लखनऊ

सपा बसपा में इन आधा दर्जन सीटों पर फंसा पेंच, इन नामों का हो रहा है विरोध

Special Coverage News
16 March 2019 6:10 AM GMT
सपा बसपा में इन आधा दर्जन सीटों पर फंसा पेंच, इन नामों का हो रहा है विरोध
x

लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में कुछ प्रत्याशियों के नामों पर विरोध शुरु हो गया है. तो वहीं कई सीटों पर बसपा के नेताओं ने भी सपा प्रत्याशियों ने विरोध जताया है.


जैसे सुल्तानपुर से बसपा प्रत्याशी चंद्रभान सिंह उर्फ सोनू का सपा कर रही विरोध, तो सपा प्रत्याशी इंद्रजीत सरोज और रामजीलाल सुमन का भी बसपा के ओर से विरोध हो रहा है. बलिया और जौनपुर सीट पर सपा बसपा गठबंधन में पेंच फंसा हुआ है. बलिया से सपा के नीरज शेखर उम्मीदवार बनाए जा सकते है. वहीं जौनपुर से बसपा यादव कैंडिडेट को टिकट देना चाहती हैं. इस मुद्दे पर अखिलेश और मायावती के बीच बातचीत का दौर जारी है.


पश्चिम यूपी की लोकसभा सीट हाथरस में इस बार गठबंधन की तरफ से सपा प्रत्याशी रामजीलाल सुमन मैदान में हैं. गौरतलब है कि बसपा के साथ गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी 37 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. उधर, बीएसपी ने भी अपने हिस्से की अधिकतर सीटों पर लोकसभा प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि बीएसपी भी अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर कर सकती है. बता दें कि पहले, दूसरे और तीसरे चरण में वेस्ट यूपी में चुनाव होने हैं जिसके लिए नामांकन प्रक्रिया 18 मार्च से शुरू हो जाएगी.


इसी कड़ी में मायावती सरकार में मंत्री रह चुके और पूर्व बसपा प्रदेश अध्यक्ष इन्द्रजीत सरोज अब सपा में हैं. समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने के बाद सरोज ने कहा था कि बसपा में बोलने की आजादी नहीं थी. यहां कम से बोलने और बैठने की आजादी है. इंद्रजीत सरोज ने आगे कहा, ''बसपा में उसी तरह अघोषित इमरजेंसी है, जैसे मोदी की सरकार में है. मुझ पर बीजेपी और कांग्रेस में जाने का प्रेशर था.


सुल्तानपुर से बसपा प्रत्याशी चंद्रभान सिंह उर्फ सोनू के नाम पर समाजवादी पार्टी विरोध कर रही है. सपा और बसपा की नई दोस्ती से उन नेताओं को झटका लगा है जो पाला विधानसभा चुनाव के दौरान या बाद में पाला बदलकर सपा या बसपा में शामिल हो गए थे. ऐसे नेताओं के लिए गठबंधन गले की फांस बन चुका है और उनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. दरअसल इसकी वजह यह है कि अखिलेश उधर मायावती दोनों ही गठबंधन को मजबूती देने की जुगत में जुटे हैं.

Next Story