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शिक्षक, अनुदेशक और शिक्षा मित्रों की छुट्टी पर परिवार सर्वेक्षण का काम पड़ रहा है भारी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री से की शिकायत
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के परिषदीय विधालय में काम करने वाले शिक्षक, अनुदेशक, शिक्षा मित्रों से करवाया जा रहा परिवार सर्वेक्षण शिक्षकों की छुट्टियों पर भारी पड़ रहा है। अब 20 मई से छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं जो 15 जून तक चलेंगी, लेकिन शिक्षकों को पूरे गांव की मैपिंग का इतना लक्ष्य दे दिया गया है कि वे दिन में सर्वेक्षण करके रात तक उसकी फीडिंग में जुटे हैं। इसको लेकर शिक्षकों ने विरोध भी करना शुरू कर दिया है। इसके लिए सीएम से लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय तक पत्र भी लिखा है।
इतनी सूचनाएं जुटानी हैं
हर साल 'स्कूल चलो' अभियान चलता है। इसमें ड्रॉप आउट बच्चों को चिह्नित किया जाता है। उसके बाद उनको स्कूल में दाखिल करवाने की कवायद भी चलती है। इस बार आउट ऑफ स्कूल बच्चों चिह्नित करने के अलावा पूरे गांवों के सभी घरों की मैपिंग भी करवाई जा रही है। इसमें स्कूल जाने वाले और न जाने वाले सदस्यों के अलावा पूरे परिवार की शिक्षा का स्तर, आर्थिक स्तर सहित कई तरह की जानकारियां शिक्षक जुटा रहे हैं। इसके दो तरह के प्रोफॉर्मा भी शिक्षकों को दिए गए हैं। पहले प्रोफॉर्मा में तीन भाग हैं। इनमें परिवार के मुखिया के संबंध में 14 सूचनाएं, परिवार के 14 साल से अधिक के सदस्यों के बारे में 8 सूचनाएं और 14 साल से कम के सदस्यों की 13 सूचनाएं मांगी गई हैं। इसी तरह दूसरे प्रोफॉर्मा में भी 23 सूचनाएं मांगी जा रही हैं।
शिक्षकों का कहना है कि स्कूल में शिक्षकों की संख्या के आधार पर हर शिक्षक के खाते में 150 से 300 घरों तक का जिम्मा है। सब कुछ अपने संसाधन से शिक्षकों का कहना है कि घर-घर सर्वेक्षण करने के बाद पूरे डेटा को ऑनलाइन फोड करना है। यह काम शिक्षक घर आकर करते हैं। इसके लिए शिक्षकों को कोई अतिरिक्त संसाधन भी नहीं दिए गए हैं और न किसी तरह का कोई भत्ता दिया जाता है। शिक्षकों को ये काम 30 मई तक पूरा करना है। कार्रवाई की चेतावनी भी दी जा रही है।
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि शिक्षक अपने संसाधन से ये काम कर रहे हैं। इतना लंबा काम है तो इसके लिए अन्य संसाधन और मशीनरी भी दी जाए। छुट्टियां भी बर्बाद हो रही हैं। उन्होंने इस बाबत सीएम और केंद्रीय शिक्षा मंत्री तक को पत्र लिखा है ।
स्कूल ड्रॉपआउट की कई वजहें होती हैं। आर्थिक, सामाजिक कारण भी हैं। यह जानने के लिए मैपिंग करवाई जा रही है। बच्चा स्कूल नहीं आ रहा या यूनिफॉर्म नहीं खरीद पा रहा तो इसकी क्या वजहें हैं। इसका आकलन इस डेटा से किया जा सकेगा।
-विजय किरण आनंद, डीजी, स्कूल शिक्षा
परिवार सर्वेक्षण जरूरी है। इससे सरकार को भावी योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। लेकिन इस कार्य में लगे शिक्षकों की शिकायतें भी जायज हैं। इन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए और कुछ ऐसा रास्ता निकालना चाहिए जिससे सर्वेक्षण भी प्रभावित न हो और शिक्षकों को भी शिकायत न रहे।
वहीं बस्ती जिले में प्राथमिक शिक्षक संघ के सदस्यों ने ग्रीष्मकालीन अवकाश में परिवार सर्वेक्षण से हाथ खड़े कर दिए हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के शिक्षकों व पदाधिकारियों ने शनिवार को प्रभारी जिलाधिकारी/मुख्य विकास अधिकारी डॉक्टर राजेश प्रजापति को ज्ञापन दिया। जिलाध्यक्ष उदय शंकर शुक्ल ने कहा कि ग्रीष्मावकाश में शिक्षक परिवार सर्वेक्षण नहीं करेंगे। जो सर्वेक्षण शिक्षकों ने अब तक कर लिया है, उसका फीडिंग भी अब शिक्षक नहीं कराएंगे।
ज्ञापन में दलील दी गई है कि दूसरे जिलों से नियुक्त होकर आए शिक्षक ग्रीष्मावकाश में अपने घर चले गए हैं। ऐसे में पंचायत भवन पर या बीआरसी पर तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर से डाटा का ऑनलाइन फीडिंग कराया जाए। प्रभारी जिलाधिकारी ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को बुलाकर उनसे शिक्षकों की समस्याओं पर गंभीरता पूर्वक विचार करके कार्रवाई करने के लिए कहा। ज्ञापन सौंपने के दौरान प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला कोषाध्यक्ष अभय सिंह यादव, सदर ब्लाक के अध्यक्ष शैल शुक्ला, जिला प्रवक्ता सूर्य प्रकाश शुक्ला, आशुतोष पांडेय, रीता शुक्ला, ज्ञान प्रताप उपाध्याय, कृष्ण कुमार शर्मा आदि उपस्थित रहे।