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मुलायम ने दी अखिलेश को नसीहत, मोदी अब भी माँ को साथ रखते है, बीजेपी खेमें में ख़ुशी तो गठबंधन मायूस
समाजवादी पार्टी के संरक्षक और जन्मदाता मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को लोकसभा में पीएम मोदी की तारीफ की. उनके इस तरह सदन में तारीफ करने से जहाँ बीजेपी खेमे में ख़ुशी है वहीँ सपा असहज महसूस कर रही है. 16 वीं लोकसभा के अंतिम दिन मुलायम सिंह ने मोदी को लेकर कसीदे पढ़े और कहा कि पीएम मोदी देश के पुनः प्रधानमंत्री बने. ऐसा प्रधानमंत्री देश को पहली बार मिला है जो सबका साथ और सबके विकास की बात करता है. यह बात मुलायम ने लोकसभा चुनाव से चंद समय पहले कही है.
मुलायम सिंह ने यह बात सदन में कही उसके बाद मीडिया का भूचाल आ गया. कुछ राजनैतिक पंडित तो यह भी कहते नजर आये कि विधानसभा में भी अखिलेश यादव की बुरी दुर्गति का यही जिम्मेदार थे जबकि अब लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश ने मायावती से अपना समझौता करके बीजेपी को एक बड़ी चुनौती पेश कर दी थी. उसको कमजोर करने का काम मुलायम सिंह ने किया है. हालांकि मुलायम सिंह अपने पहलवानी के दांव को राजनीत में कई बार आजमा चुके है जिसमें सभी चारों खाने चित्त ही गिरे है. लगता है इस बार उन्होंने अपने ही दांव से अपने बेटे को गिराने की कोशिश की है.
मुलायम ने इतनी बी बात नहीं कही, कहा कि देखिये एक गरीब घर में पैदा हुए मोदी आज भी अपनी बुजुर्ग माँ का कितना ख्याल रखते है. जबकि अब वो देश के प्रधानमंत्री है और उनकी माँ एक घरेलू महिला रही है. इसका मतलब उनका अखिलेश की तरफ इशारा था. जिसे सुनकर सभी भाजपाइयों ने मेज थपथपाकर स्वागत किया. इससे पहले भी वो अखिलेश को इन बातों की नसीहत देकर कमजोर करते रहे है. एक अप्रैल 2017 को मैनपुरी में एक रैली के दौरान कहा था कि जो अपने बाप का नहीं हुआ वो देश का क्या होगा. उससे पहले भी उन्होंने समाजवादी के कार्यालय में एक बैठक के दौरान भी कहा था कि मोदी की तरफ देखो. वे अपने समर्पण और संघर्ष से पीएम बने है. एक गरीब परिवार से आये है. कहते है कि में अपनी माँ के बिना नहीं रह सकता हूँ . आज तक उन्होंने अपनी माँ को नहीं छोड़ा है. उस समय भी उनकी नसीहत अखिलेश को ही थी.
बता दें कि चुनाव में एक बात के कई मायने निकाले जाते है. जिनमें कई तीर तुक्के सही बैठ जाते है. यह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह बात कहकर मुलायम ने एक बार फिर मोदी समर्थक होने का तमगा ले लिया है जो सपा को असहज स्तिथि में डाल सकता है. और इसका फायदा अब कांग्रेस को मिलना तय माना जा सकता है. चूँकि अभी गठबंधन को रोकने के लिए बीजेपी रास्ता तलाश रही है उसमें उसे एक नया शिगूफा मिल गया है. अब वो मंच से कहेंगे कि वो लोग जो खुद एकमत नहीं है बाप मोदी की वकालत करता है और बेटा मायावती को पीएम बनाना चाहता है जबकि जनता के नेता तो मुलायम सिंह यादव है अखिलेश तो पहली क्लास में है फेल हो चुके है. अखिलेश मुलायम के कंधे पर चढ़कर सीएम बने थे. अकेले लडे तो औकात पता चल गई है. इस पर बसपा भी एक बार विचार कर सकती है. लेकिन यह उम्मीद अभी न के बराबर है.