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- यूपी में आरोग्य योजना...
यूपी में आरोग्य योजना से शिक्षा मित्र और अनुदेशक को शामिल किए जाने मांग पकड़ रही है जोर
उत्तर प्रदेश में अनुदेशक और शिक्षा मित्र अब आरोग्य योजना के तहत खुद को जोड़ने की मांग कर रहा है। इस मांग से कम सेकम इन गरीब लाचार बेसहारा शिक्षा मित्र और अनुदेशक को इलाज मिल जाएगा जिससे रोज हो रही इलाज के अभाव में मौतों पर रोक लग सकती है। रोजना हो रही मौतो में सबसे ज्यादा गरीबी और आर्थिक तंगी के चलते इलाज ने मिल पाने के कारण हो रही है।
इस आरोग्य योजना की मांग उत्तर प्रदेश शिक्षा मित्र संघ के कौशल किशोर ने करते हुए कहा है कि हम शिक्षा मित्रों में गरीबी और आर्थिक तंगी के चलते बीमार होने पर समुचित इलाज न मिलने का कारण हमारे हजारों की संखया में साथी जीवन खो चुके है। हम सरकार से मांग करते है कि सरकार को इस मांग पर सख्त रुख अपनाते हुए हमारी मांग को स्वीकार कर लेना चाहिए। आरोग्य योजना में शामिल होने के बाद कम से कम इलाज के संकट से हम जीवन नहीं खोएंगे। जब आर्थिक तंगी की कारण इलाज नहीं मिलता है तो शिक्षा मित्र तड़फ तड़फ कर अपनी जान खो देता है।
अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह ने कहा कि अनुदेशक इस धरती को वो निरीह प्राणी है जिसके लिए कामों का तो अंबार लगा हुआ है लेकिन किसी फायदे के लिए उसके नाम और पद के आगे लाल निशान लगा हुआ है। सरकार हमें आरोग्य योजना में शामिल कर ले तो कम से कम हम बीमारी से मरने से तो बच सकेंगे। इतना ही काम कर डे कम से कम, हम यही सोचेंगे कि सरकार को हमारी चिंता है।
उत्तर प्रदेश में 1 लाख 58 हजार शिक्षा मित्र और 27000 हजार अनुदेशक है। शिक्षा मित्र 10000 हजार में पढ़ा रहा है जबकि उसका समायोजन 2017 में निरस्त हो चुका है और 40000 हजार से सीधा 10000 हजार पर या गया इसकी चर्चा सदन में नहीं होती है सदन में चर्चा 3500 रुपये के वेतनमान को हमने 10000 हजार कर दिया उसकी होती है जबकि इसी सरकार के कार्यकाल मे 40000 हजार से वेतन 10000 हजार किया गया है तब से लेकर आज तक शिक्षा मित्र को कोई नया पुरस्कार नहीं मिला। जबकि महंगाई तीन गुणी से भी ज्यादा हो गई।
जबकि अनुदेशक का वेतनमान 7000 हजार था जिसे 8470 किया गया जिसे इसी सरकार द्वारा फिर से 7000 हजार किया गया अभी नाइट वर्ष अनुदेशक के वेतन में 2000 हजार का इजाफा किया गया। अनुदेशक 1 दिसंबर को कोर्ट से 17000 हजार एक वर्ष के लिए वेतन बढ़ाए जाने के सरकार की अपील को जीत चुका है लेकिन तीन माह होने चुके है लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
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