लखनऊ

9000 हजार पाने वाले अनुदेशक के खिलाफ यूपी सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

Shiv Kumar Mishra
11 April 2023 9:07 AM IST
9000 हजार पाने वाले अनुदेशक के खिलाफ यूपी सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट
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यूपी सरकार ने डबल बैंच के आदेश को सुप्रीमकोर्ट में दी चुनौती।

उत्तर प्रदेश के अनुदेशक अब एक बार फिर से बैचेन हो गए है, बीते एक दिसंबर को जब इलाहाबाद और लखनऊ की संयुक्त बैंच की सुनवाई में चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जेजे मुनीर के फैसले के बाद अनुदेशक उम्मीद के सहारे जी रहा था। इस फैसले में सरकार को कोर्ट ने एक साल यानि 11 माह का वेतन 17000 हजार रुपये प्रति महीना के हिसाब से भुगतान करने की बात कही साथ ही अगले बढ़े हुए वेतन को सरकार के ऊपर संज्ञान लेने के लिए छोड़ दिया था।

लेकिन सरकार चार माह तक इंतजार करते हुए तीन दिन पहले यानि 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट चली गई। सरकार अनुदेशकों को आखिर 17000 हजार देने में मुकर क्यों रही है। जबकि बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हेंडील से सरकार बनने के बाद पार्टी अनुदेशकों के 17000 हजार देने का वादा कर चुकी है। फिर यकायक इन अनुदेशकों से क्या नाराजगी हुई आज तक जानकारी नहीं मिली है। यह ठीक उसी तरह का व्यवहार है जिस तरह से कोई किसी से बेहद नाराज हो।

अब सरकार के एसएलपी दाखिल कर दिए जाने से अनुदेशकों में एक बार फिर से मायूसी आ गई है। उधर अनुदेशक भी सरकार के खिलाफ अपने मानदेय को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका 5 अप्रैल को दाखिल कर चुका है। हालांकि केबिएट को कई अनुदेशक दाखिल कर चुके है लेकिन बता नहीं रहे थे ये खुलासा भी बाद में हुआ है। बता दें कि अब अनुदेशकों के दो केस सुप्रीमकोर्ट में शुरू हो चुके है एक तो जो सरकार के द्वारा एसएलपी दाखिल की गई है। दूसरा केस जो अनुदेशक अपने मानदेय के आदेश को लेकर कोर्ट चला गया है।

उम्मीद की जा रही है कि अनुदेशकों के केस की हियरिंग जल्द होने की उम्मीद दिख रही है। चूंकि सुप्रीमकोर्ट इस तरह के मामले में जल्द से जल्द न्याय करने के लिए अभी तैयार दिख रहा है। चूंकि मामला किसी सरकार के विरोध का नहीं 26000 हजार परिवारों के भरण पोषण का है। इस लिहाज से कोर्ट जल्द वाजी भी कर सकता है। चूंकि सुप्रीमकोर्ट के अलावा आदमी न्याय मांगने कहा जाएगा।

उधर कैबिएट भी दाखिल हो चुकी है तो कोर्ट उस एसएलपी पर अनुदेशकों के पक्ष को भी सुनेगा। अनुदेशकों के केस में वकील एपी सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि हम सबसे पहले तय समय सीमा के भीतर सरकार कोर्ट नहीं पहुंची यानि 90 दिन के भीतर एसएलपी दाखिल नहीं की गई है। उसके बाद हम आगे की रणनीति तय करेंगे। चूंकि हमने सभी कारण अपनी कैबिएट में दाखिल किए है।

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