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अनुदेशक शिक्षा मित्र की समस्या को लेकर लिखा पीएम मोदी को डॉ राजाराम त्रिपाठी ने पत्र
अनुदेशक शिक्षा मित्र के संघर्ष को देखते हुए देश के 45 किसान संगठनों के संघठन आईफा के संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा। इस पत्र को पीएमओ के पास पहुँचने की खबर डॉ राजाराम त्रिपाठी के पास आ गई और जल्द ही इस पर जबाब देने की बात कही गई है। यह पत्र डॉ राजाराम त्रिपाठी ने स्पेशल कवरेज न्यूज के प्रोग्राम में शामिल होकर देखा कि अनुदेशक और शिक्षा मित्र कितना दुखी है।
इसलिए उन्होंने लिखा माननीय महोदय! आप महानुभाव के द्वारा वाराणसी में 'शिक्षामित्रों' एवं 'अनुदेशकों' के उत्थान के लिए सार्वजनिक मंच से पवित्र घोषणा भी की गई थी जिसका साक्ष्य अनुदेशकों एवं शिक्षामित्रों से जुड़े किसान परिवार हमें भी दिखाते रहें हैं। पार्टी के अनेक गणमान्य नेताओं द्वारा भी ' अनुदेशकों' और 'शिक्षामित्रों' की बेहतरी के सम्बन्ध में अनेक अवसरों पर राहत देने वाले वादे किये जाते रहे हैं। इन सब के नौनिहालों को शिक्षा प्रदान कर रहे शिक्षाकर्मियों का लगभग 20 वर्ष की सेवा देने के बाद आज भी ये लगभग ₹300 दिहाड़ी पर उम्र के नौनिहालों का भविष्य गढ रहे हैं। ऐसी राजकीय शोषण की मिसाल मिलना मुश्किल है। इतना ही नहीं, बल्कि 'अनुदेशक' माननीय हाइकोर्ट सिंगल तथा डबल जीतने के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के कारण आज भी न्याय पाने से वंचित हैं।
पढिए पूरा पत्र
विषय- उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद में कार्यरत विषय प्रवीण 'अनुदेशकों' एवं 'शिक्षा मित्रों' के समस्याओं के निराकरण तथा मिलने बाबत |
माननीय महोदय,
सादर अवगत कराना है कि उप्र के वंचित 'अनुदेशक' तथा 'शिक्षामित्र' अत्यंत छोटे किसानों परिवारों से रखते हैं,इन किसानों की जोत भी अत्यंत छोटी और सीमित है।
महोदय! किसानों को जागरूक एवं आधुनिक बनाने की प्रेरणा हेतु हमारे संगठन द्वारा जब भी इस प्रदेश के किसानों से संवाद होता है,तब किसानों द्वारा अनुदेशकों और शिक्षामित्रों की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराया जाता रहा है। माननीय महोदय! आप महानुभाव के द्वारा वाराणसी में 'शिक्षामित्रों' एवं 'अनुदेशकों' के उत्थान के लिए सार्वजनिक मंच से पवित्र घोषणा भी की गई थी जिसका साक्ष्य अनुदेशकों एवं शिक्षामित्रों से जुड़े किसान परिवार हमें भी दिखाते रहें हैं। पार्टी के अनेक गणमान्य नेताओं द्वारा भी ' अनुदेशकों' और 'शिक्षामित्रों' की बेहतरी के सम्बन्ध में अनेक अवसरों पर राहत देने वाले वादे किये जाते रहे हैं। इन सब के नौनिहालों को शिक्षा प्रदान कर रहे शिक्षाकर्मियों का लगभग 20 वर्ष की सेवा देने के बाद आज भी ये लगभग ₹300 दिहाड़ी पर उम्र के नौनिहालों का भविष्य गढ रहे हैं। ऐसी राजकीय शोषण की मिसाल मिलना मुश्किल है। इतना ही नहीं, बल्कि 'अनुदेशक' माननीय हाइकोर्ट सिंगल तथा डबल जीतने के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के कारण आज भी न्याय पाने से वंचित हैं।
माननीय उत्तर प्रदेश के छोटे एवं सीमांत किसानों से संवाद के सामान्य अनुक्रम में हमने किसान संगठन से जुड़े लोगों ने अनेक सकारात्मक तथ्य एवं निष्कर्ष भी प्राप्त किया है। जिससे आप महानुभाव को अवगत कराना हमें उचित और आवश्यक प्रतीत हुआ है।
अत: सामाजिक समरसता एवं सरोकार वाले इस मानवीय मामले में संज्ञान एवं संवाद हेतु हमारे नेतृत्व में एक 5 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को आपसे संक्षिप्त मुलाकात करने का समय, सौभाग्य एवं अवसर प्रदान करने की कृपा करें ।
"उत्तर प्रदेश तथा देश के समस्त किसान संगठन, अनुदेशक व शिक्षाकर्मी सदैव आपके आभारी रहेंगे"
डॉ राजाराम त्रिपाथी
राष्ट्रीय समन्वयक