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- 'पुण्य से पारी का...
नरेन्द्र सिंह राणा
पिता तुल्य भाजपा के वरिष्ठम् नेताओं सर्वश्री लालकृष्ण आडवाणी व डॉ मुरली मनोहर जोशी जोशी के घर जाकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेने भारत के जनप्रिय यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी तथा भाजपा के कर्मठ व कुशल रणनीतिकार तथा भारतीय राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित भाई शाह दोनों नेताओं के पास पहुंचे। 23 मई को देश की जनता ने अपना भरपूर आशीर्वाद दोनों नेताओं को वोट के रूप में दिया। भारत का लोकतंत्र जीता। अब बारी उस उत्सव की थी जिसे हम भारतीयता कहते हैं यानि अपने बड़ों का आदर कर उनका उज्जवल भविष्य के लिए आशीर्वाद लेना। माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने 17 मई को चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद पार्टी द्वारा आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस भाग लिया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित भाई शाह व मोदी जी दोनों उत्साह से भरे लग रहे थे। 18 मई को प्रधानमंत्री जी ने पूज्य गुरुदेव भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद उत्तराखंड की देवभूमि स्थित बाबा केदारनाथ धाम जाकर लिया वही पवित्र गुफा में ध्यान भी किया। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित भाई शाह ने भी उसी दिन गुजरात के सोमनाथ मंदिर में परिवार सहित भोलेनाथ का पूजन किया। यह महज संयोग नहीं हो सकता दोनों आपस में अति घनिष्ठ संबंध रखने वाले शीर्ष नेता नई दिल्ली में आयोजित प्रेस के बाद सीधे भोले बाबा का आशीर्वाद लेने निकल पड़े। निश्चित रूप से बाबा का बुलावा रहा होगा वरना राजनीति की इस चकाचैंध के बीच इतनी व्यस्थतता के बाद भी ध्यान केवल बाबा भोलेनाथ के चरणों में ही लगा रहा। कहते हैं बाबा जिन्हें बुलाते हैं वहीं उनके पास जाते है। बहुत लोग मिल जाएंगे यह कहते हुए की हम तो मंदिर नहीं जाते वही मेरे जैसे आस्तिक कहते हैं कि भगवान तुम्हें बुलाते नहीं है इसलिए नहीं जाते हो। शास्त्र व बुजुर्ग भी मेरे देश में कहते हैं भगवान का दर्शन व बुजुर्गों का आशीर्वाद सदा लेना चाहिए उससे बड़े-बड़े संकट मिट जाते हैं।
प्रधानमंत्री जी व राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने उन लोगों के मुंह पर ताला जरूर लगा दिया जो कहते हुए थकते नहीं थे आडवाणी जी व जोशी जी का निरादर किया जा रहा है आदि-आदि पुरुष सभी होते है अपने कर्मो व सस्कारों से लोग महापुरूष कहलाते है। नर से नारायण बनने का भी मेरे भारत में इतिहास है, गौतम बुद्ध व महावीर, गुरुनानक देव, गोस्वामी तुलसीदास जी, कबीर, रैदास, रत्नागिरि आदि कर्म व संस्कारो के कारण देवतुल्य कहलाते हैं। आज भी परमपूज्नीय हैं तथा सदा रहेंगें। जोश जब जब होश के आशीर्वाद से आगे बढ़ेगा तो कमाल की जीत होती है, होती रही है होती थी लेकिन जब जोश बिना होश के आगे बढ़ता है परिणाम अच्छे नहीं होते है। वर्तमान राजनीति में मैं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का उदाहरण देखता हूं। मुलायम सिंह जो राजनीति में माहिर माने जाते है उनकी अनदेखी करना उनको कितना भारी पड़ा है यह उनके सामने है। पहले विधानसभा चुनाव में उनकी मर्जी के विरुद्ध कांग्रेस से समझौता करना तथा फिर लोकसभा में बसपा के साथ समर्पण मुद्रा में समझौता करना यह अधीरता किस काम आई उनके? उछल कूद से क्या हासिल कर पाए अब तो आगे भगवान मालिक। मोदी जी ने अपने संस्कारों के कारण ही भाजपा में अपने लिए अनुकूल वातावरण बनाया।
मुझे टीवी चैनल की वो झलक याद है आज भी मेरी आंखों के सामने चल रही है जब पार्टी नेतृत्व ने 2001 में उनको गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया। शपथ ग्रहण समारोह में सर्वप्रथम उन्होंने उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के मंच पर पैर छूकर आशीर्वाद लिया। बीच-बीच में केशुभाई पटेल के घर जाकर पैर छूकर उनका आशीर्वाद व मार्गदर्शन प्राप्त करते रहे। मोदी जी अपनी माताश्री हीराबेन का आशीर्वाद भी समय-समय पर गुजरात जा कर लेते रहते हैं। आशीर्वाद असंभव को संभव बना देता है।
मार्कंडेय ऋषि का उदाहरण हमारे शास्त्रों में वर्णित है। जब मारकण्डेय ऋषि का जन्म हुआ तो उनके पिता ने उनकी कुंडली पंडितों को दिखाई तब पंडितों ने कहा कि इनकी कुंडली में अल्पआयु योग है इनकी 16 वर्ष के बाद मृत्यु हो जाएगी। मारकंडे जी के पिता काफी चिंतित रहने लगे उन्होंने विद्वानों से उपाय पूछा तो सबने कहा मृत्यु अटल है इसको कौन बदल पाया है फिर भी कोई तो उपाय होगा तब सबने कहा कि यदि आपका बेटा अपने बडो का नित्य पैर छूकर आशीर्वाद ले तो उस आशीर्वाद के कारण इनकी आयु बढ़ सकती है। पिता ने तुरंत बेटे से कहा कि बेटा नित्य भोले बाबा के मंदिर जाओ और द्वार पर बैठ जाओ जो भी आयु में बडा निकले उनके पैर छूना और आशीर्वाद लेना। 16 वर्ष के बाद यमराज ने अपने दूतों से कहा जाओ उस बालक को ले आओ। दूत गए मार्कंडेय ने उनके भी पैर छुए उन्होंने ने भी उसको आयुष्मानःभव का आशीर्वाद दिया। दूत लौट आए यमराज ने पूछा बालक कहां है उन्होंने कहा हम नहीं ला सकते उसके पास आशीर्वाद का बल है। यमराज ने कहा ठीक है मैं ही जाता हूॅ देखता हूॅ उसमें कितना बल है। यमराज गए बालक ने उनका भी पैर छूने का प्रयास किया। यमराज पीछे हट गए बालक डर गया उसने भोले बाबा के शिवलिंग को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया जैसे ही यमराज ने उसके प्राण लेने की चेष्टा की बाबा भोलेनाथ प्रकट हो गए और यमराज को खबरदार करते हुए कहा की मेरे शरण में आए हुए को नुकसान पहुंचाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई। यमराज महाकाल बाबा से डर गया और कहने लगा प्रभु आपकी व्यवस्था का ही पालन कर रहा हूं। बाबा ने कहा ठीक से देखो इस बालक की कुंडली अब यमराज यह देखकर दंग रह गया कि भगवान भोलेनाथ व बुजुर्गों के आशीर्वाद के कारण इस बालक की आयु तो अमरता को प्राप्त हो चुकी है। उसने प्रभु से क्षमा मांगी और बाबा भोलेनाथ ने मार्कंडेय ऋषि को अजरता व अमरता का आशीर्वाद दिया। आज भी मार्कंडेय ऋषि जी अमर है।
एक और उदाहरण शिवाजी महाराज के गुरु समर्थ रामदास जी का है स्वामी रामदास जी का एक शिष्य था वह उनके साथ ही रहता था एक बार किसी स्थान पर रात्रि विश्राम के समय स्वामी जी जो अन्तरयामी थे उन्होंने शिष्य से कहा यह स्थान चांडालों का है जैसा मैं कहूं तुम वैसा ही करना। सुबह के समय शिष्य गुरू जी के लिए भिक्षा लेने निकला तब वहां चाण्डाल चैकड़ी ने उसका पीछा किया रूप बदलकर उसको एक महाचांडाल के पास भिक्षा के लिए भेज दिया। चण्डाल ने कहा आज रात को मैं तुम्हारे प्राण हर लूंगा। शिष्य दौड़े-दौड़े गुरुजी के पास आया पूरा हाल गुरु समर्थरामदास जी को बताया। गुरु जी कहने लगे चिंता मत करो आज रात को तुम मेरे चरण दबाते रहना बस कोई भी आवाज दे तुम्हें बुलाए तुम चरण सेवा छोड़कर मत जाना। शिष्य ने गुरू आज्ञा को शिरोधार्य कर गुरुचरणों की सेवा शुरूकर दी आधी रात को एक बुढ़िया के वेश में चांडाल आया और कहने लगा बेटा पानी पिला दो शिष्य ने गुरुचरणों की सेवा नहीं छोड़ी बार-बार बुढ़िया के कहने के बाद शिष्य चरण छोड़कर पानी देने नहीं गया। ब्रह्म मुहूर्त में चांडाल के प्राण पखेरू उड़ गए और शिष्य की सेवा से गुरु ने प्रसन्न होकर उसको आयुष्मानभव का आशीर्वाद दिया। यह तो एक दो बातें हैं हमारे शास्त्रों में आशीर्वाद की महिमा का वर्णनन अनंत है। कहने का अभिप्राय यह है कि यह काम हम सभी को सदा हृदय के साथ आदर के साथ करते रहना चाहिए। आशीर्वाद प्रत्यक्ष है इसके प्रमाण भरे पड़े हैं। अभागा ही है वो जो भारत भूमि में पैदा होकर भी इससे वंचित रह जाता है। डाॅ. हेडगेवार, गुरू गोलवरकर जी का ही आर्शीवाद आज भारत में भाजपा के उत्थान का कारण बना है। 1984 में 2, 1989 में 5, 1991 में 120, 1996 में 161, 1998 में 182, 2004 में 116, 2014 में 282 ओ 2019 में 303 सांसद जीते है।
लेखक नरेन्द्र सिंह राणा भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता है