- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- लखनऊ
- /
- यूपी में भविष्य निधि...
संजय कुमार सिंह
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के कर्मचारियों के भविष्य निधि के पैसों के घोटाले का मामला पिछले साल जनवरी में सामने आया था। सरकार ने सीबीआई से जांच कराने की बात की थी। सीबीआई की जांच चल रही है, गिरफ्तारियां भी हुई हैं। पर वसूली? जनता प्रदर्शन करे तो कुछ हजार की तोड़फोड़ के आरोप पर बिना जांच चौराहे पर नाम और गिरफ्तारी। हजारों करोड़ के घोटाले में भी गिरफ्तारी। जो व्यवस्था है उसमें घोटाले बाज जमानत पा जाएगा, गरीब आदमी जमानत मिलने पर भी शायद जेल में रहे क्योंकि वह जमानती कहां से लाएगा। और पकड़ा तो अभी ना नीरव मोदी गया है और ना विजय माल्या। उत्तर प्रदेश किस तरह से अलग हुआ?
वैसे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि डीएचएफएल में फंसे पावर कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों के पैसे की वसूली के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी। सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। कॉर्पोरेशन की ओर से आरबीआई को पहले ही पत्र लिखा जा चुका है। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। पर मुद्दा यह है कि वसूली नहीं होगी तो सरकारी पैसे से अगर भरपाई की जाए तो नुकसान जनता का ही हुआ। सरकार ने गरीबों की संपत्ति बेचकर वसूलने की जो जल्दबाजी आम लोगों के मामले में दिखाई थी वह इस मामले में हुई क्या? जहां तक इस मामले में घोटालेबाजों की गिरफ्तारी की बात है वह सजा नहीं है। गिरफ्तारी की सजा तो निरपराध कफील खान को भी दी जा चुकी है। न्याय तो तब होगा जब उनपर फर्जी मुकदमा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो। ऐसा होगा क्या?
इस मामले में जो कार्रवाई हुई है वह सही है कि नहीं यह तो अदालत में साबित होने में महीनों लगेगा पर संबंधित मंत्री और आला अधिकारियों का क्या कुछ बिगड़ा। मुझे यकीन है कि ऐसा कुछ होता तो अखबार तारीफ के पुल बांधने में नहीं थकते। पर ऐसा कुछ नहीं हो तो मतलब यही हुआ कि जो मामला पकड़ा जाए उसमें चार-छह कर्मचारी अधिकारी को अंदर कर दो बाकी सब वैसे ही चल रहा है। मीडिया साथ हो तो जनता को कभी सच्चाई मालूम ही न हो। बात व्यवस्था बदलने की थी। जनता के साथ रोमियो पुलिस जैसी व्यवस्था हुई। इसलिए सवाल भी जबल इंजन वाले उत्तर प्रदेश सरकार से ही होगा। पहले दस घोटाले होते थे अब आठ हों या 12 तो बदला क्या? जांच और कार्रवाई तो वैसे ही है।