लखनऊ

शिक्षा मित्रों की मौत के बाद भी नहीं जाग रही सोई हुई सरकार, महिला शिक्षा मित्र हुई बर्खास्त

Shiv Kumar Mishra
22 Jan 2023 3:20 PM IST
शिक्षा मित्रों की मौत के बाद भी नहीं जाग रही सोई हुई सरकार, महिला शिक्षा मित्र हुई बर्खास्त
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शिक्षा मित्र और अनुदेशकों की मौत पर सरकार की ओर से कोई भी आर्थिक सहायता नहीं मिलती है।

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षा मित्रों की मौत लगातार हो रही है। कुछ अपने प्राणों को परेशान होकर आत्महत्या सरीखा कदम उठाकर तो कई आर्थिक हालतों की चलते इलाज के अभाव में मौत के मुंह में समा रहे है। कुछ शिक्षा मित्र इस आँकड़े को 8 हजार तक बताया रहे है जबकि बीते दो माह में 30 लोगों की मौत होना बताया जा रहा है।

अभी बीते 12 जनवरी को इस सबको लेकर शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला ने एक रैली सूबे की राजधानी लखनऊ में बुलाई थी। इस रैली में भारतीय जनता पार्टी के दो विधायक भी शामिल हुए जिन्होंने इस बात को सरकार तक पहुंचाने की बात कही। रैली के कुछ देर बाद बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद से शिवकुमार शुक्ला ने अपना मांग पत्र भी दिया था। शिक्षा मित्रों का काम करते करते लगभग 20 वर्ष हो चुके लेकिन उनको अभी भी न्यूनतम वेतनमान भी नहीं मिलता है।

अब एक और रैली के आयोजन की चर्चा बड़ी तेजी से हो रही है जिसका आयोजन 20 फरवरी को होना बताया जा रहा है। इसमें चर्चा हो रही है कि एक केंद्रीय मंत्री और बेसिक शिक्षा मंत्री के आने की बात कही जा रही है। वहीं अब तक न तो मौतों से प्रभावित होकर सरकार स्वतः संज्ञान ले रही है न ही पक्ष विपक्ष का कोई नेता इसको सरकार के सामने सवाल के रूप में पुंछ रहा है।

आज शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों का वोट तो सबको चाहिए लेकिन क्या इनके समायोजन की भी कोई दल या नेता सरकार से बातचीत करेगा या दबाब बनाएगा। फिलहाल अगर अनुदेशक शिक्षा मित्र अपना दबाब बना पाए तो इस साल इनका समायोजन हो सकता है क्योंकि लोकसभा के चुनाव में सभी दल व्यस्त हो चुके है ये दो लाख परिवार अगर इकठठे हुए तो किसी भी दल कजी हवा जरूर जरूर निकाल देंगे।

इस सवाल के बाद लगातार सत्ता धारी दल के लोग आपसे संपर्क जरूर करेंगे लेकिन इस बार आपको सिर्फ समायोजन और नियमितीकरण की बात का ऑर्डर ले लेना चाहिए। अब वादों के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। अब एसा माहौल बनता नजर आ रहा है। आप सबकी आवाज अब सरकार के कानों में हर समय गूँजती रहती है। आगर इस आवाज में संख्या बल बढ़ता चला गया तो जल्द पाके पास नेता आना शुरू हो जाएंगे। लिहाजा अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर अपना अधिकार ले लीजिए इससे बढ़िया मौका नहीं मिलेगा।

क्योंकि न तो आपके मृत साथियों को न तो सरकार के द्वारा कोई मुआवजा नहीं मिला है। आप सबकी मौत के बाद भी सरकार ने कोई सुध नही ली। इस सबमें सरकार के साथ साथ अधिकारी भी बराबर के दोषी है आगर वो आपके क्रिया कलापों की रिपोर्ट सही प्रस्तुत करते तो सरकार अब तक जरूर कुछ न कुछ कर देती।

अभी बीते दिनों कासगंज जिले के एक प्राथमिक स्कूल मे शिक्षका और शिक्षा मित्र के बीच एक मारपीट का वीडियो आया था जिसमें उसे बर्खास्त कर दिया गया जबकि सरकारी टीचर कर खिलाफ क्या कार्यवही हुई पता नहीं चला । शिक्षा मित्र की वजह से शिक्षा विभाग की छवि धूमिल होना बताया गया जबकि मारपीट दोनों पक्षों द्वारा की गई। सजा फिर एक को क्यों मिली?

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