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योगी सरकार भ्रष्टाचार उजागर करने वाले अधिकारीयों को सस्पेंड करने में माहिर क्यों ?

लखनऊ : प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार का मुख्य एजेंडा भ्रष्टाचार मुक्त उतर प्रदेश का था. लेकिन पिछले एक साल से इस एजेंडा की परतें आखिर कौन उधेड़ रहा है यह समझ से परे है. जबकि भ्रष्टाचार को लेकर अधिकारीयों और बीजेपी के विधायकों ने भी सीएम योगी से शिकायत की लेकिन नतीजा जीरो ही नजर आया. जबकि भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले अधिकारी जरुर सस्पेंड होते रहे और वो विधायक भी साइड लाइन हो गए जिन्होंने भ्रष्टाचार के खेल को उजागर करने का प्रयास किया.
आपको बता दें कि साल 2020 में भ्रष्टाचार के कई मामले खुले लेकिन अभी तक किसी भी मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई सिवाय महोबा और प्रयागराज के अधिकारीयों के अलावा. मामला चाहे उन्नाव जिले का हो या फिर सुल्तानपुर जिले का हो अथवा नोएडा या प्रतापगढ़ का हो भ्रष्टाचार पर योगी सरकार खमोशी का रुख अख्तियार क्यों कर लेती है. जबकि कई बार एक से बढ़कर एक गम्भीर आरोप भी सामने आते है.
जिस तरह नोएडा में भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए तत्कालिन एसएसपी को जिम्मेदारी दी गई और जांच के बाद उन्हें ही जनवरी में सस्पेंड कर दिया गया जबकि अब जांच होने के बाद भी उनका सस्पेंशन खत्म नहीं किया न ही जांच में फंसे अधिकारीयों के खिलाफ कोई कार्यवाही की शुरुआत भी नहीं हुई है. तो आखिर ईमानदारी का खिताब यही है तो जीरों भ्रष्टाचार की बात करने वाली सरकार आखिर क्या चाहती है और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की योजना क्या है जनता के सामने लाये. ताकि आम जन मानस समझ सके कि जीरो टोलरेंस होता क्या है?
ठीक उसी तरह उन्नाव के त्तकालीन जिलाधिकारी के खिलाफ सभी साक्ष्य आने के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई जबकि उनके खिलाफ अब तक सरकार सख्त रुख अख्तियार करती तो शायद कोई अधिकारी सरकार के खिलाफ ये हिमाकत नहीं करता. बार बार शिकायत के बाबजूद भी सुलतानपुर मामले में सरकार की चुप्पी से क्या माना जाय. जबकि सबसे पहले इस मुद्दे को उठाने वाले गाजियाबाद के लोनी विधायक भी किसी सरकारी नुमाइंदे का कुछ नहीं बिगाड़ सके.
अब बात प्रतापगढ़ की आई तो भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले ईमानदार पीसीएस अधिकारी विनीत उपाध्याय को ही सस्पेंड किया गया. वो तो पहले से ही समझदार निकले जो अपनी पत्नी को साथ लेकर धरने अपर बैठे थे वरना उनके खिलाफ भी जाने क्या क्या कार्यवाही होती. अगर इसी तरह भ्रष्टाचार खत्म किया गया तो यूपी के एक भी अधिकारी ईमानदारीपूर्वक काम करने में अपनी तौहीन मानने लगेगा. वाकी सरकार खुद ही समझदार है.