लखनऊ

योगी के "अब्बा जान" में क्या छुपा है बड़ा रहस्य?

माजिद अली खां
10 Aug 2021 9:24 AM IST
योगी के अब्बा जान में क्या छुपा है बड़ा रहस्य?
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव के लिए अब्बा जान का शब्द प्रयोग करना विवाद का कारण बन गया है और विवाद का कारण बनना ही था क्योंकि अब्बा जान बोला ही इसलिए गया था. अक्सर मुस्लिम घरानों में उर्दू भाषा के चलते अपने पिता के लिए अब्बा जान का शब्द इस्तेमाल होता है इसलिए योगी आदित्यनाथ ने मुलायम सिंह यादव को मुसलमानों से जोड़ने के लिए अब्बा जान का शब्द प्रयोग किया है. भारतीय जनता पार्टी चुनाव के नजदीक अक्सर ऐसी भाषा शैली विपक्षियों के लिए इस्तेमाल करती है की हिंदू समाज में यह संदेश जाए कि विपक्ष मुस्लिमपरस्त है और भाजपा एकमात्र हिंदी हिंदू हिंदुस्तान संस्कृति की प्रतीक है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुलायम सिंह यादव को अब्बा जान कहे जाने के बाद उनके पुत्र और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी पर कड़ा निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जिस भाषा शैली का इस्तेमाल कर रहे हैं वह ऐसे पदों पर बैठे लोगों के लिए उचित नहीं है. अखिलेश यादव ने कहा की वह भी योगी आदित्यनाथ के पिता के बारे में कुछ कह सकते हैं लेकिन हम समाजवादियों की ऐसी परंपरा नहीं रही और हम सबका सम्मान करते हैं. अखिलेश यादव ने कहा योगी सरकार से राज्य की जनता परेशान हो गई है और इस बार जनता योगी सरकार को उखाड़ फेक देगी. इसलिए योगी आदित्यनाथ अपने परंपरागत तरीके पर चलकर राज्य को हिंदू मुस्लिम नफरत में धकेल देना चाहते हैं और हिंदू समाज का ठेकेदार बनना चाहते हैं. लेकिन योगी आदित्यनाथ की यह कोशिशें सफल नहीं होंगी.

आज मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने भी योगी आदित्यनाथ को आड़े हाथों लेते हुए कहा की मुख्यमंत्री की भाषा अमर्यादित है. इतने बड़े पद पर बैठने वाले व्यक्ति को बोलते हुए अच्छे शब्दों का चयन करना चाहिए. शिवपाल सिंह यादव ने यह भी कहा कि हम जवाब में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करेंगे क्योंकि हमें अच्छे शब्द बोलने आते हैं. शिवपाल सिंह यादव ने मुख्यमंत्री को चेताया की राजनेताओं को अच्छी बातें करनी चाहिए क्योंकि उनकी बातें जनता गौर से सुनती है.

राज्य के राजनीतिक विश्लेषक इस बहस का एक अलग ही अर्थ निकाल रहे हैं और उनका कहना है कि भाजपा चुनाव में समाजवादी पार्टी से मुकाबला करना चाहती है और जनता में खास तौर से समाजवादी पार्टी के परंपरागत वोटर मुस्लिम समुदाय को यह संदेश देना चाहती है कि भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला समाजवादी पार्टी से है वह नहीं चाहती कि राज्य में कांग्रेस मुकाबले में आए. भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस से सबसे बड़ा खतरा यह है कि यदि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जनसमर्थन हासिल होता है तो केंद्र में भी कांग्रेस भाजपा को पछड़ सकती है. क्योंकि केंद्र सरकार का रास्ता उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और महत्वपूर्ण राज्य से होकर जाता है इसलिए भाजपा नेताओं को यह चिंता सताती रहती है कि कहीं समाजवादी पार्टी की बजाय राज्य का मुस्लिम और दलित समुदाय कांग्रेस के साथ ना चला जाए.

इसलिए भाजपा नेता समाजवादी पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करने में ज्यादा विश्वास रखते हैं और उन्हें समाजवादी पार्टी की बयानबाजी भी ज्यादा फायदेमंद लगती है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को भारतीय जनता पार्टी मुस्लिमपरस्त घोषित करती है और हिंदू समाज में यह प्रचार करती है कि यदि समाजवादी पार्टी की सरकार आएगी तो हिंदुओं पर अत्याचार होगा. राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि यदि मुस्लिम और दलित समाज ने कांग्रेस का दामन थामा तो राज्य का ब्राह्मण समाज कांग्रेस की ओर जरूर लपकेगा. कुछ राजनीतिक विश्लेषक अखिलेश यादव की ओर से अब्बा जान शब्द पर की गई नकारात्मक प्रतिक्रिया को भी उचित नहीं मानते.

योगी आदित्यनाथ यदि अखिलेश यादव को और समाजवादी पार्टी को मुस्लिमपरस्त घोषित करना चाहते हैं तो अखिलेश यादव को इस प्रचार से परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि वह जितना अपने आप को इस शब्द से बचाने की कोशिश करेंगे उसका उल्टा संदेश मुस्लिम समाज में भी जा सकता है कि अब्बा जान जैसे आदरणीय शब्द पर अखिलेश यादव को क्या आपत्ति हो सकती है? क्या अखिलेश यादव उर्दू भाषा के शब्दों को पसंद नहीं करते? ऐसी ही प्रतिक्रिया भारतीय जनता पार्टी की तरफ से भी आई है. भाजपा ने जो पलटवार किया है उसने भी यही कहा है की पिता शब्द को उर्दू में अब्बा से संबोधित किया जाता है तो अखिलेश को आखिर उर्दू शब्दों से क्या आपत्ति है? यदि अखिलेश इस शब्द का और विरोध करेंगे तो भाजपा के बिछाए हुए शब्दजाल में धंसते जाएंगे. लिहाजा अखिलेश को इस पर सकारात्मक टिप्पणी करनी चाहिए थी. चुनाव के नजदीक आते-आते अभी बहुत से वाद विवाद सामने आएंगे उसमें देखना यह है यह कौन किसके ट्रैप में फंसता है.

माजिद अली खां

माजिद अली खां

माजिद अली खां, पिछले 15 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं तथा राजनीतिक मुद्दों पर पकड़ रखते हैं. 'राजनीतिक चौपाल' में माजिद अली खां द्वारा विभिन्न मुद्दों पर राजनीतिक विश्लेषण पाठकों की सेवा में प्रस्तुत किए जाते हैं. वर्तमान में एसोसिएट एडिटर का कर्तव्य निभा रहे हैं.

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