णों का नाम भी नही है!

4. इसके तहत उन तबकों को 10% आरक्षण देने की बात है जिनकी वार्षिक आय 8 लाख से कम है, 5 एकड़ से कम कृषि भूमि है, 1000 वर्ग फुट से कम का घर है।

5. लेकिन सवर्णों की बेरोज़गारी सम्पत्ति से जुडी हुई नहीं है। संपत्ति सम्बन्धी शर्तों के कारण अधिकांश सवर्ण इसके लाभ से वंचित रह जाएंगें।

6. शिक्षित सवर्णों में बेरोज़गारी खासकर उस वर्ग में सबसे ज्यादा है जिनकी आय 8 लाख वार्षिक से ज्यादा है, 5 एकड़ से ज्यादा कृषि-भूमि है, या 1000 वर्ग फीट से ज़्यादा का मकान है।

7. सवर्णों में संपत्ति और आय ज्यादा बंटी हुई रहती है। 'अधिक जायदाद वाले' सवर्ण अमीर हैं, ये बात पुरानी हो चली। सवर्णो मे गरीब, मध्य और अमीर वर्ग उत्पन्न हो गये हैं। कई पांच एकड़ से उपर के सवर्ण काश्तकार, 8 हज़ार महीने की गार्ड की नौकरी करते हैं। उनके बच्चे 10स्वी पास नही कर पाते।

8. यह केवल एक सियासी पैंतरा है। आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों की भलाई का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

9. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की श्रेणी के अंतर्गत केवल सवर्ण ही नहीं कोई भी आ सकता है। फर्जी प्रमाणपत्र बनाए जा सकते हैं। यह वर्ग राशन सब्सिडी का लाभार्थी भी है। अत: इस श्रेणी को रोज़गार-आरक्षण की श्रेणी में लाना किसी मज़ाक से कम नहीं है।

10. सरकार के इस कदम से शिक्षित युवाओं में फैली बेरोज़गारी की समस्या सुलझने वाली नहीं है।

11. एससी/एसटी संशोधन एक्ट से गुस्साए सवर्णों का गुस्सा इससे शांत होने वाला नहीं है !

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