लखनऊ

लोकसभा संग्राम 77– यूपी में गठबंधन से घबराई मोदी की भाजपा काटेगी अपने तीस सांसदों का टिकट ? ये है नाम

Special Coverage News
2 March 2019 3:29 PM IST
लोकसभा संग्राम 77– यूपी में गठबंधन से घबराई मोदी की भाजपा काटेगी अपने तीस सांसदों का टिकट ? ये है नाम
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आज कल एक शेर भी ख़ूब सियासी गलियारों में ओर जनता में गुनगुनाया जा रहा है कि सरहदों पर तनाव है क्या ज़रा पता तो करो चुनाव है क्या। चुनावी रंगों में सब रंग खिलते है।

लखनऊ से तौसीफ़ कुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ। जहाँ एक और सर्दी का मौसम जाते-जाते भी करवट बदल रहा है वही यूपी की चुनावी सियासत भी अपना रंग बदल रही है।सियासी दलों में टिकटों को लेकर घमासान मचा हुआ है और नेताओं में गठबंधन के टिकट को लेकर बड़ी खींचतान हो रही है क्योंकि गठबंधन का टिकट मिलना जीतने की ज़मानत माना और समझा जा रहा है इस लिए बसपा और सपा में टिकट लेने वालों की लम्बी लाईन है वही मोदी की भाजपा में तो बहुत उठापटक चल रही है वजह ये नही कि उसके टिकटों की ज़्यादा डिमांड है और ऐसा भी नही है कि वहाँ टिकट लेने वाले नही है और कांग्रेस भी त्रिकोणीय मुक़ाबला बनाने में लगी है प्रियंका गांधी अपनी रणनीति बना रही है।


असल में मोदी की भाजपा ने स्ट्रेटेजी बनाई है कि अपने ज़्यादा से ज़्यादा सांसदों के टिकट काटकर नए लोगों को टिकट दिए जाए जिससे सरकारों और सांसदों के जनता में हो रहे विरोध को कुछ कम किया जा सके सरकारों के विरोध को तो कम नही किया जा सकता है लेकिन सांसदों का जो क्षेत्रों में काम न करने जनता से न मिलने आदि के विरोध को उनका टिकट काट कर कम किया जा सकता है।हमारे उच्चपदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोदी की भाजपा के स्वयंभू चाणक्य समझे जाने वाले पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी में अपने सबसे क़रीबी जेपी नड्डा को यूपी के चुनाव का संचालन सौंपा है और जेपी नड्डा की रिपोर्ट पर ही अपने 71 सांसदों में से 30 सांसदों के टिकट काटने का फ़ैसला कर लिया है।


मोदी की भाजपा में जिनके टिकट कटने फ़ाइनल हुए है उनमें कुछ उम्रदराज़ नेताओं के नाम भी बताए जा रहे है जैसे कानपुर नगर से मुरली मनोहर जोशी , देवरिया से कलराज मिश्रा , झाँसी से उमा भारती के नाम शामिल है प्रयागराज (इलाहाबाद) से श्याम चरण गुप्ता संतकबीर नगर से शरद त्रिपाठी , बस्ती से हरीश द्विवेदी के टिकट पर कैंची चल चुकी है मछली शहर से राम चरित्र निषाद , बहराइच से सांसद सावित्री बाई फुले मोदी सरकार और योगी सरकार में दलितों पर बढ़ रहे अत्याचार और आरक्षण से छेड़छाड़ के मुद्दे पर मोदी की भाजपा से बग़ावत कर चुकी है इस लिए वहाँ तो नया नाम आना ही है सुल्तानपुर से वरूण गांधी पर भी टिकट कटने के बादल मँडरा रहे है क्योंकि उन पर भी आरोप है कि वह मोदी सरकार को घेरते रहते है ये बात सभी जानते है मतलब मोदी सरकार की ग़लत नीतियों का विरोध करते है इस लिए उनका टिकट कटना भी तय माना जा रहा है हालाँकि वरूण गांधी को लेकर पार्टी का एक गुट टिकट नही काटने पर अंडा है उनमें केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का नाम भी शामिल है इस मुद्दे पर राजनाथ सिंह ने वरूण से मुलाक़ात भी की थी जिसके बाद उनके कांग्रेस में जाने की अटकलों पर विराम लगा था नही तो सियासी गलियारों में ये बात पूरी तेज़ी से गश्त करने लगी थी कि वरूण गांधी बहुत जल्द कांग्रेस में शामिल हो सकते है।


सूत्रों का दावा है कि पश्चिमी यूपी के भी कई सांसदों के टिकटों पर जेपी नड्डा की कैंची चलाने को नामों पर विचार किया जा रहा है उनमें सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर, मेरठ आदि लोकसभा सीटों के नाम लिए जा रहे है अब देखना ये है कि यहाँ कितने सांसदों के टिकटों पर कैंची चला पाते है या ये सांसद अपना टिकट बचा पाने में सफल रहते है ये तो फ़ाइनल लिस्ट आने के बाद ही तय होगा।


दूसरी और ऐसे भी कुछ टिकट काटे जाएँगे जिन नेताओं को गठबंधन से टिकट न मिलने की वजह से कुछ नेता मोदी की भाजपा में शामिल हो सकते है उनमें बसपा और सपा दोनों ही दलों के नेताओं के नाम लिए जा रहे है पार्टी ऐसे आने वाले नेताओं को टिकट का आश्वासन दे चुकी है जिसकी वजह से कुछ वर्तमान सांसदों के टिकटों पर कैंची चलाने की तैयारी हो रही है।उधर कांग्रेस भी अपने पत्ते फेंटने में लगी है वहाँ भी पुराने और लड़ाकू नेताओं को तलाशा जा रहा है वह भी ऐसे नेताओं पर नज़र गढ़ाए है जो बसपा , सपा और मोदी की भाजपा से नाराज बताए जा रहे है उनको अपने पाले में लाकर चुनाव को त्रिकोणीय बनाने में जुटी है।


इस लिए कहाँ जा सकता है कि यूपी की सियासत हर दिन नया रंग ले रही है अब इस रंग बदले की परिक्रिया में कौन दल बाज़ी मारता है ये आगे कुछ दिनों में पता चलेगा। आज कल एक शेर भी ख़ूब सियासी गलियारों में ओर जनता में गुनगुनाया जा रहा है कि सरहदों पर तनाव है क्या ज़रा पता तो करो चुनाव है क्या। चुनावी रंगों में सब रंग खिलते है।

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