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- घर में आग लगने से लखनऊ...
जब उनके घर में फर्नीचर और पर्दों में आग पकड़ने से धुआं भरने लगा तो खुद को परिवार समेत कमरे में बंद कर लिया। सीढ़ी की तरफ आग की लपटें होने से परिवार के साथ नीचे नहीं उतर पाए। इसके चलते कमरे में भरे धुएं से पत्नी और बेटा बेहोश हो गए और पूर्व IG की मौत हो गई।
पत्नी को आया होश, बेटे की हालत अभी भी चिंताजनक
इंदिरा नगर सेक्टर-18 के रहने वाले पूर्व IG डीसी पांडेय (71) की दम घुटने से मौत हुई थी। इसकी पुष्टि पोस्टमॉर्टम में हुई। वहीं, उनकी पत्नी अरुणा और बेटा शशांक ICU में भर्ती हैं। अरुणा को रविवार देर शाम को होश आ गया और उनकी हालत में सुधार है, जबकि बेटे शशांक की हालत गंभीर बनी हुई है। घटना की जानकारी के बाद रिश्तेदारों का आना-जाना शुरू हो गया।
बड़े बेटे ने किया अंतिम संस्कार, दीपावली में आना था उसको घर
रविवार शाम डीसी पांडेय का बैकुंठ धाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उन्हें बड़े बेटे प्रशांत ने मुखाग्नि दी। पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे मुंबई में वकालत कर रहे बेटे प्रशांत ने बताया कि दीपावली पर घर आना था। वह रविवार शाम को लखनऊ के लिए निकलते इससे पहले ही शनिवार रात पापा की मौत की सूचना आ गई। कहा कि यकीन ही नहीं हो रहा कि परिवार पीछे वाले कमरे में था और ड्राइंग रूम में आग लगने से उनकी मौत हो गई। दिल्ली में रहने वाली बेटी मल्लिका पांडेय का भी पिता की असमय मौत से रो-रो कर बुरा हाल था।
हड़बड़ाहट में कमरे की खिड़की भी नहीं खोल पाए
इंस्पेक्टर गाजीपुर मनोज कुमार मिश्र ने बताया कि घर के चारों ओर से धुआं निकल रहा था। दरवाजा तोड़कर अन्दर गए तो ड्राइंग रूम में रखा सामान लगभग पूरी तरह जल चुका था। पीछे वाले कमरे का दरवाजा तोड़ा गया तो कमरे में पूर्व IG डीसी पांडेय, पत्नी अरुणा और बेटा शशांक बेहोश पड़े थे।
जांच में सामने आया कि इन लोगों ने सीढ़ी की तरफ आग फैलने पर खुद को कमरे में बचने के लिए बंद कर लिया। कमरे में धुआं आने पर खिड़की भी बंद कर ली। इससे धुएं से तीनों बेहोश हो गए। ये लोग इतने घबराए थे कि दम घुटने की स्थित में कमरे की खिड़कियां भी खोल नहीं सके।
हालांकि एक खिड़की थोड़ी खुली थी। वहीं पीछे की ओर बालकनी में जाने के रास्ते में लगे चैनल पर ताला खोल कर बाहर आने पर भी जान बच सकती थी। लेकिन, चाबी ड्राइंग रूम में होने से यह नहीं कर सकेंगे होंगे।
आग लगने से ड्राइंग रूम का सारा सामान जलकर राख हो गया।
IG हेडक्वार्टर के पद से हुए थे रिटायर
डीसी पांडेय 1977 बैच के पीपीएस अधिकारी थे। वर्ष 1987 में वह IPS पद पर पदोन्नत हुए थे। वर्ष 2009 में आईजी हेडक्वार्टर के पद से रिटायर हुए थे। वह राजभवन के मुख्य सुरक्षा अधिकारी रहने के साथ रामपुर, पीलीभीत, सिद्धार्थनगर व मुजफ्फरनगर आदि जिलों में एसपी रह चुके थे।
दो बार दे चुके थे मौत को मात
रुढ़की से आए भाई सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त इंजीनियर अवधेश चन्द्र पांडेय ने बताया कि भैया दिनेश चन्द्र दो बार मौत को मात दे चुके थे, लेकिन इस बार वह हार गए। वर्ष 1975 में वह इलाहाबाद ट्रेन से पीसीएस का इंटरव्यू देने जा रहे थे। ट्रेन फतेहपुर से इलाहाबाद की ओर आगे बढ़ी थी, तभी ट्रेन में अचानक आग लग गई थी। आग इतनी भयावह थी कि चपेट में आकर तीस लोगों से अधिक की जान चली गई थी। वहीं भैया हादसे में बाल-बाल बच गए थे।
इसके बाद 41 वीं बटालियन गाजियाबाद में कमांडेंट पीएससी के पद पर तैनाती के दौरान ओखला बैराज में पीएससी द्वारा खरीदी गई बोट का ट्रायल चल रहा था। ट्रायल के दौरान अचानक नाव डूब गई। हादसे में पांच सिपाहियों की मौत हो गई थी। भैया की किसी तरह जान बच गई थी, लेकिन इस बार सब खत्म हो गया।
आग की वजह जानने के लिफ फोरेंसिक जांच
पूर्व IG के घर पर रविवार सुबह फायर विभाग की टीम के साथ गाजीपुर पुलिस की एक टीम ने भी फोरेंसिक एक्सपर्ट्स के साथ मौके की जांच पड़ताल की। FSO इंदिरानगर के मुताबिक, घर में आग कैसे लगी इसकी इसकी जांच के लिए पूरे घर की वायरिंग और इलेक्ट्रॉनिक सामान की भी जांच हुई। AC से शॉर्ट सर्किट के बिंदु से लेकर अन्य किसी बिजली प्वाइंट के शॉर्ट होने के बिंदु की भी जांच की जा रही है।
रंगमंच के थे जाने माने चेहरे, कानपुर में पिछले दिनों हुआ था सम्मान
अपनी शायरी और खुश मिजाजी के लिए पहचाने जाने जाने वाले डीसी पांडेय नजर कानपुरी के नाम से भी जाने जाते थे। उनका जन्म 17 नवंबर 1948 को कानपुर में हुआ था। उन्होंने VSSD कॉलेज में पढ़ाई की। जहां पिछले दिनों महाविद्यालय के शताब्दी समारोह में RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत की उपस्थिति में सम्मान किया गया था। कॉलेज में शिक्षिका रहीं उनकी बहन सुधारानी पांडेय आजकल लोक सेवा आयोग की सदस्य हैं।
कानपुर में पिछले दिनों हुआ था पूर्व आईजी का सम्मान।
इन सम्मान से नवाजे जा चुके हैं पूर्व IG
जुगनू अवॉर्ड, कलाश्री अवॉर्ड, उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी अवॉर्ड, सेतु अवॉर्ड वाराणसी, काशी रत्न अवॉर्ड, नजीर अवॉर्ड, मौलाना मोहम्मद अली जौहर अवॉर्ड, सर अल्लामा इकबाल अवार्ड, उर्दू अदब अवॉर्ड, सरस्वती सम्मान, फिराक गोरखपुरी अवॉर्ड और वीएसएसडी कॉलेज सम्मान।
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