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- यूपी के दो पुलिस...
उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2020 जनवरी में सूबे में दो नई कमिश्नरियों का गठन किया था. इनमें सूबे की राजधानी लखनऊ और प्रदेश के सबसे हाईटेक जिले गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) को कमिश्नरी बनाया गया था. चूँकि यूपी में यह प्रयोग दूसरी बार किया गया था. इससे पहले एक बार पूर्व सीएम रामनरेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में प्रदेश के औधोगिक नगर कानपुर को कमिश्नरी बनाया जा चूका था जो प्रयोग फेल हो गया था.
उसके बाद यह मामला ठंडे बसते में चला गया था. फिर अपराध रोकने के कई नये नये प्रयोग किये गए. कभी महानगर और बड़े जिलों एसएसपी की पोस्ट पर डीआईजी की तैनाती रही हो या फिर मंडल स्तर पर आईजी की पोस्टिंग अथवा ज़ोन एडीजी की पोस्टिंग हो. उसके बाद योगी सरकार ने दो नई कमिश्नरियों को प्रयोग के तौर पर लांच किया. उसके बाद अभी प्रयोग जारी है.
अब सुनने में आया कि पहले मिले अधिकारों में से कुछ अधिकार अब फिर से जिलाधिकारी को दिए जायेंगे. पुलिस कमिश्नर के अधिकारों में कटौती करते हुए गृह विभाग ने CRPC की 2 धाराएं हटाने का लखनऊ, नोएडा के डीएम से प्रस्ताव मांगा था. CRPC की धारा 133,145 का प्रस्ताव अब जिलाधिकारियों ने शासन को दे दिया है. फिलहाल इन धाराओं में अधिकार सीपी के पास हैं.
शासन ये अधिकार अब DM को देना चाहता है. जिससे लखनऊ, नोएडा के सीपी की पॉवर कम होगी. गृह विभाग ने 10 नवंबर को यह रिपोर्ट मांगी थी. जिस पर सरकार जल्द ही कार्य करके ये अधिकार एक बार फिर से जिलाधिकारियों को दे दिया जाएगा.
क्या है धारा 133
दंड प्रक्रिया संहिता ( क्रिमिनल प्रोसीजर कोड या सीआरपीसी) की धारा 133 में सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट को यह शक्ति दी हुई है कि यदि कहीं न्यूसेंस की शिकायत उसे प्राप्त होती है तो वह सभी पक्षों की सुनवाई कर के न्यूसेंस हटाने का आदेश दे सकता है.
क्या है धारा १४५
भारतीय दंड संहिता की धारा 145 के अनुसार, जो भी कोई किसी विधिविरुद्ध जनसमूह जिसे बिखर जाने का समादेश विधि द्वारा निर्धारित ढंग से दिया गया है, में जानबूझकर सम्मिलित हो, या बना रहे, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा.