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- 'ब्राह्मण ससुर जाएगा...
'ब्राह्मण ससुर जाएगा तो जाएगा कहां, भाजपा से नाराजगी तो नाटकबाजी है'
लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्यसभा चुनाव (Rajyasabha Elections) के लिए 8 प्रत्याशियों की घोषणा की है. राजनीतिक विश्लेषक प्रत्याशियों के नामों के आधार पर बीजेपी की जातिगत समीकरण साधने की कोशिश पर भी इशारा कर रहे हैं. सबसे ज्यादा चर्चा 8 में से दो क्षत्रिय के साथ दो ब्राह्मण प्रत्याशियों को जगह देने को लेकर हो रही है. इससे कहीं न कहीं हाल में शुरू हुई ब्राह्मण वोट बैंक की सियासत से जोड़कर देखा रहा है. दरअसल काफी समय से योगी सरकार पर ब्राह्मणों की उपेक्षा, उत्पीड़न आदि का आरोप लगा रहा है.
सब जानते है ब्राह्मणों को कहां जाना है?: हरिद्वार दुबे
इसी क्रम में अब मंगलवार को ब्राह्मणों की सियासत को लेकर बीजेपी के राज्यसभा प्रत्याशी हरिद्वार दुबे ने विवादित बयान दे दिया. हरिद्वार दुबे ने कहा कि बीजेपी से ब्राह्मणों की नाराजगी सिर्फ नाटकबाजी है. ये उड़ाया गया है. ब्राह्मण कहीं बीजेपी से नाराज नहीं है. उन्होंने कहा, "ब्राह्मण ससुर जाएगा तो कहां जाएगा बताइए? ब्राह्मणों का बीजेपी के अलावा वाकई सम्मान नहीं है. बीजेपी का संबंध ब्राम्हणों से ऐसा है, जो कुछ कहा नहीं जा सकता. सब जानते है ब्राह्मणों को कहां जाना है? ये कई लोग हवा बनाते रहें, ब्राह्मण बीजेपी के साथ ही रहेगा."
राज्यसभा प्रत्याशियों की लिस्ट में सभी को साधने की कोशिश
बीजेपी की लिस्ट में जातियों की बात करें तो अरुण सिंह, नीरज शेखर क्षत्रिय, हरिद्वार दुबे और सीमा द्विवेदी ब्राह़्मण, बीएल वर्मा और गीता शाक्य पिछड़े वर्ग से हैं, जबकि यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल एससी और हरदीप सिंह पुरी सिख हैं.
संगठन के पुराने कार्यकर्ताओं में श़ुमार हैं हरिद्वार दुबे
बता दें हरिद्वार दुबे सीतापुर के साथ अयोध्या और शाहजहांपुर में आरएसएस के जिला प्रचारक रह चुके हैं. वह मूल रूप से बलिया के रहने वाले हैं लेकिन काफी समय से आगरा में राजनीति कर रहे हैं. वर्ष 1969 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री के तौर पर हरिद्वार दुबे आगरा आए. 1983 में वे महानगर इकाई के मंत्री बने और इसके बाद महानगर अध्यक्ष बने. 1989 में हरिद्वार दुबे ने छावनी से पहली बार चुनाव लड़ा और जीते. इसके बाद 1991 में भी जीते. उन्हें संस्थागत वित्त राज्यमंत्री बनाया गया. लेकिन विवादों के चलते वर्ष भर के अंदर मंत्री पद इस्तीफा देना पड़ा था. 2005 में वह खेरागढ़ विधानसभा से उपचुनाव लड़े, जिसमें हार का सामना करना पड़ा था. आगरा-फीरोजाबाद विधान परिषद चुनाव में भी हारे. वर्ष 2011 में प्रदेश प्रवक्ता और 2013 में प्रदेश उपाध्यक्ष रहे.