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यूपी में मायावती-अखिलेश गठबंधन का ऐलान, 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी सपा-बसपा, कांग्रेस को जगह नहीं!
लखनऊ : यूपी में सियासी पारा चरम पर है। माजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने शनिवार को करीब 25 साल बाद एक बार फिर साथ आने का ऐतिहासिक ऐलान कर दिया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीएसपी मुखिया मायावती ने इसका ऐलान किया। यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 पर एसपी-बीएसपी चुनाव लड़ेंगी। गठबंधन से कांग्रेस को बाहर रखा गया है लेकिन गांधी परिवार के परंपरागत गढ़ अमेठी और रायबरेली में गठबंधन उम्मीदवार नहीं उतारेगा।
मायावती ने कहा कि बाकी 2 सीटें अन्य दलों के लिए रखा गया है। बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि जिस तरह 1993 में हमने साथ मिलकर बीजेपी को हराया था, वैसे ही इस बार उसे हराएंगे। पीएम दावेदार कौन होगा, इस सवाल को अखिलेश ने चतुराई से टालते हुए कहा कि यूपी अक्सर देश को प्रधानमंत्री देता है, पीएम यूपी से ही हो तो अच्छा रहेगा।
गुरु-चेले की नींद उड़ाने वाली है ये प्रेस कॉन्फ्रेंस : मायावती
साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह यानी गुरु-चेले की नींद उड़ाने वाली है। उन्होंने कहा कि 1990 के आस-पास बीजेपी के जहरीले माहौल की वजह से आम जनजीवन प्रभावित था और जनता त्रस्त थी। आज भी वैसा ही माहौल है और हम एक बार फिर उन्हें हराएंगे।
गठबंधन से घबराई बीजेपी : अखिलेश
एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि इस गठबंधन से बीजेपी घबरा गई है और वह तरह-तरह की साजिशें रच सकती है। उन्होंने एसपी-बीएसपी कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा, 'गठबंधन से घबराकर बीजेपी तरह-तरह से परेशान करने की साजिश कर सकती है, दंगा-फसाद का प्रयास भी कर सकती है लेकिन हमें संयम के साथ हर साजिश को नाकाम करना है।'
मायावती ने कहा कि पिछले लोकसभा और यूपी चुनाव में बीजेपी ने बेइमानी से सरकार बनाई। उन्होंने कहा, 'उनकी गलत और जनविरोधी नीतियों से जनता नाराज है। उपचुनाव में जनता ने उनके उम्मीदवारों को हराकर शुरुआत कर दी है। उन चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवारों की तो जमानत ही जब्त हो गई। एसपी-बीएसपी गठबंधन बीजेपी को केंद्र में सत्ता में आने से जरूर रोकेगा।'
मायावती ने बताया कि कांग्रेस को गठबंधन में क्यों नहीं किया शामिल
बीएसपी सुप्रीमो ने कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा, 'आजादी के बाद काफी लंबी अवधि तक केंद्र और देश के ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस ने एकछत्र राज किया, लेकिन जनता परेशान रही। गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ा, जिसके खिलाफ कई दलों का गठन हुआ। ऐसे में केंद्र में सत्ता चाहे कांग्रेस के हाथ में आए या बीजेपी के हाथ में, बात एक ही है। दोनों की नीतियां एक जैसी। दोनों की सरकारों में रक्षा सौदों में घोटाले हुए। बोफोर्स से कांग्रेस को सरकार गंवानी पड़ी और बीजेपी को राफेल की वजह से सरकार गंवानी पड़ेगी।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों की सरकारें विरोधियों का उत्पीड़न करती हैं। मायावती ने कहा कि कांग्रेस के साथ अतीत में गठबंधन का अनुभव भी अच्छा नहीं रहा है और वह अपना वोट ट्रांसफर नहीं करा पाती है।