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शिक्षामित्र का प्रस्ताव बना, जल्द होगा सीएम के सामने पेश, मिल सकता है चुनाव से पहले तोहफा
उत्तर प्रदेश के डेढ़ लाख शिक्षा मित्रों में इस समय बड़ी जोर की हलचल मची हुई है। बीते नबंबर माह में शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला और प्रदेश महामंत्री सुशील यादव , रमेश मिश्रा समेत पूरा संगठन ने बड़ी मेहनत करके एक बड़ा काफिला लखनऊ में जोड़ दिया। जिसके चलते इस काफिले की भीड़ के चलते आनन फानन में सरकार के अधिकारियों से बातचीत हुई। इसी के बाद एक सरकार के अधिकारियों की एक कमेटी बनाई गई।
इस कमेटी में प्रदेश के अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला ने दूसरे संगठन के भी नेताओं को बैठक में शामिल किया। लेकिन उसके बाद फिर से सीएम की मुलाकात ने उसमें चार चाँद लगा दिए। इसके बाद अधिकारियों ने बड़ी जल्दी है प्रस्ताव तैयार हो गया है। इस प्रस्ताव में चार राज्यों के मानक प्रस्तुत किये गए है जिनमें मुख्यतः उतराखंड , एमपी , राजस्थान ,बिहार और केंद्र शासित राज्य चंडीगढ़ शामिल है।
अब इनमें से किसी एक राज्य के प्रस्ताव पर सरकार अपनी अंतिम मुहर लगा सकती है। इसमें शिक्षा मित्रों को अनुमानित 20000 हजार से लेकर 30000 हजार के मध्य में वेतन नियत हो सकता है। इस बात का अंदाजा इन राज्यों के प्रस्ताव से लगाया जा र हा है। अब देखना यह होगा कि सरकार इसमें क्या मान्य करती है।
फिलहाल लगातार सभी सांसदों के द्वारा लिखे गए पत्र, विधायकों के द्वारा लिखी गई बातें सब अब सरकार तक पहुंची है तो शिक्षा मित्रों का हिट जरूर होगा।
साथ ही इसी समय हाईकोर्ट की टिपण्णी भी आग में घी का काम कर रही है चूंकि कोर्ट ने तीन माह का समय दिया है जो आने वाली मार्च के महीने में पूरा हो जाएगा, चूंकि मार्च में आचार सहिंता लग सकती है इसके चलते सरकार को इससे पहले कोई निर्णय लेना पड़ेगा। लेकिन सरकार आचार सहिंता की बात कहकर कोर्ट से मई तक का समय भी ले सकती है। लेकिन बाद की बात में दम कम है चूंकि लोकसभा चुनाव है तो सरकार चुनाव से पहले शिक्षामित्रों को सौगात देने के मूड में दिख रही है। इससे बीजेपी का 80 लोकसभा का टारगेट पूरा हो जाएगा।