लखनऊ

IPS अफसरों के साथ क्या सही में ही सौतेला व्यवहार किया जा रहा है ?

Special Coverage News
10 Feb 2019 4:43 AM GMT
आईपीएस जावीद अहमद और आईपीएस मो मुस्तफा
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आईपीएस जावीद अहमद और आईपीएस मो मुस्तफा
सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति के लिए तीस अफसरों की लिस्ट तैयार हुई उन तीस अफसरों में कई नाम ऐसे थे जिनको काम से जाना जाता है कभी उनके कार्य पर सवाल नही उठे उन अफसरों में शामिल है

लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ। देश की सबसे अच्छी सर्विसेज़ में से एक आईएएस /आईपीएस यानी इंडियन सर्विस व इंडियन पुलिस सर्विस दोनों सर्विसेज़ को बहुत उम्दा माना जाता है और इसमें कोई शक भी नही है अपने आप में गौरव की बात समझी जाती है अगर किसी के बच्चे या बच्ची का नाम इन दोनों सर्विसेज़ में आता है सभी सगे सम्बन्धी दोस्त आदि बच्चे बच्ची के घर वालों को मुबारकबाद देने जाते है और बड़े ही गौरवान्वित होते है इसमें गौरवान्वित होने की बात भी है लेकिन अगर सर्विस के दौरान उनके साथ सौतेला व्यवहार हो तो उसे क्या कहा जाएगा इतने ऊँचे पदों पर बैठने के बाद भी अगर लोग इतनी तंग हाली की सोच रखते है तो बड़ी शर्मिन्दगी होती है रोना आता है ऐसी सोच के बारे में सोचकर भी अभी हाल ही में दो घटनाएँ ऐसी घटी जिसके बाद मुझे ये कहने में क़तई गुरेज़ नही करना चाहिए कि ऐसी सोच के लोग बहुत ही घटिया क़िस्म के होते है सही मायने में ऐसी सोच के अफसरों या नेताओं को चिल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।


दिल्ली में सीनियर IPS सैय्यद जावीद अहमद और पंजाब में सीनियर IPS मौहम्मद मुस्तफ़ा के साथ सौतेला व्यवहार हुआ है इससे इंकार नही किया जा सकता है। देश की सर्वोच्च जाँच एजेंसी सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति का मामला था उसमें सबसे सीनियर आईपीएस अफसर यूपी जैसे बड़े राज्य के DGP रहे सैय्यद जावीद अहमद का नाम पहले पायदान पर था उनके पहले पायदान पर रहने के कई कारण थे पहला सीबीआई में काम करने का 13 साल का अनुभव जो सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति में पहले नंबर पर होता है दूसरा और सबसे बढ़िया जो आज के दौर के अफसरों में बहुत कम पायी जाती है इमानदारी सैय्यद जावीद अहमद का नाम उन गिने चुने अफसरों में लिया जाता है जो अपनी इमानदारी से पहचाने जाते है ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है कि भ्रष्टाचार के इस युग में ऐसे भी अफसर है जिनसे बेईमानों की पैंट गीली हो जाती है सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति के लिए तीस अफसरों की लिस्ट तैयार हुई उन तीस अफसरों में कई नाम ऐसे थे जिनको काम से जाना जाता है कभी उनके कार्य पर सवाल नही उठे उन अफसरों में शामिल है सैय्यद जावीद अहमद को केन्द्रीय नौकरशाहों ने पहले पायदान पर बैठाया था जिसके वो हक़दार भी थे सैय्यद जावीद अहमद सीबीआई में संयुक्त सचिव के पद पर रह चुके थे सैय्यद जावीद एक तेज़तर्रार अफसर माने जाते उनकी ख़ास बात यह रही कि वह जहाँ भी रहे बड़ी निष्ठा से कार्य किया और अपनी पहचान छोड गए लोग उन्हें इमानदार अफसर के नाम से जानते है।सीबीआई में संयुक्त सचिव रहते हुए बाबा रामदेव के शिष्य और पंतजलि योगपीठ के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण के पास्पोर्ट की जाँच करने की छूट सीबीआई के अधिकारियों को उन्होने ही दी थी सर्वोच्च जाँच एजेंसी की शाख़ को बढ़ाने के लिए उन्होने कई फ़ैसले लिए थे जिससे सरकारी तोते इमेज सही हुई थी यूपी के डीजीपी रहते भी उन्होने सहारनपुर के भाजपा सांसद राघव लखनपाल के खिलाफ FIR करने के आदेश SSP को दिये थे जिसके बाद योगी सरकार ने DGP पद से हटा दिया था लेकिन उन्होने इसकी परवा नही की थी हटूँ या रहू जो काम है उसे करूँगा इसके लिए जाने जाते है सैय्यद जावीद अहमद।


यही वजह है सीबीआई सर्वोच्च जाँच एजेंसी न रह कर सरकारी तोते के नाम से जानी जाती है उसकी वजह भी यही है कि अच्छे और योग्य अफसरो को नज़रअंदाज़ किया जाता है अगर सही अफसरों का चयन किया जाएगा तो अपने आप ही ग़लत लोग सही रास्ते पर चलने के लिए मजबूर हो जाएँगे।दूसरा मामला पंजाब कैडर के सीनियर आईपीएस मौहम्मद मुस्तफ़ा का सामने आ रहा है DGP ना बनाये जाने पर मुस्लिम IPS ने मोर्चा खोल दिया है जैसे अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके सैय्यद जावीद अहमद का एक वाट्सएप मेसज वायरल हुआ था,जिस में वह सीबीआइ निदेशक न बन पाने के बाद इशारे में कहा था कि मुस्लिम होने की वजह से मैं इस पद पर नहीं पहुँच पाया देखा जाए तो ग़लत भी नही था उनके साथ अन्याय हुआ है जिसे झूटलाया नही जा सकता है। अब ऐसे ही एक और मुस्लिम आईपीएस अधिकारी ने आरोप लगाया है कि उनके साथ सौतेला बर्ताव किया गया है।


मामला पंजाब का है,वहाँ के सीनियर IPS अफसर मौहम्मद मुस्तफ़ा ने कहा है कि मैं पुलिस प्रमुख बनने के लिए पूरी तरह से योग्य था,लेकिन मेरा नाम सूची से हटा दिया गया है।यह पद दूसरे को दे दिया गया है।उनका कहना है कि वह अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएँगे।मौहम्मद मुस्तफ़ा ने कहा है कि वह इस वक़्त सूबे में सबसे सीनियर हैं.इसके बाद भी उन्हें सूबे का डीजीपी नहीं बनाया गया है,वह कहते हैं कि उनकी नाराजगी पंजाब सरकार से नहीं और न ही कॉंग्रेस पार्टी से है।वह यूपीएससी से नाराज़ हैं,उन्होने यह भी कहा है कि हम जल्द ही महकमे के एक अधिकारी का सच लोगों के सामने लाएँगे,जिससे बड़ा खुलासा होगा।वहीं मौहम्मद मुस्तफ़ा ने यह भी कहा है कि मामला डीजीपी बनने का नहीं है,बल्कि यह मामला मेरी इज्ज़त से जुड़ा हुआ है और सीनियर होने के बाद भी मुझे डीजीपी नहीं बनाया गया है,इससे मेरे आत्म सम्मान को धक्का लगा है।


आप को बता दें कि कुछ दिन पहले दिनकर गुप्ता को पंजाब का डीजीपी बनाया गया है.उन्होने अपनी ज़िम्मेदारी सँभाल ली है,लेकिन दिनकर गुप्ता के डीजीपी बनने के बाद सीनियर IPS अधिकारी मौहम्मद मुस्तफ़ा ने मोर्चा खोल दिया है,और उनका कहना है कि मैं सीनियर था,लेकिन मेरा हक़ मार कर दूसरे को डीजीपी बनाया गया है। उनका कहना है कि वह इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाएँगे। अपना आत्म सम्मान वापस लेंगे। अपने हक़ों की लडाई लड़नी भी चाहिए सही मायने में ग़लत तरीक़े से की गई नियुक्ति अपने नीजि हितो को साधने के लिए होती है जिसका देश को बहुत नुक़सान उठाना पड़ता है इससे इंकार नही किया जा सकता है।

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