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- भूँख से बेहाल अनुदेशक...
भूँख से बेहाल अनुदेशक ट्रांसफर का आदेश सुनकर रात भर नहीं सोया, आखिर हमें जीने नहीं दिया जाएगा
अनुदेशक अपने ट्रांसफर को लेकर बीते दो वर्ष से लगातार संघर्ष कर रहा था। इसको लेकर अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह लगातार प्रदेश के अधिकारियों के चक्कर लगा रहे थे, बीते दिनों एक आदेश आया जिससे लगा कि कुछ संसोधन करके जरूर कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा।
उस रास्ते को निकालने के लिए बीजेपी के विधान परिषद सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह से प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार से फोन पर बातचीत करके समस्या का समाधान करने की बात की गई। उसके बाद राज्यसभा सांसद डॉ राधा मोहन अग्रवाल ने भी अधिकारियों से फोन से बात करके उक्त समस्या का समाधान करने की बात कही गई। लेकिन समाधान तो नहीं हुआ समस्या खड़ी हो गई है।
मंगलवार को एक नया आदेश और जारी हुआ जिसमें सर प्लस शिक्षकों के ट्रांसफर की बात काही गई और साथ में उसमें सर प्लस अनुदेशकों के स्कूलों समेत सूची जारी की गई। यह सूची देखकर अनुदेशकों में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि इस सूची के बाद अब किसी भी अनुदेशक के जॉब जाने का खतरा नहीं रहेगा लेकिन इससे समस्या बढ़ गई है, अब कई अनुदेशक जो अपने घर से दस किलोमीटर की दूरी के दायरे में थे उन्हे भी अब 25 से 50 किलोमीटर तक जाना पड़ेगा। सबसे ज्यादा इस आदेश से महलाएं पीड़ित है।
एक अनुदेशिका ने फोन पर रोते रोते बताया कि सर मेरा ट्रांसफर अब एक गंगा की कटरी में पढ़ने वाले स्कूल में होगा जो मेरे घर से चालीस किलोमीटर के आसपास है। जबकि हमने आज तक जिले को कई अवार्ड प्राप्त कराए है। उसके बाद हम महिला है हम उस स्कूल तक कैसे पहुंचेंगे। और कहकर अनुदेशिका फूट फूट कर रोने लगी। एसे देर रात से कई फोन आए उनको सुनकर बड़ा हैरानी हो रही है।
साथ ही एक अनुदेशक ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि मेरे स्कूल में संख्या 100 प्लस है लेकिन हेड मास्टर द्वारा अपडेट नहीं किए जाने से मेरे स्कूल का भी और मेरा नाम सर प्लस अनुदेशकों की सूची में आ गया है तब उन्हे स्कूल के बच्चों की संख्या दर्ज करके उस हालत में खंड शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट से हटवाया जा सकता है यह जानकारी दी गई है।
बता दें कि इस ट्रांसफर में तो एक पुरानी कहावत चरितर्राथ हो गई कि चौबे थे छब्बे बनने के लिए गए छब्बे तो छोड़िए अब चौबे भी नहीं रहे दुबे बनकर लौटे है। इतना आखिर इनके साथ सरकार बुरा वरताव क्यों कर रही है। अगर सरकार को लगता है कि अनुदेशक से सरकार को कोई लाभ नहीं है तो इनके जीवन बर्बाद करने की जगह इन्हे मुक्ति दे दे तो ज्यादा बेहतर होगा।
साथ ही गाजीपुर जिले के अनुदेशकों ने अनुदेशक साथियों से कहा है कि शासन द्वारा अनुदेशक ट्रांसफर का नवीन आदेश आया है जिसमें 100 संख्या की बॉउंडेशन है साथियों जहां पर हम सुरक्षित है ,इस ट्रांसफर से हमें उससे भी अधिक दूर किया जा रहा है ,और जबरदस्ती हम पर दबाव बनाकर हमारी सुविधा को न देखते हुए ट्रांसफर किया जा रहा है। जिसके फल स्वरूप किसी को लाभ नहीं है वरन केवल हम सभी को परेशान वह प्रताड़ित किया जा रहा है। इस शासनादेश के अनुरूप किसी का भी ट्रांसफर नहीं हो पाएगा व तमाम यातनाओं को झेलना पड़ेगा। जिसके संबंध में तमाम साथियों के लगातार फोन आ रहे हैं। विचार विमर्श के उपरांत हम सभी लोगों ने यह निर्णय लिया है कि इस विसंगति पूर्ण स्थानांतरण के इस आदेश पर हम सभी स्टे लेने जा रहे हैं, आप सभी साथियों का क्या विचार है।
आप सभी इस पर अपना विचार व्यक्त करें। क्योंकि समय बहुत कम है। एक-दो दिन में हम लोग कोर्ट का रुख करेंगे इसमें आप सभी का विचार सर्वोपरि व प्रार्थनीय है कृपया अपना विचार दें क्योंकि संख्या का बॉउंडेशन अगर हम दूसरे जगह भी चले जाते हैं तो वहां भी आ सकती है इसलिए 100 की बाध्यता को हटाते हुए नवीन विद्यालयों को जोड़ते हुए स्थानांतरण की प्रक्रिया पूर्व स्थानांतरण व विद्यालय परिवर्तन के शासनादेश के अनुसार पूर्ण की जाए । यही हमारी मुख्य मांगे हैं ट्रांसफर के उपरांत हम अपने घर के नजदीक रहें ना कि फिर से 100 से 150 किलोमीटर दूर अन्य ब्लाकों में चले जाएं।