लखनऊ

पसमांदा मुसलमानों को सरकार के करीब लाने में जुटे योगी के अकेले मुस्लिम मंत्री दानिश आज़ाद

Shiv Kumar Mishra
29 May 2022 8:34 AM GMT
पसमांदा मुसलमानों को सरकार के करीब लाने में जुटे योगी के अकेले मुस्लिम मंत्री दानिश आज़ाद
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उत्तर प्रदेश मेंं ज्ञानवापी वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह से लेकर ताजमहल तक का मुद्दा गर्म है. मुसलमानों के खिलाफ नफरत का माहौल बनाया जा रहा है. इस बीच योगी सरकार के अकेले मुस्लिम मंत्री दानिश आजाद ने पसमांदा मुसलमानों को योगी सरकार के करीब लाने की कवायद शुरू करने दी है. बीते शुक्रवार को लखनऊ के गांधी भवन में 'ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़' की तरफ से आयोजित ईद मिलन कार्यक्रम में दानिश आज़ाद अंसारी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. कार्यक्रम में उन्होंने योगी सरकार की तरफ से पसमांदा मुसलमानों के विकास की गारंटी देकर इस क़वायद की शुरुआत की.

दानिश को मिला हीरो जैसा सम्मान

योगी सरकार में मंत्री बनने के बाद दानिश आज़ाद अंसारी पहली बार पसमांदा मुसलमानों के किसी कार्यक्रम में शामिल हुए. इस कार्यक्रम में पूरे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और दिल्ली से आए पसमांदा से जुड़े लोगों ने दानिश अंसारी का तहे दिल से स्वागत किया दानिश अज़ाद अंसारी के साथ खड़े होकर फोटो खिंचवाने और उनसे मिलने की जबरदस्त होड़ दिखी. लग ही नहीं रहा था कि यह मुसलमान उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के किसी मंत्री के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में आए हैं. आमतौर पर बीजेपी के कार्यक्रमों में मुसलमानों की मौजूदगी ना के बराबर होती है. लेकिन गांधी भवन में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में हाल खचाखच भरा हुआ था. कार्यक्रम में शामिल होने दूरदराज़ से आए मुस्लिम नौजवान दानिश आजाद के साथ इस तरह फोटो खिंचवा रहे थे और और सेल्फी ले रहे थे जैसे वो वो कोई फिल्म स्टार हों.

पसमांदा मुसलमानों के विकास का भरोसा

कार्यक्रम में मिले सम्मान से गदगद दानिश आज़ाद अंसारी ने भी गारंटी दे डाली कि पसमांदा मुसलमानों के विकास के लिए वो पूरी जान लड़ा देंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके जैसे मामूली पार्टी कार्यकर्ता को मंत्री बनाकर एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसा करके उन्होंने मुस्लिम समाज और खासकर पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन किया है. अब मुसलमानों की जिम्मेदारी बनती है कि वह भी योगी सरकार का समर्थन करें और सरकार की तरफ से चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का भरपूर फायदा उठाएं. दानिश के यह कहने पर वहां मौजूद मुस्लिम समाज की तरफ से जोरदार तालियां बजाकर इसका स्वागत किया गया. इस बात का संकेत है कि बस पसमांदा मुसलमान भी योगी सरकार के साथ संवाद का रास्ता खुला रखना चाहते हैं.


पसमांदा मुसलमानों के लिए लाभकारी बजट

इस मौके पर दानिश ने योगी सरकार के बजट में अल्पसंख्यक को और खासकर मुस्लिम समाज के विकास के लिए किए गए प्रावधानों का खुलकर बखान किया. उन्होंने कहा कि छात्रवृत्ति से लेकर मदरसों के आधुनिकीकरण तक जो भी फायदा पहुंच रहा है वह ज्यादातर पसमांदा मुसलमानों को ही पहुंच रहा है. दानिश ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार की 'ओडीओपी' यानि एक 'जिला एक प्रोडक्ट' योजना से भी पसमांदा मुसलमानों को ही फायदा हो रहा है क्योंकि भदोही में कालीन के काम से लेकर बनारस में साड़ी के काम तक मुरादाबाद में पीतल, फिरोजाबाद में कांच व चूड़ियां और सहारनपुर में लकड़ी की नक्काशी के काम में ज्यादातर पसमांदा मुसलमान ही जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा 6.15 करोड से ज्यादा का बजट पेश किया है. यह प्रदेश का प्रकाश सबसे बड़ा बजट है. इसमें अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम समाज के स्थानीय लिए भी अब तक सबसे ज्यादा धनराशि आवंटित की गई है. उन्होंने कहा कि योगी सरकार समाज के दबे कुचले तबकों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. पसमांदा मुसलमान भी इसी दायरे में आते हैं. लिहाजा योगी सरकार उनके विकास के लिए भी उतनी ही प्रतिबद्ध है जितनी वह दूसरे समाज के प्रति है.

वरिष्ठ पत्रकार यूसूफ़ अंसारी की है अहम भूमिका

बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में पता मुसलमानों और कोई योगी सरकार के क़रीब लाने में गरीब जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक यूसुफ़ अंसारी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. चर्चा है कि उन्हीं की पहल पर 'ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़' ने ईद मिलन कार्यक्रम आयोजित किया और इसमें दानिश आज़ाद अंसारी को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया. इस कार्यक्रम का स्वागत भाषण भी यूसुफ़ अंसारी ने ही दिया. इसमें उन्होंने साफ किया कि किसी भी समाज में किसी सरकार और समुदाय विशेष के बीच लगातार 36 का आंकड़ा और तनाव बने रहना न समाज के लिए अच्छा है और ना ही सरकार के लिए. लिहाज़ा दोनों के बीच संवाद के रास्ते खुले रहने चाहिए. सरकार में बैठे लोगों से लाख मतभेदों के बावजूद समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को अपनी समस्याओं और उनके समाधान के लिए सरकार के साथ बातचीत करने में हिचक नहीं दिखानी चाहिए. कार्यक्रम के दौरान और उसके बाद दानिश अंसारी ने पसमांदा मुस्लिम समाज के बुनियादी मुद्दों और उनके समाधान के लिए वरिष्ठ पत्रकार युसूफ अंसारी के साथ काफी देर तक चर्चा की.

पसमांदा मुस्लिम मूवमेंट से जुड़े हैं यूसुफ अंसारी

बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक यूसुफ़ अंसारी करीब दो दशकों से पसमांदा मुस्लिम मूवमेंट से जुड़े हुए हैं. राजनीति में पसमांदा मुसलमानों को हाशिए पर रखे जाने को लेकर उन्होंने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आंखें खोलने वाले लेख लिखे हैं. टीवी डिबेट में वो इस मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखते रहें हैं. दानिश अंसारी के मंत्री बनने के बाद जब अगले मुसलमानों की तरफ से उनके खिलाफ दुष्प्रचार शुरू किया गया तो कई टीवी डिबेट में अंसारी ने खुलकर इसका विरोध किया और भिवाड़ी से अपनी बात रखी है. करीब डेढ़ दशक पहले यूसुफ़ अंसारी ने 'पसमादा फ्रंट' नाम के संगठन भी बनाया था. यह संगठन अभी पसमांदा मुसलमानों के बीच शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक चेतना के लिए काम कर रहा है.

पसमांदा मुसलमानों पर बदली बीजेपी की सोच

गौरतलब है कि बीजेपी में शुरू से ही अगड़े तबके के मुसलमानों का दबदबा रहा है. लेकिन मोदी सरकार आने के बाद पसमांदा मुसलमानों को भी तवज्जो मिल रही है. पहले जहां बीजेपी में केंद्र में सिकंदर बाग, मुख्तार अब्बास नकवी और सैयद शाहनवाज हुसैन जैसे नेताओं का वर्चस्व था. वहीं उत्तर प्रदेश से पहले एजाज रिजवी और योगी सरकार में मोहसिन रजा और वसीम रिजवी के रूप में शिया मुसलमानों का वर्चस्व था. लेकिन दूसरी बार योगी सरकार बनने के बाद मोहसिन रजा के की जगह दानिश आजाद अंसारी को मंत्री बनाया गया. यह मुसलमानों को लेकर बीजेपी की सोच में बुनियादी बदलाव था. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में भी पसमांदा मुसलमानों को ध्यान में रखकर मुस्लिम वोट करने की रणनीति बनाई थी और उस पर अमल भी किया था और शायद यही वजह रही कि उसे प्रदेश में 10% मुसलमानों ने वोट दिया है. इनमें ज्यादातर केंद्र और प्रदेश सरकार की जानकारी का कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थी हैं. इन सभी का ताल्लुक पसमांदा समाज से हैं. शायद यही वजह है कि बीजेपी ने इस बार उसे वोट देने वाले मुस्लिम समाज के पसमांदा समाज की नुमाइंदगी करने वाले दानिश आज़ाद को मंत्री बनाया.

ज़ाहिर है कि बीजेपी अपने राजनीतिक फायदे के लिए मुस्लिम समाज के बड़े हिस्से पसमांदा मुसलमानों को साथ लेने की कोशिश कर रही है. अगर दानिश आजाद बीजेपी के हक़ में पसमांदा मुसलमानों को लाने में कामयाब हो जाते हैं तो ये उनकी बड़ी कामयाबी होगी. इससे पार्टी संगठन और सरकार में उनका क़द भी काफी बढ़ सकता है. अगले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी को इसका ज़बर्दस्त फायदा मिल सकता है. यह सब इस पर निर्भर करेगा कि योगी सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मूल मंत्र 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास सबका प्रयास' पर चलते हुए पसमांदा मुसलमानों का विश्वास जीतने में कितना कामयाब रहती है. साथ ही इस बात पर भी निर्भर करेगा कि पसमांदा मुसलमान योगी की तरफ कितने कदम आगे बढ़ कर कितना साथ देते हैं.

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