लखनऊ

अब यूपी के राज्यपाल को लगाई कोर्ट ने फटकार, ये क्या कर रहे आप?

Special Coverage News
5 Dec 2018 9:31 AM IST
अब यूपी के राज्यपाल को लगाई कोर्ट ने फटकार, ये क्या कर रहे आप?
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उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक द्वारा 4 हत्याओं के मामले में उम्र कैद की सजा पाए एक अपराधी को माफी देने पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जतायी है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए राज्यपाल के फैसले को अस्वीकृत कर दिया है। जस्टिस एनवी रमना और एमएम शांतानागौदर की पीठ ने सोमवार को मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस तरह के मामलों से अदालत के विवेक को झटका लगा है, जिसके बाद कोर्ट को राज्यपाल के फैसले को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा है।" अदालत ने कहा कि 'इस तरह का अपराधी किस आधार पर जल्द रिहा किया जा सकता है? उसे उम्रकैद की सजा दी गई थी, लेकिन उसने जेल में सिर्फ 7 साल बिताए थे। यही वजह है कि हमें अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दोहराते हुए कहा कि जब दोषी व्यक्ति जमानत पर बाहर था, उस दौरान भी यह 4 अन्य आपराधिक मामलों में शामिल पाया गया है। उम्रकैद की बजाए यह सिर्फ 7 साल जेल में रहा। इस तरह का व्यक्ति जल्द कैसे रिहा किया जा सकता है? याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में अपने मुवक्किल की बीमारियों का भी हवाला दिया। लेकिन कोर्ट ने इस पर सख्ती दिखाते हुए कहा कि उसे क्या बीमारी है? क्या पीठ में दर्द है? फिलहाल उसे जेल में रहने दीजिए। वहीं पर उसे जरुरी इलाज दे दिया जाएगा। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इतना ही नहीं, दोषी को उस वक्त माफी दी गई, जब उसकी दोषसिद्धि का मामला हाईकोर्ट में लंबित था! हमें नहीं पता ऐसा क्यों किया गया? अब कोर्ट इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहती!

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका मार्कंडेय शाही (60 वर्ष) द्वारा दाखिल की गई थी। मार्कंडेय शाही पर गोरखपुर में 4 लोगों की हत्या समेत आधा दर्जन से भी ज्यादा मामले हैं। शाही ने ये हत्याएं साल 1987 में राजनैतिक प्रतिद्वंदिता के दौरान की थीं। यह वो दौर था, जब पूर्वांचल में बाहुबली हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। जिस इलाके में ये हत्याएं हुईं, वो अब महाराजगंज जिले में पड़ता है।

बीते साल 2017 के सितंबर माह में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मार्कंडेय शाही को माफी देते हुए रिहा करने का आदेश दिया था। शाही को साल 2009 में गोरखपुर की ट्रायल कोर्ट द्वारा शाही को हत्याओं का दोषी करार दिया गया था और उसे उम्र कैद की सजा दी गई थी। लेकिन राज्यपाल ने शाही द्वारा 14 साल की सजा जेल में काटने से पहले ही उसे माफी देते हुए रिहा करने का आदेश दिया था। हैरानी की बात ये है कि मार्कंडेय शाही की वक्त से पहले रिहाई पर जिला अधिकारी और एसएसपी ने भी चिंता जाहिर की थी। अधिकारियों का मानना था कि शाही की रिहाई पीड़ित परिवारों और इलाके की शांति के हित में नहीं है। हालांकि इसके बावजूद राज्यपाल राम नाईक ने आर्टिकल 161 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए शाही को माफी दे दी थी। बता दें कि संविधान द्वारा राज्यपाल को यह शक्ति मिली हुई है कि वह किसी अपराधी की सजा को कम या फिर पूरी तरह से माफ सकते हैं। हालांकि इनके साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी हैं।

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