लखनऊ

होर्डिंग, गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट, जिलाबदर के बाद रासुका के जरिए सीएए विरोधी आंदोलनकारियों का दमन कर रही योगी सरकार

Shiv Kumar Mishra
11 Sep 2020 2:01 PM GMT
होर्डिंग, गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट, जिलाबदर के बाद रासुका के जरिए सीएए विरोधी आंदोलनकारियों का दमन कर रही योगी सरकार
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रिहाई मंच ने मऊ में नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर किए जा रहे पुलिसिया उत्पीड़न के पीड़ितों और उनके परिजनों से की मुलाकात

लखनऊ 11 सितंबर 2020। रिहाई मंच ने मऊ का दो दिवसीय दौरा कर नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर किए जा रहे पुलिसिया उत्पीड़न के पीड़ितों, उनके परिजनों से मुलाकात की। मंच ने कहा कि मुख्तार अंसारी के नाम पर आंदोलन के दौरान आरोपी बनाए गए लोगों पर गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट, जिलाबदर और अब रासुका की कार्रवाई दमन की कार्रवाई है इसके खिलाफ मजबूती से लड़ा जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, अवधेश यादव, विनोद यादव, आदिल, मोहम्मद कासिम, मोहम्मद इमरान, आबिद और मुन्ना शामिल थे।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि सीएए विरोध के नाम पर दिसंबर में जो मुकदमें दर्ज हुए थे और गिरफ्तारी हुई थी ज्यादातर पर गैंगेस्टर, गुंडा एक्ट, जिलाबदर और रासुका की कार्रवाई की गई है। गैंगेस्टर की इस कार्रवाई को प्रशासन मुख्तार के लोगों के नाम पर कार्रवाई बता रहा है। जबकि नागरिकता के नाम पर हुए आंदोलन में जो लोग गिरफ्तार हुए विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोग थे न की मुख्तार के। जिनपर कार्रवाईयां हुई ऐसे बहुत से नाम हैं जिनके सामाजिक-राजनीतिक कार्य हैं।

रासुका के मामलों के कानूनी सलाहकार सामाजिक कार्यकता अधिवक्ता असद हयात कहते हैं कि कानूनी व्याख्याओं का उल्लंघन किया जाता है, राजकोष पर बोझ बढ़ाते हैं, लोगों पर बोझ बढ़ाया जाता है, आखिर इसका क्या औचित्य है। पुलिस वालों ने कह दिया कि वो जेल से बाहर आकर नया आंदोलन करेंगे क्या ये रासुका का आधार हो जाएगा। कौन सा सुबूत है उनके खिलाफ कोई सीसी फुटेज नहीं, कोई वीडियो फुटेज नहीं, कोई फोटोग्राफ नहीं जिसमें वो नजर आ रहे हों तोड़-फोड़ करते या आगजनी करते हुए। ये कहां से लोक व्यवस्था का मामला है। कौन सी आपूर्ती बंद हो गई। कर्फ्यू तो लगा नहीं। जब परिवहन बंद होता या दूध, बिजली, पानी की आपूर्ती बंद होती तब लोक व्यवस्था का मामला होता। क्या ऐसा हुआ था। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ था। सीएए का विरोध किया, इसका यह मतलब नहीं कि आप कानून के खिलाफ जाकर गैंगेस्टर लगाएंगे, रासुका लगाएंगे। एक लड़का फैजान स्टूडेंट है रासुका लगाकर उसका कैरियर बर्बाद कर दिया। लोकतांत्रिक अधिकार के तहत कोई आदमी कार्य कर रहा है तो आप उस पर रासुका कैसे लगा सकते हैं। आप इसको गैंग बता रहे हैं। यह कानून की कौन सी नई परिभाषा है। आदालत से ऊपर पुलिस नहीं हो सकती। एक बार अदालत कोई कानूनी व्याख्या कर दे तो उसी की रोशनी में फैसले लेने चाहिए। पुलिस की गैरकानूनी क्रियाकलाप की वजह से अदालतों का यह काम हो गया है कि इसे गैरकानूनी बताने में उनका वक्त जा रहा है। जबकि अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है। गैंगेस्टर की उनकी अप्लीकेशन हाईकोर्ट में पेंडिग है तो आपने एनएसए लगा दिया। अब वहां कहेंगे कि इन पर तो एनएसए लग गया गैंगेस्टर की सुनवाई क्यों कर रहे।

रासुका के तहत निरुद्ध मिर्जाहादीपुरा, चिरैयाकोट रोड के रहने वाले एमआईएम के जिलाध्यक्ष आसिफ चंदन के पिता एकलाख चंदन, भाई मोहम्मद शाहिद, पुरा लच्क्षीराय के रहने वाले 24 वर्षीय फैजान के पिता मुनव्वर अली, मलिक ताहिरपुरा मुहल्ले के रहने वाले मोहम्मद अनस के पिता मोहम्मद रिजवान, भाई मोहम्मद अलकमा, 24 वर्षीय आमिर होण्डा के भाई मंजर कमाल से प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात हुई।


गैंगेस्टर की कार्रवाई के बाद हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे पाए हुए डोमनपुरा के मदर टेरसा फाउंडेशन के ओबादा हारिस, मुस्तफाबाद के 34 वर्षीय सरफराज, मऊ के अस्तुपुरा के रहने वाले आम आदमी पार्टी से जुड़े अल्तमस सभासद, डोमनपुरा, गोलवा के रहने वाले इम्तियाज नोमानी के अब्बा मौलवी शमशाद अहमद, औरंगाबाद, ईदगाह रोड के रहने वाले मजहर मेजर से भी मुलाकात की। अल्तमस सभासद और सरफराज को जिलाबदर कर दिया गया है।

प्रतिनिधिमंडल को मालूम चला कि 21 जून 2020 को बाइस व्यक्तियों के खिलाफ गैंगेस्टर लगाते हुए पच्चीस हजार का ईनाम भी घोषित कर दिया गया। कहा गया कि आसिफ चंदन एक शातिर किस्म का अपराधी है जो गैंग बनाकर दंगा करने व कराने के अपराध में शामिल है। दंगा जैसे अपराध कारित करके आर्थिक, भौतिक, दुनियावी लाभ प्राप्त करते हैं। फैजान, मजहर मेजर, इम्तियाज नोमानी, ओबादा उर्फ ओहाटा, सरफराज, अल्तमस सभासद, अनीस, जावेद उर्फ नाटे, इशहाक, आमिर होंडा, खुर्शीद कमाल, दिलीप पाण्डेय, आमिर, मुनव्वर मुर्गा, शाकिर लारी, जैद, खालिद, शहरयार, अफजाल उर्फ गुड्डू, वहाब, अनस को आसिफ चंदन के गिरोह का सक्रिय सदस्य बताया। यह भी कहा कि इनके भय एवं आतंक के कारण जनता का कोई भी व्यक्ति एफआईआर लिखाने व गवाही देने का साहस नहीं करता है।

रिहाई मंच ने कहा कि यह सभी सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोग हैं। लोकतांत्रिक अधिकार के तहत धरने-प्रर्दशन को गैंग बताना गैरलोंकतात्रिक है। अगर ऐसा है तो देश के सभी राजनीतिक दल, दल नहीं गैंग हैं और तब तो सबके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि सभी धरने-प्रर्दशन करते हैं। कोरोना काल की वजह से न्यायालय न खुलने और परिजनों को पुलिसिया उत्पीड़न से बचाने के लिए उन्नीस लोगों ने थाने में जाकर सरेण्डर किया। बाद में पुलिस ने सभी की गिरफ्तारी का अलग-अलग जगह से दावा किया। पुलिस ने आसिफ चंदन के बड़े भाई, इम्तियाज नोमानी के 70 वर्षीय बुजुर्ग पिता मौलाना शमशाद अहमद को घर से उठा लाई और थाने में रखकर भाई और बेटे को बुलाने का दबाव बनाने लगी।

ओबादा हारिस, सरफराज, अल्तमस, इम्तियाज नोमानी ने हाईकोर्ट से गैंगेस्टर मामले में गिरफ्तारी पर स्टे लिया। कुछ ही दिनों बाद 6 अगस्त के करीब ओबादा, अल्तमस समासद, इम्तियाज नोमानी, अनीस, फैजान आकिब, मजहर मेजर, असिफ चंदन, आमिर होण्डा, इशहाक खान, मुनव्वर मुर्गा, सरफराज, राशिद उर्फ मुन्ना समेत 12 के खिलाफ गुण्डा एक्ट की कार्रवाई की गई। अल्तमस सभासद, सरफराज अहमद, अनीस, राशिद उर्फ मुन्ना को जिला बदर घोषित कर दिया गया है।

3 सितंबर को मजहर मेजर, अनीस, इशहाक, मुनव्वर मुर्गा को जिला कचहरी से जमानत मिलने के बाद रिहाई होते ही कुछ वक्त में मालूम चला कि आसिफ चंदन, फैजान आकिब, आमिर होण्डा, अनस, अब्दुल वहाब को रासुका के तहत निरुद्ध कर दिया गया है। इम्तियाज नोमानी की भी 10 सितंबर को रिहाई हो गई है। इसके अलावा अफजाल उर्फ गुडडू, खुर्शीद कमाल, शाकिर लारी, अनीस अहमद, मोहम्मद जैद, मोहम्मद खालिद, दिलीप पाण्डेय, जावेद उर्फ नाटे, आमिर भी जमानत के बाद रिहा हो चुके हैं।

इसके पहले 1 फरवरी 2020 को कहा गया कि मामला संज्ञेय अपराध से संबधित है। अभियुक्तगण के गिरफ्तारी का पर्याप्त प्रयास किया गया। आसिफ चंदन उर्फ मोहम्मद आसिफ, फैजान, मजहर मेजर, इम्तियाज नोमानी, ओबादा उर्फ ओहादा, सरफराज, अल्तमस सभासद, अनीस, जावेद उर्फ नाटे, इशहाक, आमिर होण्डा, मंजर कमाल, खुर्शीद कमाल, दिलीप पाण्डेय, आमिर, जैदुल उर्फ जैदी, साकिर लारी, जैद, अजमल, खालिद, शहरयार, असलम, अफजल उर्फ गुन्डा के विरुद्ध गैर जमानती अधिपत्र जारी हो।


16 दिसंबर के बाद मऊ में तीन बार आरोपियों के नाम पर होर्डिंग लगाकर आंदोलनकारियों की छवि को धूमिल करने की कोशिश की गई। पहली 110 लोगों की होर्डिंग जिसमें फेसबुक से फोटो निकालकर लगाने की बात आई 20 दिसंबर के आस-पास, दूसरी 36 लोगों की 28 जनवरी और 1 फरवरी के बाद तीसरी बार 23 लोगों के खिलाफ नान बेलेबल वारंट जारी किए गए उनकी होर्डिंग लगाई गई। नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर मऊ में पांच मुकदमें दर्ज किए गए। जिसमें चार 17 दिसंबर 2019 को और एक गैंगेस्टर का 21 जून 2020 को दर्ज किया गया। 17 दिसंबर को दर्ज मुकदमा कितना सत्य है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक ही व्यक्ति पर एक ही समय दो-दो थाने में मुकदमा दर्ज किया जाता है।

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