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आईपीएस अमिताभ ठाकुर को सरकार ने थमाया सेवानिवृति का आदेश
आईपीएस अमिताभ ठाकुर को उत्तर प्रदेश सरकार ने आखिर घर भेज दिया. आईपीएस अमिताभ ठाकुर यूपी अखिलेश सरकार और योगी सरकार की आँख की किरकिरी बने हुए थे. पिछली अखिलेश सरकार में जहां उनका पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव से बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ था उसके बाद उनको सस्पेंड भी किया गया था.
बाद में उन्होंने कोर्ट की शरण ली और उन्हें सेवा में फिर से बहाल किया गया था. उसके बाद उनके दुर्दिन शुरू हो गए. फिर वो आज तक कभी लाइम लाईट अधिकारी नहीं बन पाए. अखिलेश सरकार के दौरान उन्होंने सोचा था कि आने वाली सरकार उनका प्रयोग जरुर करेगी. लेकिन आने वाली सरकार की आँख की भी किरकिरी बन गये. रोजाना पुलिस अधिकारीयों और उनके खिलाफ हुई वायरल वीडियो पर सरकार से सवाल करना पुलिस से पूंछना उनको भारी पड़ गया था.
उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित एवं जुझारू 1992 बैच के आईपीएस आईजी (रूल्स) अमिताभ ठाकुर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, कवि एवं लेखक भी हैं. उनका जन्म बोकारो (बिहार-झारखंड) में हुआ था. शुरुआती पढ़ाई बोकारो के केंद्रीय विद्यालय से पूरी करने के बाद अमिताभ ने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की.
अभी अभी उनको सरकार द्वारा जबरिया सेवानिवृत्त का नोटिस थमा दिया गया है. यह नोटिस भी उन्होंने खुद ही सार्वजनिक किया है. लेकिन क्या ईमानदार अधिकारी होना गुनाह है. अभी हाल ही में बीजेपी मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमवीर सिंह के हटाए जाने को बहुत जोर शोर से ले रही है तो उस दौरान बीजेपी की सरकार द्वारा एक सरकार से सवाल करने वाले अधिकारी को हटाया जाना कितना बढिया होगा ये सबसे बड़ा सवाल है.
फिलहाल आपको बता दें कि अमिताभ ठाकुर ने कहा है कि मुझे अभी-अभी VRS (लोकहित में सेवानिवृति) आदेश प्राप्त हुआ. सरकार को अब मेरी सेवाएँ नहीं चाहिये. जय हिन्द ! उन्हें शायद इस बात की भनक लग चुकी थी कि सरकार से सवाल करने का खामियाजा उन्हें भुगतना जरुर पड़ेगा. आज कार्यवाही हो गई है.
अमिताभ ठाकुर को इस सरकार ने प्रमोशन भी नहीं दिया था. जबकि उनके बैच के सभी साथी अधिकारी इस समय एडीजी बन चुके है जबकि अमिताभ ठाकुर आज भी आईजी की पोस्ट पर ही बने हुए है. अमिताभ ठाकुर का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर में हुआ. वे नेशनल आर.टी.आई फोरम के संस्थापक हैं. इनकी पत्नी डॉ नूतन ठाकुर एक जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता हैं.
फेसबुक पर 'आई हेट गाँधी' नामक एक फेसबुक ग्रुप में महात्मा गाँधी पर अभद्र टिप्पणी की जा रही थी, इन्होने इस बाबत फेसबुक के खिलाफ ऍफ़.आई आर दर्ज की थी और कुछ दिनों बाद फेसबुक से उस ग्रुप को प्रतिबंधित कर दिया गया. उनके इस कार्य का बहुत सराहना हुई.