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राजनीतिक विश्लेषक प्रो रविकांत पर जानलेवा हमला, 60 से ज्यादा बुद्धिजीवियों ने की निन्दा
लखनऊ : सामाजिक चिंतक और टीवी पैनलिस्ट प्रोफेसर रविकांत चंदन पर जानलेवा हमला हुआ है। लखनऊ यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर प्रो. रविकांत ने लिखित शिकायत दी है कि एबीवीपी के छात्रों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी और उनके साथ गाली-गलौच और बदतमीजी की। हमलावरों में कॉलेज से बाहर के लोग भी शामिल थे जिन्होंने 'गद्दारों को गोली मारो' जैसे नारे लगाए।
घटना के विरोध में 60 से ज्यादा पत्रकार, लेखक और बुद्धिजीवियों ने एक खुला पत्र लिखकर अपना विरोध जताया है। राजनीतिक विश्लेषक प्रो रविकांत चंदन ने कहा है कि वे दलित समुदाय से आते हैं और उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है। सत्य हिन्दी वेब पोर्टल पर सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञान वापी मस्जिद विवाद पर हुई डिबेट में प्रो. रविकांत ने सीता रमैया की किताब का जिक्र किया था। उसी के हवाले से उनकी बाइट को मनमाने ढंग से काटकर प्रचारित किया गया और उन पर हिन्दू विरोधी होने के आरोप लगाए गये।
प्रोफेसर रविकांत ने कहा, " सोमवार की शाम सत्य हिंदी पर आशुतोष जी के साथ एक डिबेट में था और काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जो विवाद चल रहा है उस पर बातचीत थी। उसी के क्रम में, वहाँ कैसे मंदिर टूटा है और कैसे मस्जिद बनाई गई है, इसी के संदर्भ में पटाभी सितारमैया ने जो किताब फेदर्स एंड स्टोन्स में जिस कहानी को लिखा है, उसी का ज़िक्र मैंने उस डिबेट में किया था।"
प्रो. रविकांत चंदन ने कहा है कि एक शिक्षक का काम पढ़ने-पढ़ाने का माहौल बनाना होता है, जिज्ञासाओं को बढ़ाना होता है और वे यही काम करते रहे हैं। मगर, कुछ लोग खास राजनीतिक दल से प्रभावित होकर इस प्रक्रिया को बाधित करने में जुटे हैं। ऐसे लोग कैम्पस का माहौल खराब कर रहे हैं और शिक्षक को अपना काम करने नहीं दे रहे हैं।
प्रो रविकांत ने कहा है कि समाज में व्याप्त गैर बराबरी और अन्याय के खिलाफ शिक्षक बोल नहीं सके, इसके लिए उन पर हमले कराए जा रहे हैं। लखनऊ के हसनगंज में एफआईआर दर्ज कराने का अनुरोध करते हुए प्रो. रविकांत ने जान से मारने की धमकी देने, जान मारने के लिए उकसाने और अपमानजक जातिगत टिप्पणी करने की शिकायत की है। अपनी और अपने परिवार की जानमाल की हिफाज के लिए भी पुलिस से आग्रह किया है।