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तो इस बड़ी वजह से करेंगी मायावती अधिकारिक लोकसभा उम्मीदवारों की घोषणा 15 मार्च को
लखनऊ: बसपा सुप्रीमों मायावती ने आज उत्तर प्रदेश में स्टेट व मण्डल स्तर के वरिष्ठ पदाधिकारियों व पार्टी के जिम्मेदार लोगों की अहम बैठक में लोकसभा आमचुनाव के लिये पार्टी प्रत्याशियों के साथ-साथ अन्य जरूरी राजनीतिक व चुनावी मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श करने के बाद उन्हें अन्तिम रूप दे दिया, जिस पर गठबंधन की समाजवादी पार्टी से शीर्ष स्तर पर विमर्श करके आगे गति प्रदान की जायेगी।
इस बैठक में मायावती ने ख़ासकर दिनाँक 3 मार्च की बैठक में निर्देशित किये गये लक्ष्यों/कार्यों को कल तक पूरा किये जाने के सम्बंध में फीडबैक लिया तथा प्रगति रिपोर्ट पर काफी संतोष व्यक्त किया। चुनावी तैयारियों के समबंध में प्राप्त फीडबैक के अनुसार बी.एस.पी. व सपा नेतृत्व की अपील का काफी अच्छा प्रभाव प्रदेश की आमजनता पर है तथा गठबंधन की तीनों पार्टियों के समर्थक व कार्यकर्ता आपसी गिले-शिकवे व मनमुटाव आदि को भुलाकर काफी जी-जान के साथ अहंकारी व जातिवादी बीजेपी को पराजित के लिये काम कर रहे हैं, जिसमें सर्वसमाज का हर स्तर पर व्यापक सहयोग व समर्थन मिल रहा है।
इस बैठक में बी.एस.पी. प्रमुख ने निर्देशित किया कि हर चुनाव की तरह इस बार भी चुनाव आचार संहिता का पूरा सम्मान करते हुये उसका किसी भी प्रकार से उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिये और इस क्रम में आगामी 15 मार्च को बामसेफ, डी.एस.4 व बी.एस.पी. के जन्मदाता व संस्थापक मान्यवर कांशीराम के जन्मदिन के साथ-साथ बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की 14 अप्रैल को होने वाली जयंती बड़ी शालीनता व सादगी के साथ घर पर ही मनाये जाने की आवश्यकता है और उस दिन कोई ऐसा काम नहीं कना है जिससे चुनाव आचार संहिता का कोई उल्लंघन हो।
बल्कि इसके स्थान पर पूरे तन, मन, धन के साथ काम करके बी.एस.पी. व सपा एवं आर.एल.डी. गठबंधन के उम्मीदवारों को भारी मतों से जिताना है ताकि उन दोनों महापुरूषों के सपने को देश में सच्चे तरीके से साकार करने में मदद मिल सके। उनका सपना था कि शेषितांे-पीडि़तों व उपेक्षितों को सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त हो ताकि सदियों से जाति के आधार पर सताये गये लोग वोट के माध्यम से अपना उद्धार स्वयं करने की शक्ति प्राप्त कर सकें।
सुश्री मायावती जी ने इस अवसर पर फिर एक बार लोगों को सावधान किया कि सत्ताधारी बीजेपी केवल जातिवादी, साम्प्रदायिक व गरीब, मजदूर व किसान विरोधी पार्टी ही नहीं है बल्कि साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों आदि का इस्तेमाल करके चुनाव जीतने में विश्वास रखती है, जिसका अनुभव आज पूरा देश कर रहा है तथा उनसे त्रस्त जनता इस निरंकुश सरकार से मुक्ति पाने को अतुर लगती है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड व मध्य प्रेदश राज्यांे में बसपा-सपा काफी बेहतर व विश्वसनीय विकल्प बनकर आगे बढ़ रहा है तथा अच्छा रिजल्ट आने की पूरी-पूरी संभावना है। इसके साथ ही ई.वी.एम. पर खास ध्यान रखने की भी जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले मंगलवार को उत्तर प्रदेश को छोड़कर अखिल भारतीय बैठक में मायावती ने विभिन्न राज्यों के सभी प्रमुख व जिम्मेदार लोगों से अलग-अलग और फिर एक साथ बैठक करके देश स्तर पर सभी चुनावी तैयारियों को अन्तिम रूप दिया था।
आज की बैठक में मायावती ने कहा कि देशभर में तथा खासकर उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हालत काफी ख़राब है तथा केन्द्र की सत्ता जाने का डर बीजेपी नेतृत्व को काफी सताने लगा है जो उनकी बेचैनी से भी साफ जाहिर है। इनकी सरकार के पिछले पाँच वर्षों की करनी घोर गरीब, मजदूर व किसान-विरोधी के साथ-साथ बेरोजगारी व बेरोजगारों के प्रति उदासीन रही है। इसके अलावा इनकी सोच खासकर दलितों, पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों की धुर विरोधी रही है जिस संकीर्ण सोच के कारण ही समाज का हर वर्ग दुःखी व पीडि़त महसूस कर रहा है।
बीजेपी की वर्तमान केन्द्र सरकार वास्तव में झूठे वायदों व वादाखिलाफी की सरताज निकली। इन्होंने हर प्रकार से केवल अपने ही अच्छे दिन लानेे के प्रयास किये जबकि देश की 130 करोड़ आमजनता जबर्दस्त महंगाई, गरीबी, बढ़ती बेरोजगारी आदि की मार से बुरी तरह से जुझती रही है। उसकी अपनी मेहनत से उसके परिवार में जो भी थोडे-बहुत अच्छे दिन थे उसे भी नोटबन्दी व जीएसटी आदि के कारण बेरोजगारी की आफत ने काफी बुरे दिन में बदल दिये गये जो लोगों की नजर में शोषण व अन्याय से कम नहीं है। ऐसी सरकार को जनता का अब दूर से ही राम-राम कह रही है।