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प्रियंका ने देर रात दो बजे के बाद भी इसी तल्ख तेवर में कार्यकर्ताओं से बात करके दिया यह संदेश
लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारी को लेकर कांग्रेस महासचिव व पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनाई गईं प्रियंका गांधी कांग्रेस के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाती नजर आ रही हैं ताकि कांग्रेस की उत्तर प्रदेश में तस्वीर बदल जाय। हालांकि यह काम किसी करिश्मा से कम नहीं है। जहाँ बीते कई साल से कोई कार्यकर्त्ता किसी बहाने लखनऊ तक न आया हो अब देर रात तक यकायक रोकना उनको भी खल रहा है। जबकि प्रदेश का छोटा या बड़ा कोई भी नेता एक बार उनसे बात जरुर करना चाहता है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करते हुए प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दो दिन 15 घंटे तक काम किया। गुरुवार की तड़के सुबह 2:30 बजे तक पार्टी कार्यकर्ताओं संग बैठक की। इस दौरान 12 लोकसभा सीटों के पूर्व सांसद, पूर्व विधायकों से प्रियंका ने बातचीत की। इस दौरान सहरानपुर से लेकर देवरिया तक के कार्यकर्ता मिलते नजर आ रहे थे। सबके चहरे पर ख़ुशी थी लेकिन असली जामा पहनाने की बात पर कन्नी काटते नजर आये।
उन्होंने जिला अध्यक्षों और ब्लॉक लेवल के नेताओं से पार्टी और लोगों का स्थिति के बारे में चर्चा की। प्रियंका गांधी कांग्रेस को फिर से मजबूत बनाने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। प्रियंका को 41 लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनको पता है कि यूपी की राह इतनी आसान नहीं है। एक तरफ उनका मुकाबला योगी और मोदी से है तो दूसरी तरफ सपा-बसपा के साथ आना भी कांग्रेस के लिए मुश्किल बढ़ा रहा है।
पहले दिन से सबक लेकर कांग्रेस लखनऊ से आए कार्यकर्ताओं ने दूसरे दिन अपने भोजन का खुद इंतजाम कर रखा था। घर से अपने साथ खाना लेकर आए कार्यकर्ताओं ने बताया कि पहले दिन हम भूखे लौट गए थे इस वजह से दूसरे दिन हम पुड़ियां और आलू की सब्जी साथ लाए थे।
कार्यकर्ताओं में जहां प्रियंका के आने से जोश है वहीं कई कार्यकर्ताओं को लेट नाइट मीटिंग पसंद नहीं आ रही है। देवरिया से आए एक मुस्लिम कार्यकर्ता ने बताया कि वह कांग्रेस पार्टी में जिला स्तर पर कार्यरत रह चुका है। उसका कहना कि यहां जो हो रहा है वह महज 10 प्रतिशत ही असलियत है और सब दिखावा है। प्रियंका गांधी जबतक ग्राउंड लेवल पर नहीं उतरेंगी तब तक उन्हें पार्टी की असलियत पता नहीं चलेगी। उनके आस-पास के सीनियर नेता उन्हें हकीकत से रूबरू नहीं करा रहे हैं।
बता दें कि 1989 के बाद से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कि स्थिति डावाडोल रही है। पिछले चुनाव की बात करें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 543 सीटों में से सिर्फ 44 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी। वहीं भाजपा को 282 सीट हासिल हुई थी। भाजपा को वोट शेयर 31प्रतिशत था जबकि कांग्रेस को महज 19.52 प्रतिशत ही वोट मिले थे।