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शिक्षा मित्र का 2017 से अब तक एक रुपया भी वेतन क्यों नहीं बढ़ा, जबकि और सबको मिला कुछ न कुछ लाभ जरूर
उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्र का समायोजन 2017 में सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर निरस्त किया गया। उसके बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार ने शिक्षा मित्रों को 10000 हजार के मानदेय पर मूल पद यानी सहायक अध्यापक से शिक्षा मित्र के पद पर भेज दिया। उसके बाद छह साल में शिक्षा मित्र का मानदेय एक रुपया भी नहीं बढ़ा जबकि सरकार के नियमित शिक्षकों का वेतन हर साल बढ़ता है।
इन छह सालों में सिलेंडर से लेकर खाद्यान की कीमतों में दोगुना इजाफा हुआ, डीजल पेट्रोल के कीमतों में इजाफा हुआ लेकिन शिक्षा मित्र के दस हजार में कोई इजाफा नहीं हुआ है। इस दौरान जब कोर्ट में सुनवाई चल रही थी तब एक शिक्षा मित्र ने आत्महत्या की थी तब 2015 में मंच से पीएम मोदी ने शिक्षा मित्रों से कहा था कि आप चिंता न करें आप मायूस न हो अभी तो कोर्ट ने आदेश नहीं दिया सुनवाई हो रही है। अगर कुछ नेगेटिव आदेश आया भी तो हम राज्य सरकार से बात करेंगे। तब राज्य में अखिलेश यादव की सरकार थी। अब राज्य में डबल इंजन की सरकार है। मोदी जी अब शिक्षा मित्र आपको पुनः याद दिलाता है कि कोर्ट का ऑर्डर तो 2017 में आ गया लेकिन आपने 2018 में भी वादा करके यूपी सरकार से बात नहीं की। अगर बात करते तो वेतन जरूर बढ़ जाता।
वहीं इस मामले पर शिक्षा मित्रों से बात की तो उनका कहना है कि तब एक आत्महत्या पर पीएम मोदी भावुक हुए थे अब तो कई हजार मर चुके है लेकिन अब कोई सुध लेने वाला नहीं है। दस हजार में इस महंगाई में परिवार कैसे चलता है हम ही जानते है। उसमें से फिर सरकार की अन्य कामों की जिम्मेदारी निभाने के लिए नेट रिचार्ज भी महीने का कराना और स्कूल जआने के साथ साथ बीएलओ की ड्यूटी चुनाव ड्यूटी सरकारी अन्य कार्यों की ड्यूटी कैसे करें।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में एसा कोई सा दिन भी नहीं जाता है जब किसी न किसी शिक्षा मित्र का निधन न होता हो साथ ही किसी न किसी साथी को बीमारी न घेरती हो। इतने कम मानदेय में वो किस तरह बीमारी से इलाज कराए या परिवार का भरण पोषण करें क्योंकि बीमारी में तो मानदेय भी नहीं मिलता है। उसकी अनुपसतिथ लगाकर वेतन काट लिया जाता है।