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यूपी में गूंज रही है गोलियों की आवाज, पुलिस हिरासत, जेल में हत्या, कोर्ट कचहरी भी नहीं बची
उत्तर प्रदेश में अब गोलियों की तड़तड़ाहट किस जगह गूंजने लगे सोचिए मत। यह अब हम नहीं कहते है मौजूद स्तिथियाँ कह रही है। फिलहाल के हालात बताया रहे है पुलिस अभिरक्षा में नए अपारधियों ने माफिया का अंत किया। जेल में हत्या हो रही है। अब आज कोर्ट में भी नए युवा आरोपी द्वारा किसी जघन्य अपराधी की हत्या जज साहब की मेज के सामने कर दी है। आखिर हम किस अपराध को खत्म और किस अपराध को जन्म दे रहे है।
अब हम आपको सिलसिलेवार बताते है। पहले पुलिस कस्टडी में अतीक और अशरफ की हत्या और आज लखनऊ कोर्ट के भीतर अपराधी संजीव जीवा की हत्या ऐसा लग रहा है जैसे यूपी फिर से 90 के दशक वाले गैंगवॉर वाले दौर में लौट गया है। अपराधियों का एक धड़ा कमजोर हुआ है तो वहीं दूसरा धड़ा इतना मजबूत हो गया है कि पुलिस हिरासत तो छोड़ दीजिए। जेल में हत्याएं तो छोड़ दीजिए। कोर्ट कचहरियां गोलियों की आवाजों से गूंज रही हैं।
इस घटना की अंजाम देने वाला कुख्यात संजीव के हत्यारे की पहचान विजय यादव पुत्र श्यामा यादव निवासी केराकत जिला जौनपुर के रूप में हुई है। शूटआउट में सौरभ नाम के व्यक्ति के बच्चे के पीठ में लगी गोली, सिपाही के पैर में लगी गोली। बलरामपुर अस्पताल में दोनों का इलाज चल रहा है। आक्रोशित वकील धरने पर बैठे, लखनऊ की सुरक्षा व्यवस्था की धज्जियाँ उद रही है।
बमुश्किल 19 साल के विजय यादव ने वकील वेष में दो दबंग विधायकों की हत्या में आरोपित संजीव महेश्वरी उर्फ़ जीवा को मार डाला। हत्यारे का आपराधिक इतिहास नहीं है। घटना में बच्ची लक्ष्मी, सिपाही लाल मोहम्मद को गोली लगी है। 18/18 साल के लड़के माफिया को मार रहे हैं-ये क्या है ? सोचिये जरा सोचिए क्या हम एक बार फिर से नए गेंगवार को जन्म देने जा रहे है।