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मदन सागर : महोबा, यूपी
#धरोहर
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गत दिनों महोबा भ्रमण के दौरान प्राचीन ऐतिहासिक झील मदन सागर को देखने का अवसर मिला. मैं महोबा तो पूर्वसैनिक सेवा परिषद की बैठक में गया था. समय था तो महोबा के प्राचीन व खंडहर हो रहे ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण का भी कार्यक्रम साथ ही साथ बन गया. जिलाधिकारी महोबा सत्येन्द्र भी साथ थे. वे महोबा के अतीत व धरोहरों की रक्षा हेतु प्रसंशनीय प्रयास कर रहे हैं. इस झील को जो पूरी तरह जलकुम्भियों से पट गयी थी उसे सफाई आदि कराकर उन्होंने एक पर्यटक स्थल का रूप दे दिया है. रविवार का दिन था. स्थानीय पर्यटक दिख भी रहे थे. बोट चलती हुई दिखी. और सफाई की मशीन भी. काम भी लगातार चल रहा है. कम आबादी का, विस्तृत क्षेत्र का खुलापन लिये हुए एक शांत सा कस्बा है महोबा. पहाड़ों की ऊंचाइयां ढांढस देती हुई सी लगती हैं कि यहां हम भी हैं. शाम के पुरसुकून माहौल में एहसास होता है कि जैसे आप किसी रिट्रीट में आये हों.
मदनसागर के मध्य में स्थित एक प्राचीन मंदिर 'खाखरामठ' के नाम से है जो चंदेल नरेश मदन वर्मन द्वारा 12वीं शताब्दी में बनवाया गया था. यह संरक्षित स्थल है. यहां तक पहुंचने के लिए एक फ्लोटिंग गैंगवे बनवाया गया है. महोबा को उसके महान् चंदेल शासकों, ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाना चाहिए लेकिन हम महोबा को अवैध खनन व क्रशरों के प्रदूषण के लिए जानने लगे हैं. वैसे सत्येन्द्र ने बहुत हद तक इस समस्या पर अपनी प्रशासनिक इच्छाशक्ति से नियंत्रण कर लिया है. लेकिन भय होता है कि यदि स्थानांतरण हो गया तो कहीं पुराना भ्रष्टतंत्र वापस न आ जाए. लाबियां हटवाने में तो लगी हैं लेकिन मा. योगी के संज्ञान में है कि सत्येंद्र किस तरह की जंग लड़ रहे हैं.
फिर कई और स्थलों को देखा. महोबा तो खजुराहो के समान राष्ट्रीय मानचित्र पर आ सकता है. संभवतः इस दिशा में प्रयास होने बाकी हैं. बहरहाल मैंने भी कुछ बिना मांगे सुझाव दे डाले. विमर्श का स्तर बढ़ाना पड़ेगा. राष्ट्रीय स्तर पर महोबा हिस्ट्री कांन्फ्रेंस आयोजित कराओ. केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय को लिखो, सचिव पर्यटन, भारत सरकार को इस अभियान में नेतृत्व की भूमिका में ले आओ. राज्य से संस्तुति सहित प्रस्ताव जाएगा तो केंद्र सहयोगी भूमिका में आ ही जाएगा. सत्येंद्र बरेली में हमारे सीडीओ थे, उसी तरह 'यस सर, ठीक है सर' यहां भी बोलते गये. लेकिन इतना तय है कि वे अपनी कर्मठता व विजन की छाप महोबा में जरूर छोड़ जाएंगे.
चरखारी के बारे में मैंने बहुत सुना था. बृजेंद्र प्रताप सिंह से कई बार चर्चा भी हुई थी. दुर्भाग्य है कि इस संभावनापूर्ण स्थल को प्रदेश में कोई जानता ही नहीं. वैसे ही जैसे कोई नहीं जानता कि चंदौली का नौगढ़ भी एक आदर्श विश्व स्तरीय वन-पर्यावरण का पर्यटन स्थल हो सकता है. यहां चरखारी में सात इंटर कनेक्टेड झीलें हैं. यह स्थान निश्चय ही एक आदर्श पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है. एक झील के मध्य ऊंचा सा राष्ट्रीय ध्वज लगाया गया है. पानी साफ है. बोटिंग का आनंद आ गया. महोबा में पर्यटन की जो महत् संभावनाएं हैं उनका विकास न किया जाना तो एक अपराध की तरह है. एक बुंदेलखंड पर्यटन सर्किट भी आगरा क्षेत्र के साथ संयुक्त होकर बनाया जा सकता है. इस विचार को मूर्त रूप दिया जाना विचारणीय है. पर्यटन का जो भविष्य प्रदेश में बनता हुआ दिख रहा है उसमें बुंदेलखंड की भी निश्चय ही अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होगी. लेकिन इसके लिए विजनरी सोच एवं राजनैतिक प्रशासनिक प्रतिबद्धताओं की भी बहुत आवश्यकता है.
- © आर. विक्रम सिंह
खाखरामठ, मदन सागर महोबा.