लखनऊ

बाबा साहब की पूण्यतिथि पर बाबरी विध्वंस करके संविधान व लोकतंत्र कलंकित किया, ताकि उस दिन को काला दिवस मनाया जाय -मायावती

Special Coverage News
6 Dec 2018 6:52 AM GMT
बाबा साहब की पूण्यतिथि पर बाबरी विध्वंस करके संविधान व लोकतंत्र कलंकित किया, ताकि उस दिन को काला दिवस मनाया जाय -मायावती
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लखनऊ: बसपा सुप्रीमों मायावती के नेतृत्व में पूरे देश ने भारतरत्न परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को उनके अनुयायियों ने आज उनकी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि व श्रद्धा-सुमन अर्पित की तथा उनके सपनों का तथा संविधान की सही व सच्ची मंशा पर आधारित जातिविहीन मानवतावादी भारत राष्ट्र बनाने के लिए वोटों के माध्यम से सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने के दृढ़संकल्प को भी दोहराया क्योंकि उन्हें मालूम है कि देश में सर्वसमाज का हित बी.एस.पी. की ''सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय'' कीे नीति व सिद्धान्त में ही निहित है और जिसका विरोधी पार्टियों ख़ासकर बीजेपी व कांग्रेस पार्टी की सरकारों में हमेशा घोर अभाव रहा है जिसके कारण ही आज़ादी के लगभग 71 वर्षों बाद भी करोड़ों गरीबों, मज़दूरों, किसानों, दलितों, पिछड़ों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों तथा अपरकास्ट के ग़रीबों का जीवन पूरी तरह से मजबूर, लाचार, गुलाम व हर प्रकार से त्रस्त है, लेकिन अब इस अभिशाप को वोटों के माध्यम से बदलने की जरूरत हर तरफ महसूस की जा रही है।

बसपा प्रमुख मायावती के निर्देंशानुसार बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की पुण्यतिथि के अवसर पर पूरे देश भर में पार्टी द्वारा विभिन्न स्तरों पर कार्यक्रम आयोजित करके लोगों ने अपने मसीहा को भरपूर याद किया व उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किया। मूवमेन्ट की ख़ास कर्मभूमि उत्तर प्रदेश में, जहोँ उसने सर्वसमाज के सहयोग से चार बार जनहित की अति-उत्तम व बेहतरीन सरकार चलाकर दिखाई है, सभी 18 मण्डलों में इस अवसर पर संगोष्ठी व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जबकि लखनऊ मण्डल में बी.एस.पी. के कार्यकर्ताओं व अनुयाइयों ने राजधानी में गोमती तट पर बी.एस.पी. सरकार द्वारा निर्मित ऐतिहासिक महत्त्व के भव्य व विशाल ''डा. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल'' के मध्य में स्थित गुम्बदाकार के ''डा. अम्बेडकर स्मारक'' में भारी संख्या में पहुँचकर वहाँ डा. अम्बेडकर की लिंकन-मुद्रा में स्थापित प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि आदि करके उन्हें अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित किये और उनके कारवाँ को आगे बढ़ाते रहने का पुनः संकल्प लिया।

इस सन्दर्भ में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जो खासकर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं दक्षिणी भारतीय राज्य तेलंगाना में हो रहे विधानसभा आमचुनाव के चुनावी अभिायान कीं जबर्दस्त व्यस्थता के कारण उन राज्यों के अनुरोध पर ही इनदिनों दिल्ली में ही हैं, ने आज सुबह 3 त्यागराज मार्ग स्थित अपने निवास पर बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की चित्र पर माल्यार्पण करके श्रद्धा-सुमन अर्पित किया। इस अवसर पर पार्टी के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारीगण भी मौजूद थे।

इस अवसर पर अपने संक्षिप्त सम्बोधन में मायावती ने कहा कि वैसे तो यह वास्तविकता देश व दुनिया के समाने है कि कांग्रेस पार्टी ने केन्द्र व विभिन्न राज्यों में अपने लम्बे शासनकाल के दौरान सर्वसमाज के गरीबों, मजदूरों, किसानों व अन्य मेहनतकश आमजनता के साथ-साथ करोड़ों दलितों, पिछड़ों व मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को कभी भी ईमानदारीपूर्वक उनको आत्म-सम्मान व स्वाभिमान से जीवन व्यतीत करने का संवैधानिक अधिकार नहीं दिया और केवल कागजी कार्रवाई आदि करके इन वर्गों के असली राजनीतिक, शैक्षणिक व आर्थिक हितों पर कुठाराघात करती रही और इनके शिक्षा व नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था को भी लगभग निष्प्रभावी बनाया, जिसका ही परिणाम है कि अथक मेहनत व संघर्षों के बावजूद इन वर्गों के करोड़ों लोगों की दशा आज भी हर प्रकार से काफी ज्यादा दयनीय बनी हुई है तथा ये लोग हर प्रकार की जातिवादी जुल्म-ज्यादती आदि के शिकार हैं।

लेकिन बीजेपी की वर्तमान केन्द्र सरकार अपने पूरे शासनकाल में इन वर्गों की घोर उपेक्षा के साथ-साथ बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के संविधान को ही हर प्रकार से फेल करने के षडयंत्र में ही लगी रही और इस क्रम में केन्द्र सरकार ने हर संवैधानिक व स्वायत्तशासी संस्थाओं का, जो कि इन वर्गों के संघर्ष को ताकत व लोकतंत्र को शक्ति प्रदान करते हैं, घोर दुरूपयोग करने का प्रयास किया। परन्तु अच्छी बात यह रही है कि देश की लोकतंत्र की असली प्रहरी यहाँ की गरीब परन्तु जागरूक आमजनता, किसान वर्ग व अन्य समस्त मेहनतकश लोग समय-समय पर इस सरकार को करारा जवाब देते रहे हैं, जिससे इस सरकार को अबतक सचेत हो जाना चाहिये था परन्तु फिर भी बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें अपनी संकीर्ण जातिवादी व साम्प्रदायिक नीतियों व खासकर अपनी गरीब, मजदूर व किसान-विरोधी नीतियों व रवैयों पर अडियल रवैया अपनाकर अपने अहंकारी होने का ही परिचय दिया है, जिसका कड़ा ख़ामियाज़ा उन्हें आगे भी भुगतने के लिये तैयार रहना चाहिये, ऐसी आम धारणा देश भर में देखने को मिल रही है।

इतना ही नहीं बल्कि ख़ासकर अभूतपूर्व संकट झेल रहे खेत, खेती व किसानों के मामलों में तो इस सरकार की नीति व रणनीति भी ऐसी ग़लत व अनुपयोगी रही है कि देश के लगभग सभी राज्यों में किसान वर्ग के लोग काफी ज्यादा आक्रोशित व आन्दोलित हैं। केन्द्र की बीजेपी सरकार ने जब-जब किसानों को बड़े-बड़े लुभावने वायदों में बहकाने का प्रयास करती है, तब-तब किसानों काफी दुःख झेलकर भी अपनी तन, मन की पूरी शक्ति के साथ सरकार की गलत नीति व रवैये के विरोध करने के लिये देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों तक पर मार्च करके अपना जबर्दस्त विरोध व आक्रोश प्रकट करते हैं।

इसके अलावा, केन्द्र सरकार किसानों को फसल बीमा आदि के नाम पर बड़े-बड़े दावे करके वरग़लाने का प्रयास करती रहती है जबकि किसान समाज का दुखड़ा यह है कि सरकारी ख़जाने का अरबों रुपया केन्द्र सरकार मुफ्त में ही प्रीमियम चुकाने के नाम पर निजी क्षेत्र की बीमा कम्पनियों की झोली में डालती चली जा रही है, जो धन्नासेठों का खुला समर्थन व किसानों के साथ क्रूर मज़ाक व सरासर अन्याय नहीे तो और क्या है।

दुःख की बात यह है भी कि देश के किसान अपनी दुख, तकलीफ व बदहाल जिन्दगी के उचित व तत्काल समाधान की माँग कर रहे हैं ताकि उन्हें आत्महत्या के लिये और ज्यादा मजबूर ना होना पडे़, तो बीजेपी सरकार व उनके मंत्रीगण डंका पीटती हंै कि सन् 2021 तक किसानों की आमदनी दोगुणी कर दी जायेगी। लेकिन किसान पिछले साढ़े चार साल से सही ''मोदी राग'' सुनता चला आ रहा है और सन् 2021 तक वह कैसे सही सलामत ज़िन्दा रहेगा इसकी चिन्ता यह सरकार अभी तक भी नहीं कर पायी है, जबकि अब लोकसभा का आमचुनाव काफी नजदीक है अर्थात इस किसान-विरोधी सरकार के जाने का समय आ गया है।

अपनी इसी प्रकार की घोर वादाखिलाफी व विफलताओं पर से लोगों का ध्यान एक बार फिर बांटकर अपनी राजनीतिक रोटी संेकने के लिये ही बीजेपी व आर.एस.एस. एण्ड कम्पनी के लोगों ने अब सभी कामधाम छोड़कर राम मन्दिर अभियान में लग गये हैं। देश के सवासौ करोड़ लोग नरेन्द्र मोदी सरकार से महंगाई कम करने की माँग कर रहे हैं, नोटबन्दी की आर्थिक इमरजेन्सी से प्रभावित करोड़ों मजदूर वापस अपना कामधंधा व उचित मजदूरी माँग रहा है, किसान जानलेवा कर्ज के बोझ से मुक्ति के लिये जूझ रहा है, महिलायें सुरक्षा व सम्मान के लिये बेचैन हैं तथा करोड़ों बेरोजगार कालेधन की वापसी व रोजगार नहीं मिलने से आहत हैं, परन्तु बीजेपी व आर.एस.एस. एण्ड कम्पनी के लोग अपनी डफली बजा रहे हैं कि ''मन्दिर ज़रूर बनायेंगे'' अर्थात सरकार जनहित, जनकल्याण व देश निर्माण आदि की सारी संवैधानिक कर्तव्यों व जिम्मेदारियों से मुक्त होकर मन्दिर निर्माण के कार्य मंे कम से कम अगले चुनाव तक जरूर लगी रहने पर कटिबद्ध लग रही है तथा इनका अबतक भ्रमित करने वाला ही साबित होने वाला बहु-प्रचारित ''विकास'' का मुद्दा पूरी तरह से गौण हो गया लगता है। यह सब देश की मेहनतकश आमजनता ख्ुाली आँखों से देख रही है।

इतना ही नहीं बल्कि वोटों व चुनावी स्वार्थ की राजनीति में बीजेपी के वरिष्ठ नेतागण इतना गिर गये हैं कि अब वे हिन्दू देवी-देवताओं व आस्थाओं को भी नहीं बख्श रहे है। इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ''लार्ड हनुमान के दलित समाज'' से होने सम्बंधी बयान देशभर में खासकर चर्चा का विषय बना हुआ है और यह माँग भी उठ रही है कि इस आधार पर देश के सभी हनुमान मन्दिरों को दलित पुजारियों के हवाले कर दिया जाये तो बेहतर होगा। इन लोगों ने जाति के आाधर पर पहले लोगों को बांटा और अब देवी-देवताओं को भी जाति में बांटने का फरमान जारी कर रहे हैं। ऐसे लोगों से देश व देश की आमजनता को बहुत ही सजग व सतर्क रहने की जरूरत है।

इसके साथ ही यहाँ यह बात भी उल्लेखनीय है कि दिनाँक 6 दिसम्बर संविधान निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की पुण्यतिथि है, जिससे देशभर में सर्वसमाज में से खासकर उनके करोड़ों अनुयायी लोग व उनकी एकमात्र सच्ची अनुयायी पार्टी बी.एस.पी. का गहरा लगाव है तथा इस दिन सभी वे लोग काफी श्रद्धापूर्वक जुडे़ हुये हैं, लेकिन अपनी संकीर्ण घृणा व विघटनकारी नीति व राजनीति के कारण इसी दिन सन् 1992 को अयोध्या में बाबरी विध्वंस करके संविधान व लोकतंत्र को कलंकित करने का काम किया गया और जिसको इस देश के सर्वसमाज के लोगों के साथ-साथ ख़ासकर दलित, पिछडे़ व अन्य मेहनतकश समाज के लोग कभी ना भूल सकते हैं और ना ही इसके लिये कभी माफ कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि बहन कु. मायावती जी के नेतृत्व में अबतक उत्तर प्रदेश में चार बार बनी बी.एस.पी. की सरकार में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए तथा उनके आदर-सम्मान में जनहित की अनेकों महत्त्वपूर्ण योजनाएं और कार्यक्रम भी संचालित किये गये, जिन्हें जातिवादी द्वेष आदि के कारण प्रभावित करने का काम लगातार किया जा रहा है।

बी.एस.पी. सरकार द्वारा बाबा साहेब के सम्मान में आगरा विश्वविद्यालय का नामकरण बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर किया गया। इसी विश्वविद्यालय में बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के नाम पर अम्बेडकर पीठ की भी स्थापना की गयी। डा. अम्बेडकर के नाम पर अनुसूचित जाति/जनजाति कोचिंग सेन्टर की स्थापना अलीगढ़ और आगरा में की गयी। फै़ज़ाबाद मण्डल के अन्तर्गत अम्बेडकरनगर के नाम से नये ज़िले का गठन किया गया। वाराणसी में बाबा साहेब के नाम पर स्टेडियम का नामकरण तथा रामपुर में संग्रहालय व पुस्तकालय आदि की स्थापना की गयी। इसके अलावा, जनपद बांदा में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर मेडिकल कालेज, नोएडा तथा गे्रटर नोएडा में डा. भीमराव अम्बेडकर मल्टी सुपर स्पेशियल्टी अस्पताल स्थापित कराये गये।

इसके अलावा कानपुर में डाॅ. अम्बेडकर इन्स्टीट्यूट आॅफ टेक्नाॅलाॅजी फार हैण्डीकैप्ड तथा जनपद आज़मगढ़ में डा. अम्बेडकर भवन का निर्माण कराया गया। मैनपुरी तथा क़न्नौज जिले में डा. भीमराव अम्बेडकर राजकीय महाविद्यालय की स्थापना की गयी। इसी प्रकार, लखनऊ में डा. भीमराव अम्बेडकर अन्तर्राष्ट्रीय खेल स्टेडियम तथा गे्रटर नोएडा में 500 सीटों वाले डा. अम्बेडकर अनुसूचित जाति/जनजाति छात्रावास का निर्माण कराया गया। आगरा एवं गौतम बुद्ध नगर में डा. अम्बेडकर पार्क स्थापित किया गया। लखनऊ में डा. अम्बेडकर पर्यावरण म्यूज़ियम तथा डाॅ. अम्बेडकर पर्यावरण परिसर का निर्माण कराया गया। बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में अम्बेडकर पीठ की स्थापना तथा प्रशासनिक भवन संकुल का निर्माण कराया गया है।

बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के उद्देश्य से ही बी.एस.पी. सरकार द्वारा लखनऊ में गोमती नदी के तट पर विश्व-स्तरीय ''डा. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल'' स्थापित किया गया है, जिसके अन्र्तगत डा. भीमराव अम्बेडकर विहार, डा. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन गैलरी, डा. भीमराव अम्बेडकर स्मारक दृश्य स्थल, डा. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन प्रतिबिम्ब स्थल तथा सामाजिक परिवर्तन संग्रहालय स्थापित है। इसके साथ ही, डा. भीमराव अम्बेडकर गोमती पार्क का निर्माण और इस पार्क में डा. अम्बेडकर की प्रतिमा भी स्थापित की गयी। लखनऊ में ही डा. भीमराव अम्बेडकर गोमती विहार खण्ड-1, खण्ड-2, खण्ड-3 एवं डाॅ. भीमराव अम्बेडकर गोमती विहार खण्ड-4, डा. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल हेतु नवीनीकृत गोमती ब्रिज, डा. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल हेतु ओवर ब्रिज का निर्माण कराया गया। डाॅ. भीमराव अम्बेडकर गोमती विहार खण्ड-1 में बाबा साहेब की चहुंमुखी प्रतिमा की स्थापना की गयी है।

बी.एस.पी. सरकार द्वारा डा. भीमराव अम्बेडकर लघु उद्यमी प्रादेशिक पुरस्कार योजना, डा. अम्बेडकर निःशुल्क बोरिंग योजना तथा डा. अम्बेडकर कृषि ऊर्जा सुधार योजना भी संचालित की गयी। लखनऊ में देश के सबसे बड़े सभागारों में एक डा. भीमराव अम्बेडकर सभागार का निर्माण तथा सभागार परिसर में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा स्थापित की गयी है। साथ ही, दिल्ली के नज़दीक नोएडा में भव्य ''राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल'' स्थापित करके इसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के साथ-साथ देश में तिरस्कृत रखे गये दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों में जन्मे अनेकों और भी महान सन्तों, गुरुओं व महापुरुषों को भी पूरा-पूरा आदर-सम्मान दिया गया। इन सबके बावजूद बाबा साहेब डा. अम्बेडकर जैसी महान विभूति द्वारा समाज व देश निर्माण के जर्बदस्त ऐतिहासिक कार्यों को देखते हुये ये सब कुछ कार्य मामूली भेंट ही मानी जायेगी, जिसे भी विरोधी लोग आसानी से पचा नहीं पा रहे हैं जो अति दुःख की बात है।

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