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यूपी में 96 हजार गांव में प्रधानों को नहीं मिला चार्ज, तो अंतिम संस्कार के लिए पैसा गरीबों को देगा कौन?
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के नाम पर यूपी मे कोरोना 'नरसंहार' हुआ. अब जब 96 हजार गांव मे प्रधान चुन लिए गए तो उन्हें चार्ज नही दिया जा रहा. रिजल्ट आने के 17 दिन बीत गए, प्रधान घर बैठे हैं. गांव मे लाशें बिछ रही. लेकिन प्रधान जी के पास चार्ज है न काम. सरकार की अदूरदर्शिता और लापरवाही जानलेवा है.
आपको बता दें कि अब तक कई ग्राम प्रधान बिना चार्ज लिए अपनी जान भी गंवा बैठे है. एक भी प्रदेश का ऐसा जनपद नहीं है जहां एक न एक प्रधान के मौत नहीं हुई हो. तो फिर गाँव में फैले कोरोना को रोकने के लिए कौन जिम्मेदार माना जाएगा. प्रधान को अपनी जिम्मेदारी देकर सरकार जल्द से जल्द गाँव की सरकार को काम लगाये ताकि गाँव को बचाया जा सके.
कोरोना का कहर अभी आने वाले चार माह तक चलेगा लिहाजा आप लोग इससे अभी बच नहीं गए है. न ही अभी आप तीसरी लहर के और बढ़े है अभी दूसरी लहर चल रही है. जैसे पिछली साल जब जुलाई में मरीजों की संख्या बढ़ी तभी हम दूसरी लहर मान बैठे थे जो सबसे बड़ी गलती थी ठीक उसी तरह एक बार लॉकडाउन खुलने पर एक बार फिर से संक्रमण बढने के आसार नजर आ रहे है.
अभी तीसरी लहर के कयास मत लगाइए पहले इस लहर के प्रकोप से बचें ऐसा हमारे देश के वैज्ञनिकों का मानना है. लिहाजा आप गाँव में मौत को रोकने के लिए जागरूकता फैलाएं इसके लिए गाँव की सरकार अर्थात ग्राम प्रधान को जिम्मेदारी देकर काम कराएं.
वहीं एक और सवाल बना हुआ है उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि गाँव में गरीब व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए प्रधान पांच हजार रूपये मुहैया कराएगा . लेकिन ये देगा कौन? सबसे हास्यास्पद बात तो ये है कि गांव में गरीबों को अंतिम संस्कार के लिए प्रधान के माध्यम से सरकार द्वारा जो 5000₹ देने की घोषणा है वो कौन सा प्रधान देगा? पूर्व या नव निर्वाचित. आखिर आदेश देने से पहले उसे क्रियान्वयन करने के लिए क्या पहल की गई. इसकी जानकारी भी जनता को देना सरकार की जिम्मेदारी है.