लखनऊ

UP: राजा भइया पर दर्ज हैं 47 मुकदमे, योगी सरकार बोली,कोई केस वापस नहीं लिया है

Shiv Kumar Mishra
19 July 2020 10:14 PM IST
UP: राजा भइया पर दर्ज हैं 47 मुकदमे, योगी सरकार बोली,कोई केस वापस नहीं लिया है
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राजा भैया के खिलाफ कुंडा के साथ ही महेशगंज, प्रयागराज, रायबरेली के ऊंचाहार और राजधानी लखनऊ में हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, अपहरण समेत अन्य संगीन धाराओं में 47 मुकदमे दर्ज हैं।

उत्तर प्रदेश की सियासत में अच्छी धमक रखने वाले प्रतापगढ़ जिले के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने प्रतापगढ़ के कुंडा विधानसभा क्षेत्र से लगातार सात बार निर्दलीय चुनाव जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया था. जनसत्ता दल नाम से अपनी पार्टी बना लेने वाले राजा भैया का नाम फिर से चर्चा में है.

राजा भैया के खिलाफ कुंडा के साथ ही महेशगंज, प्रयागराज, रायबरेली के ऊंचाहार और राजधानी लखनऊ में हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, अपहरण समेत अन्य संगीन धाराओं में 47 मुकदमे दर्ज हैं. कुछ मुकदमों में राजा भैया को न्यायालय से राहत मिल चुकी है, तो ऐसी खबरें भी आईं कि कुछ मुकदमे शासन-सत्ता के दबाव में वापस हो चुके हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सरकार से मुकदमे वापस लिए जाने के कारण पूछे थे. अब उत्तर प्रदेश सरकार ने सफाई दी है.

अपराधियों और बदमाशों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही योगी सरकार की ओर से कहा गया है कि राजा भैया से जुड़ा कोई मुकदमा वापस नहीं हुआ है. सरकार की ओर से मुकदमा वापस लिए जाने संबंधी खबरों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार के गठन के बाद राजा भैया से जुड़ा एक भी मुकदमा वापस नहीं लिया गया है.

गौरतलब है कि साल 2002 में बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार के समय झांसी के विधायक पूरण सिंह मंडेला के अपहरण के मामले में राजा भैया को जेल भी जाना पड़ा था. तब बसपा सुप्रीमो मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं. तब लगभग ढाई साल के बाद राजा भैया जेल से बाहर आ पाए थे. मायावती के शासनकाल में राजा भैया पर पोटा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी, जिसे केंद्र में कांग्रेस की सरकार आने के बाद समाप्त कर दिया गया था. राजा भैया की बेंती कोठी पर हुई छापेमारी में तालाब से हजारों नरकंकाल मिले थे.

2010 में भी हुई थी जेल

राजा भैया को साल 2010 में भी जेल जाना पड़ा था. तब भी प्रदेश में मायावती की सरकार थी. 19 दिसम्बर 2010 को ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के दौरान बीडीसी सदस्य के अपहरण का मामला हुआ. बसपा नेता मनोज शुक्ला और राजा भैया के बीच अदावत थी. हाईवे पर लगभग दो घंटे तक गोलीबारी की घटना हुई. इस मामले में राजा भैया, एमएलसी गोपालजी ,विधायक विनोद सरोज और कौशांबी के तत्कालीन सांसद शैलेन्द्र को भी पूरी रात पुलिस ने कुंडा कोतवाली में बैठाया था. अगले दिन यानी 20 दिसंबर को मुकदमा दर्ज हुआ और राजा भैया को जेल जाना पड़ा.

जेल से छूटने पर पहुंचे थे योगी आदित्यनाथ भी

राजा भैया जब जेल से छूटे, तब वहां अखिलेश यादव, राज ठाकरे, वरुण गांधी और योगी आदित्यनाथ भी पहुंचे थे. 3 मार्च 2013 को हुई क्षेत्राधिकारी (सीओ) जियाउल हक की हत्या के मामले में भी राजा भैया का नाम आया था. इसके बाद राजा भैया को अखिलेश मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. हालांकि, इस मामले में सीबीआई जांच के बाद उन्हें क्लीनचिट मिल गई थी और राजा भैया को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था. जियाउल हक की पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अब कोर्ट के आदेश पर इस मामले की फाइल फिर से खोली गई है.

2000 लाख के गबन का भी है आरोप, चल रही जांच

राजा भैया पर खाद्य एवं रसद मंत्री रहते 2000 लाख करोड़ रुपये के गबन का भी आरोप लगा था. इस घोटाले की जांच अब भी चल रही है. राजा भैया पर यादव सिंह यादव के मामले में भी आरोप लगे. ब्लैक मनी से जुड़े इस मामले में उनकी पत्नी भानवी, एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह के नाम भी सामने आए थे. इस मामले की जांच भी एसआईटी कर रही है.

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