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- शिक्षा मित्र लगा रहा...
शिक्षा मित्र लगा रहा है सरकार से गुहार, सीएम योगी जी अब आप ही बचा सकते हो हमारा परिवार
उत्तर प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षा मित्र अपने समायोजन रद्द होने के बाद अब बुरी तरह टूट चुका है। 2017 में शिक्षा मित्र का समायोजन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुआ था। तब से लेकर आज तक शिक्षा मित्र जिस वेतन पर नियुक्त हुआ यानि समायोजन रद्द होने के बाद उसे 10000 हजार रुपये मानदेय मिला वो आज भी दस हजार ही है। जबकि महंगाई ने अपना विकराल रूप धर लिया जबकि इस दौरान उसी स्कूल में काम करने वाले शिक्षक और कर्मचारियों को प्रति वर्ष टीए और डीए बढ़ता रहा।
शिक्षा मित्र को 10000 हजार रुपये मानदेय में यदि सरकार 500 सौ रुपये प्रतिवर्ष बढ़ाती तो भी आज शिक्षा मित्र 13000 हजार रुपये पा रहा होता। शिक्षा मित्र अब अपने साथियों की मौत और बच्चों की बढ़ती उम्र से चिंतित है अब किसी के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए जाने के लिए बैठे है तो किसी के बच्चे शादी योग्य हो चुके है। इस दौरान लगातार बीमारी और अवसाद से कई शिक्षा मित्र मौत के मुंह में भी चले गए है।
शिक्षा मित्रों से जब बात की तो वो फफक फफक कर रो पड़ते है, शिक्षा मित्रों में चाहे पुरुष हो या महिला सबकी यही हालत है, सोचिए आप दस हजार में आप अपने परिवार का खर्च तब कैसे चलाएं जब आप एक शिक्षक हों। शिक्षक और अन्य पेशा में नौकरी करने में अंतर है, शिक्षक को साफ सुधरा और ठीक कपड़े जुटे चप्पल पहनने होंगे जबकि आम नौकरी में इस संबसे हम सुरक्षित होते ही। शिक्षक समाज का आईना होता है और जब आईना ही खराब होगा तो हम किसकी मीशाल देंगे।
फिलहाल शिक्षा मित्र यूपी में प्राथमिक शिक्षा को प्रदेश ही नहीं देश की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा बनाने में अहम भूमिका निभाता है। यूपी की प्राथमिक शिक्षा को बिलुप्त होने से बचाने में अहम भूमिका निभाने वाला शिक्षा मित्र का जीवन ही अब बिलुप्त होता नजर आ रहा है। इस लिहाज से सरकार को इनकी मांग को मान लेना चाहिए।
रही शिक्षा मित्र सरकार का अंग है किसी राजनैतिक दल का सदस्य नहीं है क्योंकि जब बसपा सरकार थी तब बसपा सरकार ने इनको नियमित करने के लिए टेट और दूरस्थ बीटीसी की व्यवस्था की , उसके बाद अखिलेश सरकार आई तो उसने नियमित करने का काम किया। अब बीजेपी सरकार है तो शिक्षा मित्र सरकार का वेतन लेता है सरकार का अंग है। अब उसे मौजूद सरकार से ही उम्मीद है कि उसका भला हो जाए। रही बात आरोप लगाने की तो शिक्षा मित्र का वेतन कोई राजनैतिक दल नहीं उत्तर प्रदेश की सरकार देती है तो वो किसी दल का अंग नहीं सरकार का अंग है।
सरकार को अब शिक्षा मित्र के हिट को देखते हुए जल्द से जल्द कोई बड़ा कदम उठाना होगा ताकि इनके परिवार को बचाया जा सके। हालांकि अभी बीते दिनों सत्तारूढ़ दल के आवाहन पर लखनऊ में 20 फरवरी को एक रैली का भी आयोजन करके सरकार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त कर चुका है। अब शिक्षा मित्र अपनी व्यथा योगी की पाठशाला के माध्यम से भी अपनी योग्यता और अपने काम की बात पहुचने का प्रयास कर रहा है।
शिक्षा मित्र बुरी तरह अब टूट कर बिखर चुका है एसे में अब सरकार को सहारा जरूर दे देना चाहिए ताकि डेढ़ लाख परिवार ही नहीं उनसे जुड़े और लाखों परिवार को संतृप्त करने का काम कर देना चाहिए।