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उत्तर प्रदेश पूरे भारत से होने वाले मीट एक्सपोर्ट में 50.34 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है
Ansar Imran SR
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 18 नवंबर को लखनऊ में FIR दर्ज होने के बाद प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेशन तहत बनने वाले प्रोडक्ट्स पर बैन लगा दिया है। इस बैन के बाद ही ऐसे प्रोडक्ट के बनाने, खरीदने और बेचने पर पूर्ण पाबन्दी लग चुकी है।
हैरानी की बात ये है कि जिस मामले में सबसे ज्यादा हलाल प्रोडक्ट को देखा जाता है मीट इंडस्ट्री उस मामले में इस बैन के तहत कोई बात नहीं की गयी है।
मुसलमानों को धार्मिक तौर पर केवल हलाल मीट खाने की इजाजत है इसी वजह से मुसलमान हमेशा मीट के मामले में हलाल की जाँच परख जरूर करता है। हालिया समय में फैशन इंडस्ट्री और कुछ दूसरे प्रोडक्ट्स में भी हलाल प्रोडक्ट्स की मांग तेजी से बढ़ी है।
पिछले पांच साल में भारत ने सवा लाख करोड़ का बीफ विदेशों में निर्यात किया है जिसमें अधिकतर खाड़ी के मुस्लिम देश हैं। बीफ एक्सपोर्ट के मामले में भारत विश्व में दूसरे नंबर पर आता है।
'स्टेट ऑफ द ग्लोबल इस्लामिक इकोनॉमी रिपोर्ट 2020-21' के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा हलाल मीट का निर्यात ब्राजील करता है। दूसरे नंबर पर भारत है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 में ब्राजील ने 16.2 अरब डॉलर का हलाल मीट एक्सपोर्ट किया था। वहीं, भारत ने 14.2 अरब डॉलर का हलाल फूड निर्यात किया था।
APEDA के मुताबिक, देश में 10 करोड़ से ज्यादा भैंस, 15 करोड़ बकरियां और 7.5 करोड़ भेड़ हैं। इन्हीं का मांस दूसरे देशों में भेजा जाता है। सरकार ने गाय के मांस (बीफ) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। दुनिया में सबसे ज्यादा डिमांड भैंस के मांस की होती है। भारत में भी सबसे ज्यादा मांस भैंस का ही किया जाता है। भारत ने 2020-21 में दुनियाभर में 10.86 लाख मीट्रिक टन भैंस का मांस निर्यात किया।
भारत से होने वाले मीट एक्सपोर्ट का ग्राफ साल दर साल बढ़ता जा रहा है। बड़ी बात यह भी है कि यूपी इस एक्सपोर्ट में दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे आगे है।
उत्तर प्रदेश पूरे भारत से होने वाले मीट एक्सपोर्ट में 50.34 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है।
वहीं पूरे यूपी में अलीगढ़ मीट एक्सपोर्ट में अव्वल है। हाल में एपीडा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार मुंबई, दिल्ली के बाद तालानगरी अलीगढ़ से सबसे ज्यादा मीट एक्सपोर्ट होता है।
अब आप खुद सोच कर देखिये हलाल सर्टिफिकेशन और हलाल प्रोडक्ट को बैन की ख़बरें तो मीडिया और आम लोगों में खूब चर्चा में हैं मगर जिस मामले में सबसे ज्यादा हलाल की मांग होती है मीट इंडस्ट्री उस पर सन्नाटा है या यूँ कहें उस पर इस बैन का दूर दूर तक कोई असर नहीं है। केवल राजनीतिक गुना गणित को दरुस्त करने के लिए जनता को ऐसे मुद्दों में उलझाया जाता है ताकि असल मुद्दों से जनता दूर रहे।
अगर सच में हलाल प्रोडक्ट से दिक्कत होती तो सबसे पहले बीफ एक्सपोर्ट पर पाबन्दी लगती जिसमें उत्तर प्रदेश की 50% से ज्यादा हिस्सेदारी है। अगर सच में हलाल सर्टिफिकेशन को बैन करना है तो जो बीफ एक्सपोर्ट किया जाता है तत्काल उसके ऊपर से हलाल सर्टिफिकेट का लेबल हटा दिया जाये। तभी माना जायेगा कि सरकारों का इस मुद्दे पर स्टैंड स्पष्ट है वरना तो ये मुद्दा केवल राजनीती से प्रेरित ही रहेगा और वोट हासिल करने का एक तरीका मात्र कहलायेगा।