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शिक्षा मित्र ने कुछ यूं बयां किया अपना दर्द, आरिफ बनाम सारस -भाजपा सरकार बनाम शिक्षा मित्र
उत्तर प्रदेश में बीस साल से पीड़ित शिक्षा मित्र ने आज के परिवेश में दुखी होकर अपनी तुलना पीड़ित सारस पक्षी से की है। जिस तरह उसे दुखी किया जा रहा है उसी तरह शिक्षा मित्र को दुखी किया जा रहा है। इस बात को लेकर दुखी शिक्षा मित्र ने अपनी हकीकत कुछ यूं बयां कर दी। यह बात उसने जिस तरह लिखी उसी तरह प्रस्तुट की है।
शिक्षा मित्र ने लिखा
प्रिय मित्रों आप सभी आजकल एक इंसान आरिफ और सारस की मित्रता , प्रेम की खबरे पढ़ रहे हैं पूरी कहानी यह है कि आरिफ नाम का एक लड़का जब अपने खेतों पर गया तो उसे वहां एक घायल अवस्था मे पड़ा पक्षी मिला जिसकी टांग टूटी हुई थी औऱ वह लगभग मरने की अवस्था में था आरिफ उस पक्षी सारस को अपने घर ले आया और उसका इलाज करवाया उसको खाना पानी दिया और एक इंसान और पक्षी के बीच उस अपनेपन और प्यार से दोस्ती हो गई । जब इस दोस्ती के चर्चे होने लगे तो बन विभाग वाले उस सारस को जबरदस्ती पकड़ कर ले गए और उस सारस को आरिफ से दूर ले जाकर किसी चिड़ियाघर में ले जाकर छोड़ दिया । लेकिन वह सारस आरिफ के अपनापन प्रेम के लिए चिड़ियाघर से उड़कर कई किलोमीटर दूर आरिफ के पास पहुँच गया ।
यानी कि आप समझ सकते हैं कि जानवर भी किसी के एहसान प्रेम अपनत्व को कितनी शिद्दत से महसूस करते हैं ।
अब आप सोच रहे होंगे मैने इस कहानी को क्यो लिखा इस कहानी को मैने इसलिए लिखा कि भाजपा सरकार के मंत्री सन्तरी बार बार हर जगह शिक्षा मित्रों पर तंज कसते हैं कि शिक्षा मित्र सपा सरकार के हैं या वह सपा सरकार के गुण गान करते हैं । लेकिन क्या कभी भाजपा सरकार के माननीयो ने ये समझने की कोशिश की कि आखिर ऐसा क्यों है तो में उन्हें बताने की कोशिश करता हु की आखिर क्यों ऐसा है ऐसा इसलिए है कि सन 1999 में भाजपा सरकार ने जबसे अल्प मानदेय पर शिक्षा मित्रों की भर्ती की थी तबसे लेकर 2014 तक शिक्षा मित्र और उनका परिवार अल्प मानदेय के कारण भूखों मर रहा था एक एक दाने को मोहताज था तब समाजवादी पार्टी की सरकार ने उनका यह दुख दर्द समझा जैसे आरिफ ने उस सारस का दर्द समझा । और उस वक्त शिक्षा मित्रों और उनके परिवार बच्चो को खाने औऱ समाज मे सम्मान से जीने का अधिकार दिया जो सन 1999 से एक रुपये के अभाव में दम तोड़ रहे थे और समाज मे तिरस्कृत थे ।
जब 2017 का चुनाव हुए तो ऐसा नही है कि सभी शिक्षा मित्र औऱ उनके परिवारों ने सिर्फ समाजवादी को वोट दिए भाजपा सरकार को भी वोट दिए क्योकि उस वक्त शिक्षा मित्रों का केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था और सभी को उम्मीदे थी कि भाजपा सरकार शिक्षा मित्रों की जन्मदाता है और केंद्र में भी है अगर राज्य में भी होगी तो शिक्षा मित्रों का पक्ष और ज्यादा मजबूती से कोर्ट में रखा जाएगा औऱ अगर कोर्ट से भी केस में शिक्षा मित्रों के विरुद्ध कोई फैसला आता है तो शिक्षा मित्रों की जन्मदाता भाजपा की केंद्र और राज्य की सरकारें शिक्षा मित्रों के लिए पुनः कोई नियम कानून बनाकर उनका भला करेंगी । लेकिन इसे इत्तेफाक कहिये या कोई सोची समझी साजिश की जो शिक्षा मित्रों का केस कोर्ट में 2015 से पेंडिंग चल रहा था भाजपा की सरकार बनने के एक महीने के अंदर ही उस पर लगातार फाइनल सुनवाई हुई और उसके अगले महीने कोर्ट का फैसला शिक्षा मित्रों के खिलाफ आ गया ।
जब कोर्ट का फैसला शिक्षा मित्रों के खिलाफ आ गया उनकी दुनिया उजड़ गई तब प्रदेश के लाखों शिक्षा मित्र रोते बिलखते चीखते हुए अपनी जन्मदाता भाजपा सरकार के पास पहुचे जैसे किसी बच्चे पर कोई मुसीबत आने पर वह रोते हुए अपने मां बाप के पास जाता है ।
लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार ने शिक्षा मित्रों के आसुँ तक नहीं पोछें बल्कि पिछले 6 सालों से उन पर तंज जरूर कसा जाता है कि शिक्षा मित्र योग्य नही है , शिक्षा मित्र पूर्व की सरकारों के पाप है , शिक्षा मित्र फलाना है शिक्षा मित्र ढिमका है ।
पिछले 6 सालों में हजारों शिक्षा मित्र आत्म हत्या कर लिए , तो कोई इलाज के अभाव में मर खप गए लेकिन सरकार के किसी भी माननीय द्वारा सरकार द्वारा एक उफ तक नही निकली एक सांत्वना तक नही निकली ।
इस पर भी भाजपा सरकार का एक तुर्रा की हम शिक्षा मित्रों की क्यो सुने ये तो हमारी जय जयकार नही करते ये तो हमारी सरकार के गुणगान नहीं करते । ये तो सपा के गीत गाते हैं ।
अरे साहब आप यह क्यो नही समझते कि जब 14 साल बाद समाजवादी सरकार ने शिक्षा मित्रों का समायोजन किया था उनकी पीड़ा को समझा था तब उससे पहले सपा सरकार ने कभी शिक्षा मित्रों पर ये कहकर तंज नही कसे की शिक्षा मित्र तो भाजपा के गलत कर्मो से पैदा हुए नाजायज सन्ताने है या सपा ने शिक्षा मित्रों का समायोजन करने से पहले कभी उनसे ये नही कहा कि पहले तुम लोग समाजवादी पार्टी जिंदाबाद , अखिलेश यादव जिंदाबाद बोलो । यह तो जब शिक्षा मित्रों ने बोला जब पहले सपा सरकार ने शिक्षा मित्रों के मुंह मे निवाला दे दिया ।
अरे सहाब जैसे आरिफ को सारस घायल अवस्था मे तड़फता पड़ा मिला था वैसे ही आपको भी शिक्षा मित्र घायल अवस्था मे पड़ा मिला अगर आप उसका इलाज करते उसे खाने को देते उसे समाज मे जीने का पुनः हक देते तो सारस तो एक पक्षी है शिक्षा मित्र तो इंसान है वह आपके इस एहसान को कभी नही भूलते ओर आपको कभी ये कहने की जरूरत नही पड़ती की बोलो भाजपा जिंदाबाद वह तो आपके एहसान प्रेम अपनत्व को महसूस करके सारस की तरह लाख पिजरों को तोड़कर आरिफ ( भाजपा सरकार ) की तरफ दौड़े चले आते और आकर आपसे लिपट जाते ।
सहाब सारस ( शिक्षा मित्र ) आज भी घायल अवस्था मे पड़ा भूख प्यास दर्द से तड़फ रहा है जरूरत है भाजपा सरकार को आज आरिफ बनकर शिक्षा मित्रो को प्यार अपनत्व अपनापन समझकर उनकी मद्त करने की उन्हें फिर से समाज मे जीने लायक परिवार का पालन पोषण करने लायक बनाने की ।
आप एक बार ये करके देखिए शिक्षा मित्र रूपी सारस आपके प्यार में सारी दीवारे तोड़कर अपने आरिफ के पास उड़कर चला आएगा ।