राष्ट्रीय

किसान आंदोलन से मोदी की भाजपा बैक फुट पर!

Nidhi Mishra Jyotishacharya
19 Feb 2021 8:43 AM IST
किसान आंदोलन से मोदी की भाजपा बैक फुट पर!
x
चुनावी मुहाने पर होने की वजह से पशोपेश में मोदी-योगी

राज्य मुख्यालय लखनऊ। देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश जैसे-जैसे चुनाव की ओर बढ़ रहा है वैसे-वैसे ही प्रदेश की सियासत गरम होती जा रही है।देखा जाए तो फ़िलहाल पश्चिम बंगाल व आसाम चुनावी मुहाने पर खड़े हैं लेकिन साथ ही देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी सियासी संग्राम हो रहा उससे अहसास हो रहा है कि उत्तर प्रदेश में भी सियासी दल चुनावी दंगल में उतरने का मन बना चुके हैं जिसके चलते मोदी-योगी सरकारें पशोपेश में हैं न उगलते बन रहा है न निगलते बन रहा है।

कृषि क़ानूनों को लेकर किसानों द्वारा पिछले 83 दिनों से किए जा रहे आंदोलन का असर शहर से लेकर गाँव तक देखने को मिल रहा है लेकिन मोदी की भाजपा व सरकार देशभर के किसानों में पनप रहे विरोध को भाँपने में नाकाम रही हैं उसी का नतीजा है कि आज मजबूर होकर मोदी की भाजपा में किसानों के बीच जाने की रणनीति बनाई जा रही हैं।किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री स्वं चौधरी चरण सिंह के पुत्र चौधरी अजित सिंह को मुज़फ़्फ़रनगर लोकसभा सीट से गठबंधन के प्रत्याशी तौर पर हरानेवाले मोदी की भाजपा के प्रत्याशी डाक्टर संजीव बालियान को लगाया जा रहा है कि वह किसानों के बीच जाकर सरकार की कृषि क़ानूनों को लाने की अपनी मनसा को समझाएँगे मोदी की भाजपा के रणनीतिकारों के पास कृषि क़ानूनों के पक्ष में ठोस जवाब नहीं है जिन क़ानूनों में बनते ही बदलाव करने पर विवश होना पड़ रहा है जब किसानों की हालत सुधारने की कोशिश के चलते तीनों कृषि क़ानून लाए गए हैं लेकिन न किसानों से बातचीत की और न विपक्ष के नेताओं से मशविरा किया जब इतना बड़ा बदलाव करने की तैयारी थी इन तीनों कृषि क़ानूनों को इतनी आनन फ़ानन में लाने की क्या ज़रूरत थी अध्यादेश के द्वारा क्यों लाए गए ? राज्यसभा में किस तरह पास किया गया यह भी देशभर ने देखा ?

पूरी दुनिया कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों को लेकर परेशान थी लॉकडाउन लगा था उसकी तैयारी के बजाय मोदी सरकार गुप-चुप तरीक़े से अपने पूँजीपति मित्रों को कृषि पर एकाधिकार देने की रणनीति पर काम कर रही थी और उन्हीं मित्रों के क़र्ज़ माफ़ कर रही थी विपक्ष चिल्ला रहा था कि पैदल चल रहे मज़दूरों को उनके घरों तक पहुँचाने की व्यवस्था की जाए लेकिन मोदी सरकार उनके प्रति गंभीर नहीं थी यह भी मोदी सरकार की नियत पर सवालिया निशान लगा रही है।

इतना ही नहीं पूँजीपतियों की सरकार एक तरफ़ कृषि क़ानूनों के ज़रिए किसानों को बँधवा मज़दूर बनाने की तैयारी कर रही थी वहीं उसके उद्योगपति मित्र इन क़ानूनों के ज़रिए खेती किसानी पर कैसे क़ब्ज़ा करना है देश के कई हिस्सों में बड़े-बड़े गोदामों को बनाया जा रहा था।किसानों द्वारा क़ानूनों के विरोध में की जा रही पंचायतों में उमड़ रही भीड़ को देखने से लगता है कि अब बहुत देर हो चुकी हैं ख़ैर यह तो अब आगे चलकर पता चलेगा कि मोदी की भाजपा व सरकार की रणनीति कामयाब होंगी या आंदोलनकारियों की रणनीति।

धार्मिक धुर्वीकरण कर सरकार बनाने वाली मोदी की भाजपा इस पूरे आंदोलन को लेकर इस ग़लतफ़हमी में रही कि जिस तरह CAA,NPR व संभावित NRC के विरोध को ठंडा करने में कामयाबी हासिल की थी उसी तरह कृषि क़ानूनों के विरोध को निपटा लेंगे लेकिन मोदी सरकार की यह भूल ही उसको भारी पड़ती दिख रही है क्योंकि उस आंदोलन को मोदी सरकार ने हिन्दू मुसलमान कर दिया था जबकि वह भी ग़लत तरीक़े से बनाए गए क़ानून का विरोध था लेकिन इस काम में मोदी सरकार माहिर हैं वह किसी भी अपने ग़लत क़दम का हिन्दू मुसलमान कर राष्ट्रवाद को हथियार बनाकर अपनी ग़लती को सही करार देने में कामयाब हो जाती हैं।ख़ैर प्रदेश अब चुनावी मोड़ में आ गया है प्रदेश में विपक्षी पार्टियाँ अब सक्रिय नज़र आ रही हैं हालाँकि कुछ पार्टियाँ अभी सोशल मीडिया पर ही सक्रिय देखी जा सकती हैं लेकिन उनका रूख कड़ा हैं कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल पंचायत दर पंचायत कर किसानों व जनता के बीच जा रही हैं इन दोनों ही पार्टियों की पंचायतों में भारी भीड़ जमा हो रही हैं।

इनकी सभाओं में आ रही भीड़ को तीनों कृषि क़ानूनों की ख़ामियों के साथ ही बढ़ती महंगाई को लेकर भी मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं जिसको पंचायतों में आ रही भीड़ हाथों हाथ ले रहीं हैं पैट्रोल डीज़ल व रसोई गैस की बढ़ती क़ीमतें महंगाई में आग लगा रही हैं इन सबसे बेफ़िक्र मोदी सरकार महंगाई को रोकने में नाकाम हो रही हैं यह मोदी की भाजपा के लिए ख़तरे की घंटी माना जा रहा है जिसको अब सत्तारूढ़ दल महसूस भीकरने लगीं है लेकिन मोदी की भाजपा के लिए यहाँ यह मजबूरी है कि वह इसे हिन्दू मुसलमान नहीं कर पा रही हैं यही वजह है इस पूरे आंदोलन में मोदी की भाजपा बैक फुट पर है और किसान फ़्रंट फुट पर नज़र आ रहा है।

Next Story