लखनऊ

मां-पापा सॉरी सही से नहीं कर सकी एमबीबीएस की पढ़ाई, बोलकर कर ली आत्महत्या, कमरे से मिला चार लाइन का सुसाइड नोट

Shiv Kumar Mishra
18 Feb 2023 1:18 PM GMT
मां-पापा सॉरी सही से नहीं कर सकी एमबीबीएस की पढ़ाई, बोलकर कर ली आत्महत्या,  कमरे से मिला चार लाइन का सुसाइड नोट
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लखनऊ में सरोजनीनगर के टीएस मिश्रा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में शुक्रवार सुबह एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा मृणाल सिंह (23) ने 9वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी। पुलिस टीम ने मृणाल के कमरे की तलाशी ली। इस दौरान चार लाइन का सुसाइड नोट मिला।

इसमें मृणाल ने माता-पिता को संदेश लिखा था कि सॉरी... एमबीबीएस की पढ़ाई सही से नहीं कर सकी। नीचे उसका नाम लिखा था। एसीपी कृष्णानगर विनय द्विवेदी के मुताबिक, सुसाइड नोट को हैंडराइटिंग एक्सपर्ट के पास जांच के लिए भेजा जाएगा। परिजनों ने बताया कि छात्रा काफी दिनों से डिप्रेशन में थी। इलाज भी चल रहा था।

प्रभारी निरीक्षक संतोष कुमार आर्य के मुताबिक, पटना के राजपथ इलाके के रहने वाले शिक्षक कौशल किशोर सिंह की बेटी मृणाल टीएस मिश्रा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही थी। वह कॉलेज परिसर में ही बने छात्रावास में रहती थी। छात्राओं के मुताबिक, मृणाल 902 नंबर कमरे में रहती थी।

उसके साथ रहने वाली छात्रा साक्षी ने बताया कि मृणाल सुबह 8.45 तक क्लास में थी। इसके बाद छात्रावास गई। कुछ देर बाद सूचना फैली कि मृणाल छात्रावास से नीचे गिर गई है। मौके पर पहुंचे तो खून से लथपथ पड़ी थी। अस्पताल की इमरजेंसी ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। कुछ देर में ही कॉलेज प्रशासन व छात्र-छात्राएं पहुंच गए।

डीसीपी राहुल राज, एडीसीपी मनीषा सिंह, एसीपी समेत कई पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने मृणाल के कमरे की तलाशी ली। फिर प्रिंसिपल व वार्डन से पूछताछ की। बालकनी में कुर्सी रखी थी। साक्षी ने बताया कि कुर्सी यहां कभी नहीं रखी जाती थी। पुलिस निष्कर्ष पर पहुंची कि मृणाल ने खुदकुशी के लिए कुर्सी रखी थी। छात्रा का मोबाइल पुलिस ने जांच के लिए रख लिया है।

बीमारी के कारण मां ने लिया था किराये पर मकान

एसीपी विनय द्विवेदी के मुताबिक, मृणाल के बीमार रहने के कारण मां अमरलता निगरानी रखती थी और पास में ही किराये पर कमरा लिया था। मृणाल बीमार होने के साथ डिप्रेशन में भी रहती थी। उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता था। इसके चलते कॉलेज प्रशासन ने घरवालों को सूचना देकर उसे दो महीने के लिए गांव भेज दिया था। तीन-चार दिन पहले ही वह लौटी थी। एक दिन पहले छात्रावास पहुंची थी।

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