लखनऊ

बीजेपी व RSS के लोग अपनी सरकारों की कमजोर स्थिति को देखते हुये जातिवादी उन्माद व हिंसा'' फैलाना चाहते हैं - मायावती

Special Coverage News
8 Sep 2018 2:16 AM GMT
बीजेपी व RSS के लोग अपनी सरकारों की कमजोर स्थिति को देखते हुये जातिवादी उन्माद व हिंसा फैलाना चाहते हैं - मायावती
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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मीडिया को सम्बोधित करते हुये कहा कि कल देश में ख़ासकर बीजेपी शासित राज्यों में दलितों व आदिवासियों के सम्मान व स्वाभिमान से जुड़े एस.सी.-एस.टी. कानून की बहाली के विरूद्ध कुछ संगठनों द्वारा ''भारत बन्द'' अभियान के तहत् अपनी नाराजगी जाहिर की गई है। जिस पर फिर मीडिया के जरिये पक्ष व विपक्ष में किस्म-किस्म की प्रतिक्रियायें भी हमारे सामने आई हैं, लेकिन हमारी पार्टी का कल दोनों पक्ष को जानने व समझने के बाद खासकर इस एस.सी.- एस.टी. कानून की बहाली का विरोध करने वाले लोगों को यह कहना है कि जो लोग इस कानून की बहाली को लेकर अपने दिल व दिमाग में यह गलत धारणा बनाये हुये हैं कि अब इस कानून का ''दुरूपयोग'' होगा और अब इस कानून की बहाली की आड़ में दलितों व आदिवासियों को छोड़कर बाकी अन्य सभी समाज के लोगों का बड़े पैमाने पर ''शोषण व उत्पीड़न'' आदि होगा तो इससे हमारी पार्टी कतई भी सहमत नहीं है। क्योंकि इस कानून का दुरूपयोग होना व ना होना, यह सब कुछ केन्द्र व राज्य सरकारों की खासकर एस.सी.-एस.टी. वर्गों के प्रति उनकी सही व ईमानदार सोच, नीति, नियत व कार्य-प्रणाली आदि पर ही निर्भर करता है। इस बात का खास सबूत, उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. के नेतृत्व में, वहाँ का चार बार का रहा हमारा ''सही व ईमानदार, जातिविहीन व समतामूलक एवं सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय'' की नीतियों पर आधारित शासनकाल का होना रहा है जिसके तहत् चलकर इस कानून का बिल्कुल भी दुरूपयोग नहीं होने दिया गया था।

मायावती ने कहा कि हालांकि इसके दुरूपयोग करने को लेकर जो भी मामले मेरी सरकार के सामने आये थे वे मामले ज्यादातर पिछली रही सरकारों के समय के ही थे जिनकी फिर मेरी सरकार में पूरे ठीक ढंग से ''जाँच-पड़ताल'' कराके फिर किसी के साथ भी अन्याय नहीं होने दिया गया था। लेकिन इस मामले में हमें इन वर्गों के प्रति हीन व जातिवादी मानसिकता रखने वाली विरोधी पार्टियों की सरकारों में ऐसा कुछ भी होते हुये देखने के लिये नहीं मिल पा रहा है।

मायावती ने कहा कि वैसे भी बी.एस.पी. सर्वसमाज के हित का ध्यान रखने वाली पार्टी है और इसीलिये देश में सबसे पहले अपरकास्ट समाज के ग़रीबों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिये केन्द्र सरकार को चिट्ठी लिखी तथा संसद के भीतर व संसद के बाहर भी लगातार इसके लिये संघर्ष भी करती रही हैं। साथ ही, उत्तर प्रदेश में बी.एस.पी. की सरकार के दौरान सामान्य वर्गांंे की सरकारी नौकरी में बहाली पर लगी रोक को हटाकर इनको स्थाई रोजगार दिलाये गये थे।

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि इस एस.सी.-एस.टी. कानून की आड़ में अब खासकर सत्ताधारी बीजेपी व इनके पैतृक संगठन आर.एस.एस. द्वारा घिनौनी राजनीति और की जा रही है जिसके तहत ही कल दिनांक 6 सितम्बर सन् 2018 को खासकर बीजेपी शासित राज्यों में इस एस.सी.-एस.टी. कानून की बहाली के विरूद्ध कुछ संगठनों के जरिये किया गया 'भारत बन्द' यह पूरे तौर से इनकी सरकारों द्वारा पर्दे के पीछे से प्रायोजित बीजेपी व आर.एस.एस. का जातिवादी व अपने राजनैतिक स्वार्थ एवं लाभ के लिये इनका कोरा चुनावी षडयंत्र है।

बसपा सुप्रीमों ने कहा कि साथ ही, इसकी आड़ में इनका जनता के असली व ज्वलन्त मुद्दों पर से ध्यान बांटने का भी कल रहा असफल प्रयास है और इस बात का सबसे बड़ा सबूत यह है कि कल बन्द का ज्यादातर असर हमें उन्हीं राज्यों में देखने के लिये मिला है जिन राज्यों में बीजेपी की अकेले या फिर बीजेपी व इनके सहयोगी दलों की मिली-जुली सरकारें चल रही हैं तथा जिन राज्यों में कुछ ही महीनों में विधानसभा के आमचुनाव भी होने वाले हैं और वैसे भी अब देश में लोकसभा के होने वाले आमचुनाव भी बहुत नजदीक रह गये हैं।

मायावती ने कहा कि इसके साथ ही यह बात भी जग-जाहिर है कि इनकी सरकारों की शुरू से ही चल रही खासकर गलत आर्थिक नीतियों व गलत कार्यशैली की वजह से अब पूरे देश में सर्वसमाज में गरीबी, बेरोजगारी व महंगाई आदि भी काफी ज्यादा बढ़ी है। इनकी गलत आर्थिक नीतियों के कारण पूरे देश की आमजनता को काफी अपरिपक्व तरीके से लागू किये गये नोटबन्दी व जी.एस.टी. आदि की जबरदस्त मार झेलनी पड़ रही है। इससे अर्थव्यव्स्था के साथ-साथ बेरोजगारी व मजबूरी का पलायन भी काफी बढ़ा है।

बसपा सुप्रीमों ने कहा कि साथ ही डीजल व पेट्रोल की आये दिन बढ़ रही कीमतों ने तो अब जनता की परेशानियों को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है तथा भारतीय रूपये की लगातार रिकार्ड गिरावट से भी देश का संकट और ज्यादा गहराया है। कुल मिलाकर बीजेपी सरकार की नीतियाँ आमजनहित के लिये नहीं हैं बल्कि इनके चुनिन्दे बडे-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के हित के लिये ही हैं जिनके धनबल के सहारे ये लोग सत्ता में आ गये हैं।

मायावती ने कहा कि इससे सर्वसमाज में से विशेषकर गरीब, मजदूर, किसान, व्यापारी व अन्य मेहनतकश लोग तथा दलित, शोषित एवं पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोग ये सभी दुःखी व पीड़ित हैं और कुल मिलाकर इन्हीं सभी कारणों से अब अकेले बीजेपी शासित राज्यों में ही नहीं बल्कि पूरे देश में भी इनका जनाधार काफी ज्यादा खिसक चुका है।

मायावती ने कहा कि इसके साथ ही, इनकी विशेषकर दलित व आदिवासी, विरोधी नीतियों एवं उन पर आये दिन हो रही जुल्म-ज्यादती के कारण ही ये लोग तो बहुत पहले ही इनसे काफी दूर जा चुके हैं जिन्हें अपनी ओर लुभाने के लिये इन्होंने एक सोची-समझी रणनीति के तहत् ही, इन वर्गों के सम्मान व स्वाभिमान से जुडे़ इनके इस एस.सी.-एस.टी. कानून के साथ पहले काफी खिलवाड़ किया और फिर इसे अध-कच्चा बहाल कराके, कल षड़यन्त्र के तहत् ही इन्होंने अपने लोगों को ही आगे करके व खासकर बीजेपी शासित राज्यों में इसका विरोध भी करवाया है यह सब किसी से छिपा नहीं है।

बसपा सुप्रीमों ने कहा कि जबकि वास्तव में इस कानून को लेकर बीजेपी व आर.एस.एस. के बारे में हमारी पार्टी का यह कहना है कि एक तरफ तो बीजेपी की सरकारें ''माननीय न्यायालय'' में इन वर्गों के सम्मान व स्वाभिमान से जुड़े इस कानून के मामले में समय से उचित कानूनी व सही पैरवी नहीं करके इस मुद्दे को भटकाती है और फिर बाद में इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर इस कानून की बहाली को लेकर जरूरी कानूनी उपाय करने की आधी-अधूरी कोशिश करती हैं। इतना ही नहीं बल्कि इन वर्गों के प्रति अपनी हीन व जातिवादी मानसिकता के तहत् चलकर फिर वहीं दूसरी तरफ अपने ही लोगों से, इसके विरूद्ध ''विरोध व बन्द'' आदि भी करवाती हैं, जो कि यह इनके दोहरे चाल, चरित्र व मापदण्ड को भी दर्शाता है।

मायावती ने कहा कि इसके साथ ही, यहाँ मैं खासकर ओ.बी.सी.(अन्य पिछड़े) वर्गों के लोगों को सावधानी के तौर पर यह भी कहना चाहूँगी कि कल जिस प्रकार से बीजेपी व आर.एस.एस. के लोग पर्दे के पीछे से रहकर इस कानून की बहाली का विरोध कर रहे थे तो ठीक उसी प्रकार का जबरदस्त विरोध इससे पहले इन्होंने सन् 1990 में ''ओ.बी.सी. वर्गों'' को सरकारी नौकरियों व शिक्षा आदि में 27 प्रतिशत आरक्षण देने के विरूद्ध भी किया था जब देश में बी.एस.पी. के अथक प्रयासों से ''मण्डल आयोग'' की सिफारिशों को श्री वी.पी. सिंह की सरकार द्वारा लागू किया गया था।

बसपा सुप्रीमों ने कहा कि इसके साथ ही, यह बात भी सर्वविदित् है कि देश में व खासकर बीजेपी शासित राज्यों में से मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ व राजस्थान आदि में शीघ्र ही विधानसभा के आमचुनाव होने वाले हैं तथा वैसे अब लोकसभा का आमचुनाव भी काफी नजदीक है तो अब ऐसे में बीजेपी व आर.एस.एस. एण्ड कम्पनी के लोग अपनी केन्द्र व राज्यों में अपनी सरकारों की कमजोर स्थिति को देखते हुये अर्थात अपने जनाधार को खिसकते हुये देखकर अब अपने राजनैतिक स्वार्थ में यहाँ किसी ना किसी मुद्दे को लेकर ''जातिवादी उन्माद व हिंसा'' फैलाना चाहते हैं।

मायावती ने कहा कि इसके साथ-साथ ये लोग ठीक चुनाव के समय में भी फिर इसी प्रकार के हिन्दू- मुस्लिम साम्प्रदायिक तनाव व हिंसा आदि भी फैलाकर अपनी चुनावी स्वार्थ की रोटी सेंकने का भी प्रयास करंेगे, जैसा कि ये लोग पहले भी करते रहे हैं। इसलिये बी.एस.पी. की सर्वसमाज में से खासकर दलितों आदिवासियों, पिछड़ों एवं सवर्ण समाज के लोगों से यह अपील है कि 'वे इनकी इस प्रकार की घिनौनी साजिशों का शिकार ना बने तथा ना गुमराह होकर व ना ही इनके बहकावे में भी आकर अपना किसी भी प्रकार का कोई भी नुकसान ना करें।''

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