- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- लखनऊ
- /
- फ़र्ज़ी डिग्री मामले...
फ़र्ज़ी डिग्री मामले में हाई कोर्ट से नोटिस होने के बाद केशव मौर्या को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए- शाहनवाज़ आलम
लखनऊ, 27 नवम्बर 2023। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या की डिग्री फ़र्ज़ी होने पर दायर याचिका पर उन्हें नोटिस भेजे जाने पर अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने उनसे इस्तीफे की मांग की है।
कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि चूंकि आरोपी रसूखदार व्यक्ति है और उप मुख्यमंत्री होने के कारण जाँच को प्रभावित कर सकता है इसलिए उसके पद पर बने रहते सही से विवेचना नहीं हो सकती। इसलिए योगी सरकार को चाहिए कि जाँच पूरी होने तक केशव प्रसाद मौर्या को पद से हटा दें।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि केशव प्रसाद मौर्य ने चुनाव आयोग को अपनी शैक्षिक योग्यता में हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा जारी प्रथम, द्वितीया आदि की डिग्री लगाई है। जोकि प्रदेश सरकार या किसी बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है। इन्हीं डिग्रियों के आधार पर उन्होंने इंडियन ऑयल कारपोरेशन से पेट्रोल पंप भी प्राप्त किया है। इस अपराध में दोषी सिद्ध होने पर उन्हें तीन साल तक की सज़ा हो सकती। यानी केशव प्रसाद मौर्या का राजनीतिक करियर इस मुकदमे के फैसले पर टिका है। इसलिए आरोपी किसी भी हद तक जा सकता है। इसीलिए न्याय हित में उन्हें पद से हटाया जाना ज़रूरी है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह भी संज्ञान में रखा जाना चाहिए आरोपी केशव प्रसाद मौर्या पर 22 सितंबर 2008 को कौशांबी के मोहब्बतपुर पइंसा थाने में थाना प्रभारी चंद्रशेखर प्रसाद द्वारा दर्ज किए गए मुकदमें में दुर्गा पूजा का फ़र्जी पैड छपवाकर अवैध वसूली करने का आरोप लगाया गया था। जिसमें मौर्य पर 420, 467 और 468 धारा के तहत मुकदमा कायम हुआ था।
इस मुकदमें में उन्हें न्यायिक प्रक्रिया में निर्दोष पाए जाने पर क्लीन चिट नहीं मिली है बल्कि 2020 में योगी जी ने जनहित बताकर मुकदमा ही वापस ले लिया था। यानी आरोपी केशव प्रसाद मौर्या एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं जो अपने ऊपर दर्ज मुकदमों को जनहित के नाम पर भी हटवाने की क्षमता रखते हैं।