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राजभर ने मांगी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की लोकसभा सीट
राज्य मुख्यालय लखनऊ। मोदी की भाजपा उत्तर प्रदेश में अपने रूठे सहयोगियों को मनाने में जुट गई है लगभग घुटने टेकने की हालत में आ गई है।अपना दल और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी को साथ बरकरार रखने की कवायद में पार्टी अध्यक्ष खुद मैदान में कूद पड़े हैं मोदी की भाजपा ने ओमप्रकाश राजभर की ज़्यादातर माँगे मान ली है उन्हें पार्टी कार्यालय के लिए राजभवन कालोनी में एक भवन दिया जाएगा और पिछड़े आयोग में एक दर्जन लोगों को उनके द्वारा सुझाए गए नामों को सदस्य बनाया जाएगा ऐसी ख़बरें मिल रही है एक दौर की बातचीत और होगी माना जा रहा है कि 26 फरवरी को मोदी की भाजपा सूबे में अपने गठबंधन का ऐलान कर सकती है।
अपना दल (एस) की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के कड़े तेवर दिखाने शुरू कर दिया है और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के गठबंधन से अलग होने के अल्टीमेटम के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सूबे के दोनों उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा व केशव प्रसाद मौर्य मोदी की भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह से मिले।बता दें कि उत्तर प्रदेश में अपना दल (एस) के साथ बीजेपी का 2014 के लोकसभा चुनाव में समझौता हुआ था।
मोदी की भाजपा ने अपना दल को 2 सीटें दी थी,जिनको वो जीतने में कामयाब रही थी।वहीं,ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के साथ मोदी की भाजपा ने 2017 विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया था।राजभर ने सूबे में कम से कम 2 सीटों की मांग रखी है।इनमें घोसी और चंदौली संसदीय सीट शामिल है।इन दोनों सीटों पर मोदी की भाजपा का कब्जा है।चंदौली सीट से मोदी की भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र पांडेय सांसद हैं।राजभर पिछले काफी दिनों से योगी सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार किए हुए हैं।इस कड़ी में उन्होंने हाल ही में एक मंत्रालय भी छोड़ दिया था।इसके बाद राजभर ने देर रात दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की थी।इस दौरान उन्होंने ओबीसी के आरक्षण कोटे में कोटे की मांग को लेकर चर्चा की।
हालांकि लोकसभा सीटों को लेकर 26 फरवरी को फिर से मोदी की भाजपा के अध्यक्ष से चर्चा करेंगे।माना जा रहा है कि उन्हें एक लोकसभा सीट दी जा सकती है।सूबे के बदले समीकरण में अपना दल ने भी मोदी की भाजपा के सामने 2 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव बनाए हुए है।हाल ही में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जाहिर की थी और पीएम मोदी के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं थी।
इतना ही नहीं अनुप्रिया पटेल ने गोंडा में कहा कि हमने मोदी की भाजपा को 20 फरवरी तक का समय दिया था यदि बात नहीं बनी तो उनका दल अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।दरअसल यूपी में सपा-बसपा गठबंधन और प्रियंका गांधी के राजनीति में दस्तक के बाद सूबे में सियासी समीकरण काफी बदलते दिख रहे हैं।ऐसे में मोदी की भाजपा के सामने अपने सहयोगी को साधने की चुनौती है।यही वजह है कि अपना दल और ओमप्रकाश राजभर ने अपनी डिमांड बढ़ा दी है,और मोदी की भाजपा भी दबाव में दिख रही है।ऐसे में देखना है कि मोदी की भाजपा इन दोनों दलों को साधकर रख पाती है या नही।