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अभी अभी योगी सरकार ने कर दिया बड़ा खेल, SC-ST की जमीन खरीदने के लिए नहीं लेनी होगी DM की अनुमति
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार शहरों में लोगों की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कई नियमों में संशोधन करने जा रही है। एससी व एसटी यानी दलितों और अनुसूचित जनजाति की जमीन लेने के लिए अब डीएम की अनुमति की अनिवार्यता नहीं रहेगी। साढ़े 12 एकड़ में टाउनशिप बसाने की अनुमति भी सरकार देने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष मंगलवार को प्रस्तावित उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023 का प्रस्तुतीकरण किया गया। टाउनशिप बसाने वालों को जमीन की रजिस्ट्री पर 50 फीसदी छूट दी जाएगी।
प्रदेश में हाईटेक टाउनशिप नीति समाप्त हो चुकी है। इंटीग्रेटेड नीति में 500 एकड़ और हाईटेक में 1500 एकड़ की अनिवार्यता थी। प्रस्तावित नीति में दो लाख से कम आबादी वाले शहरों में न्यूनतम 12.5 एकड़ जमीन और अन्य शहरों में 25 एकड़ जमीन पर कालोनियां बसाने की अनुमति दी जाएगी। कालोनियों तक जाने के लिए 24 मीटर और अंदर 12 मीटर सड़क की अनिवार्यता होगी।
ग्राम समाज, सीलिंग या फिर अन्य विभागों की जमीन लेकर दूसरे स्थान पर छोड़ने की सुविधा मिलेगी। 50 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल की परियोजनाएं कृषि भूमि और 50 एकड़ तक मास्टर प्लान में आवासीय भूउपयोग पर कालोनी बसाने का लाइसेंस मिलेगा। ग्राम समाज व अन्य शासकीय भूमि को 60 दिनों में नियमित किया जाएगा। राजस्व संहिता के प्रावधानों के अधीन 12.5 एकड़ से अधिक भूमि लेने की छूट होगी।
बड़े शहरों में स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स
10 लाख से अधिक आबादी शहरों में न्यूनतम 50 एकड़ में बहुउद्देशीय स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स बनेगा। शहरों में स्पोर्ट्स सिटी, फिल्म सिटी, आईटी सिटी, मेडिसिटी, एजुकेशनल हब बनेगा। सभी प्रमुख भवनों की डिजाइन को उच्च्च कोटि का रखा जाएगा। सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को शहर के विकास से जोड़ा जाएगा।
नक्शा पास करने के सख्त मानक
निजी क्षेत्रों में बसने वाली टाउनशिप में सेक्टर विशेष यानी पार्टवार कंपलीशन सर्टिफिकेट जारी करने की व्यवस्था होगी। जिसका सेक्टर का प्रमाण पत्र होगा उसका ही नक्शा पास किया जाएगा। अगर कंपलीशन प्रमाण पत्र नहीं है तो नक्शा पास नहीं किया जाएगा। इसका मकसद अवैध निर्माण पर रोक लगाना है।
लाइसेंस के लिए 75 लाख का टर्नओवर जरूरी
निजी क्षेत्र में टाउनशिप बसाने का लाइसेंस लेने के लिए टर्नओवर का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। प्रत्येक एक एकड़ के लिए 75 लाख रुपये टर्नओवर होना चाहिए। पहले यह 50 लाख रुपये था। टाउनशिप का लीड सदस्य भी अब विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद स्तर पर नहीं बदला जाएगा। इसके लिए प्रमुख सचिव आवास की अध्यक्षता में कमेटी होगी।
लाइसेंस शुल्क भी अब प्रति एकड़ 50 हजार से दो लाख रुपये और जीएसटी देना होगा। पहले यह डेढ़ लाख रुपये ही हुआ कराता था। लाइसेंस क्षेत्रफल की सीमा में अधिकतम 20 प्रतिशत परिवर्तिन अनुमन्य होगा।
75 फीसदी जमीन पर अनुबंध
आवंटियों के हितों को ध्यान में रखते हुए योजना के कुल क्षेत्रफल की 75 फीसदी भूमि होने पर अनुबंध किया जाएगा। पहले यह 60 फीसदी ही था। अपरिहार्य परिस्थितियों में रोड नेटवर्क की 20 फीसदी जमीन को अर्जन करने की अनुमति दी जाएगी।
नई नीति की प्रमुख बातें
- एससी, एसटी की जमीन लेने पर डीएम की अनुमति जरूरी नहीं
- चंडीगढ़ की तर्ज पर क्षैतिज विकास को बढ़ावा दिया जाएगा
- पैदल चलने वालों के लिए पर्याप्त फुटपाथ यानी पटरी होगी
- उबड़-खाबड़ या अनुपयोगी भूमि को ग्रीन बेल्ट बनाया जाएगा
- पार्कों, शॉपिंग काम्प्लेक्स व पुलिस स्टेशन के पास पार्किंग सुविधा
- पार्कों व हरित पट्टियों में बागवानी के लिए ट्रीटेड जल का उपयोग
- सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल के संबंध में नेट जीरो वेस्ट का पालन जरूरी
साभार हिंदुस्तान