लखनऊ

उत्तरप्रदेश सरकार की प्राविधिक शिक्षा मंत्री श्रीमती कमल रानी वरुण का निधन

Shiv Kumar Mishra
2 Aug 2020 10:23 AM IST
उत्तरप्रदेश सरकार की प्राविधिक शिक्षा मंत्री श्रीमती कमल रानी वरुण का निधन
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उत्तरप्रदेश की प्राविधिक शिक्षा मंत्री श्रीमती कमल रानी वरुण का निधन। कुछ दिन पहले पाई गयीं थी कोरोना पॉज़िटिव। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज अयोध्या जाने का कार्यक्रम टला।

उत्तरप्रदेश सरकार की प्राविधिक शिक्षा मंत्री श्रीमती कमल रानी वरुण का निधन हो गया। उनका निधन ६२ वर्ष की उम्र में हो गया। उत्तरप्रदेश की प्राविधिक शिक्षा मंत्री श्रीमती कमल रानी वरुण का निधन। कुछ दिन पहले कोरोना पॉज़िटिव पाई गयीं थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज अयोध्या जाने का कार्यक्रम टला। 2015 में पति की मृत्यु के बाद 2017 में वह घाटमपुर सीट से भाजपा की पहली विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंची थीं।

प्रदेश के कैबिनेट का विस्तार करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने क्षेत्रीय विधायक कमलरानी वरुण को शामिल किया तो क्षेत्र वासियों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जनता से जुड़ी कमलरानी वरुण ने बूथ पर घूंघट में मतदाता पर्ची काटने से राजनीति की सीढ़ी चढऩी शुरू की और सांसद-विधायक बनने के साथ अब प्रदेश की मंत्री तक का सफर तय किया है। मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली।

लखनऊ में 3 मई 1958 को जन्मी कमलरानी वरुण की शादी एलआईसी में प्रशासनिक अधिकारी किशन लाल वरुण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रतिबद्ध स्वयंसेवक से हुई थी। बहू बनकर कानपुर आईं कमलरानी ने पहली बार 1977 के चुनाव में बूथ पर मतदाता पर्ची काटने के लिए घूंघट में घर की दहलीज पार की। समाजशास्त्र से एमए कमलरानी को पति किशनलाल ने प्रोत्साहित किया तो वह आरएसएस द्वारा मलिन बस्तियों में संचालित सेवा भारती के सेवा केंद्र में बच्चों को शिक्षा और गरीब महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई और बुनाई का प्रशिक्षण देने लगीं।

वर्ष 1989 में भाजपा ने उन्हें शहर के द्वारिकापुरी वार्ड से कानपुर पार्षद का टिकट दिया। चुनाव जीत कर नगर निगम पहुंची कमलरानी 1995 में दोबारा उसी वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुईं। भाजपा ने 1996 में उन्हें उस घाटमपुर (सुरक्षित) संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतारा। अप्रत्याशित जीत हासिल कर लोकसभा पहुंची कमलरानी ने 1998 में भी उसी सीट से दोबारा जीत दर्ज की। वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्हें सिर्फ 585 मतों के अंतराल से बसपा प्रत्याशी प्यारेलाल संखवार के हाथों पराजित होना पड़ा था। सांसद रहते कमलरानी ने लेबर एंड वेलफेयर, उद्योग, महिला सशक्तिकरण, राजभाषा व पर्यटन मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समितियों में रहकर काम किया।

वर्ष 2012 में पार्टी ने उन्हें रसूलाबाद (कानपुर देहात) से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा लेकिन वह जीत नहीं सकी। 2015 में पति की मृत्यु के बाद 2017 में वह घाटमपुर सीट से भाजपा की पहली विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंची थीं। पार्टी की निष्ठावान और अच्छे बुरे वक्त में साथ रहीं कमलरानी को योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में मंत्री पद उनकी सतत निष्ठा का परिणाम माना जा रहा है।

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