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लखनऊ के PGI में होगा रोबोट से किडनी ट्रांसप्लांट, जाने कितना आयेंगा खर्च

लखनऊ के PGI में होगा रोबोट से किडनी ट्रांसप्लांट, जाने कितना आयेंगा खर्च
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निदेशक डॉ. आरके धीमन बताते हैं कि रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट टीम में चार विभागों की टीम गठित की गई है। इसमें यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अनीश श्रीवास्तव, नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद के निर्देशन में पैथोलॉजी और एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टर प्रशिक्षण ले चुके हैं।

लखनऊ। प्रदेश में रोबोटिक सर्जरी की मदद से ट्रांसप्लांट को अंजान देने वाला राजधानी का एसजीपीजीआई पहला संस्थान बनेगा। इसी महीने रोबोट से किडनी ट्रांसप्लांट शुरू होगा। सामान्य ट्रांसप्लांट की तुलना में रोबोटिक ट्रांसप्लांट ज्यादा सटीक और सुरक्षित है। इसमें जोखिम कम है और चीरा भी छोटा लगता है।

पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन बताते हैं कि संस्थान प्रशासन ने ऑपरेशन थियेटर से लेकर अन्य सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। ट्रांसप्लांट टीम में शामिल डॉक्टर तैयार हैं। ट्रांसप्लांट वाले मरीज और डोनर की स्क्रीनिंग और जांच चल रही है।

निदेशक डॉ. आरके धीमन बताते हैं कि रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट टीम में चार विभागों की टीम गठित की गई है। इसमें यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अनीश श्रीवास्तव, नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद के निर्देशन में पैथोलॉजी और एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टर प्रशिक्षण ले चुके हैं।

नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद बताते हैं कि रोबोट से ट्रांसप्लांट में जोखिम बहुत कम है। जबकि रोबोट से सिर्फ एक से डेढ़ सेमी. का चीरा लगता है। इससे सटीक और सुरक्षित ट्रांसप्लांट सम्भव है। डॉ. नारायण बताते हैं कि किडनी ट्रांसप्लांट में चार से छह घण्टे लगता है। चूंकि पहली बार रोबोटिक ट्रांसप्लांट हो रहा है तो उससे कुछ ज्यादा ही समय लग सकता है।

डॉ. नारायण प्रसाद बताते हैं कि मौजूदा समय में जांच व ट्रांसप्लांट में तीन लाख रुपये का खर्च आता है, जबकि रोबोट से ट्रांसप्लांट में चार लाख रुपये का खर्च आएगा। वहीं निजी संस्थानों में 20 लाख रुपये तक खर्च हो जाता है।

एनस्थिसिया विभाग के डॉ। संदीप साहू ने बताया कि रोबोटिक ट्रांसप्लांट को लेकर ट्रेनिंग हो चुकी है। संस्थान में फिलहाल 150 रोबोटिक सर्जरी पूरी तरह से फ्री है। ऐसे में सर्जरी का कोई खर्च नहीं होगा। संस्थान में रोबोटिक की मदद से यूरोलॉजी, गेस्ट्रोलॉजी और इंडोक्राइन विभाग में अबतक 200 से अधिक सर्जरी हो चुकी हैं। यूरोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। अनीश श्रीवास्तव ने बताया कि विभाग द्वारा पहली रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट की तैयारी चल रही है।



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