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लोकसभा संग्राम 66 -गठबंधन में जगह मिलने की आस छोड कांग्रेस ने अपनी बेसाखियां तलाशना किया शुरू
लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी
राज्य मुख्यालय लखनऊ। जहाँ एक और सर्दी का पारा गिर रहा है वही यूपी का सियासी पारा सातवें आसमान पर है।यूपी में गठबंधन का हिस्सा न बनने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस को कम आँकना बहुत बड़ी भूल होगी ज़ाहिर सी बात है कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी स्ट्रेटेजी पहले ही तैयार कर रखी थी कि अगर यूपी में कांग्रेस को गठबंधन में शामिल नही किया जाएगा तो कांग्रेस प्रियंका गांधी को मैदान में उतार सबको चौका देगी हुआ भी वही राहुल गांधी के मास्टर प्लान के चलते सभी सियासी दल हैरान और परेशान है कि कांग्रेस क्या करना चाहती है उसके बाद से यूपी में सियासी उथलपुथल रूकने का नाम नही ले रही है प्रियंका गांधी रात-रात भर जागकर कांग्रेस को खड़ा करने का प्रयास कर रही है और साथ ही नए साथियों की तलाश भी कर रही है जिसके चलते महान दल से गठबंधन करने का फ़ैसला हो गया इसके बाद यादव परिवार के चिराग़ जो अपने भतीजे की तानाशाही के चलते अलग पार्टी बनाने को मजबूर हुए मुलायम सिंह यादव के सबसे चहेते शिवपाल सिंह यादव से गठबंधन पर फ़ैसला हो सकता है हालाँकि शिवपाल यादव पहले ही कह चुके है हम कांग्रेस से गठबंधन करने के लिए तैयार है।
अब प्रियंका गांधी और शिवपाल सिंह यादव के बीच मुलाक़ात के बाद तय होगा की आगे क्या और कैसे काम किया जाए। माना जा रहा है कि इन दोनों के बीच में सेतु का काम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी एल पुनिया कर रहे हैं फिलहाल प्रियंका गांधी की शिवपाल से फ़ोन पर बात हुई है कोई सियासी बातचीत नही हुई ऐसा बताया जा रहा है कि सिर्फ़ एक दूसरे की मिज़ाज पोशी हुई है आगे मिलने मिलाने की बात होकर बात खतम हो गई।सियासी तौर पर इतनी ही बातचीत के कई मायने निकाले जा रहे है सूत्रों के मुताबिक अगर गठबंधन हुआ तो बँटवारे में शिवपाल को पश्चिम उत्तर प्रदेश में ज़्यादा सीटें दी जा सकती है मध्य तथा पर्वांचल में कांग्रेस ज़्यादा सीटें अपने पास रखना चाहती है।
माना जा रहा है कि नई पार्टी बनाने के बाद अपने भतीजे अखिलेश यादव उर्फ़ टीपूँ सहित समाजवादी के सभी नेताओं का यह आरोप शिवपाल पर लगता था कि वह तो भाजपा के लिए और उसके दिए पैसे पर काम कर रहे है जबकि सपा के नेतृत्व पर चाहे मुलायम हो या अब अखिलेश पर हमेशा भाजपा से मिलीभगत के आरोप लगते है कई बार तो ऐसा भी हुआ कि खुलकर ही सामने दिखा कि यह काम भाजपा के कहने पर सपा ने किया है जैसे मुज़फ़्फ़रनगर के दंगे आदि बहुत से सियासी फ़ैसले लेकिन शिवपाल यादव और कांग्रेस के साथ गठबंधन हो जाने के बाद सपा नेतृत्व या उनके नेता शिवपाल पर मोदी की भाजपा से मिलीभगत का आरोप नही लगा सकेंगे।
कांग्रेस को शिवपाल का लाभ मिलेगा या नही यह तो चुनाव बाद तय हो पाएगा लेकिन शिवपाल को यकीनी तौर फ़ायदा होने जा रहा है क्योंकि एक राष्ट्रीय पार्टी के द्वारा गठबंधन कर लेने से क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा तो हो ही जाएगा और किसी भी नई नवेली पार्टी को स्थापित होने के लिए इस तरह का फ़ैसला संजीवनी का काम करता है सियासी जानकार कहते है कि शिवपाल सिंह यादव को सियासी रूख समझने में देर नही लगती है वह भलीभाँति जानते है कि कांग्रेस से गठबंधन के मेरे लिए क्या फ़ायदे है इसी लिए वह देर नही करेगे कांग्रेस की हाँ में हाँ मिलाने में शिवपाल सिंह यादव कांग्रेस से बहुत जल्द हाथ मिलाते नज़र आएँगे ऐसा ही सियासी हल्के में चर्चा हो रही है।