मैनपुरी

Dimple Yadav : मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने डिम्पल यादव को बनाया प्रत्याशी, संभालेंगी मुलायम की विरासत

Arun Mishra
10 Nov 2022 7:10 AM GMT
Dimple Yadav : मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने डिम्पल यादव को बनाया प्रत्याशी, संभालेंगी मुलायम की विरासत
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अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव को मैनपुरी उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया गया है।

मैनपुरी : सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने डिम्पल यादव को प्रत्याशी बनाया है. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अब मैनपुरी लोकसभा में उपचुनाव की होने जा रहा है. मैनपुरी लोकसभा सीट पर लंबे वक्त से नेताजी या परिवार का ही कोई सदस्य चुनाव लड़ता रहा है. वहीं ये लोकसभा सीट सपा परिवार का गढ़ मानी जाती है. यहां से वर्तमान में मुलायम सिंह यादव सांसद थे. लेकिन अब उनके निधन के बाद अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव को उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया गया है।

अब बात अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव की करते हैं. बीते कुछ महीनों से प्रसपा प्रमुख के बयानों पर नजर डालें तो उनकी दावेदारी भी मानी जा रही है. लेकिन अब अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव की राहें जुदा हैं. लेकिन बीते दिनों ही शिवपाल सिंह यादव ने कहा था कि अगर नेताजी मैनपुरी से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो मैं चुनाव लड़ूंगा. हालांकि उन्होंने बाद में सफाई देते हुए कहा कि नेताजी के रहते मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा. लेकिन अब जब उनसे उम्मीदवारी को लेकर सवाल हुआ तो उन्होंने कहा, "अभी हम उस स्थिति में नहीं हैं. ये सब बातें तो जब मौका आएगा तो की जाएंगी.

मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को अब डिंपल यादव संभालेंगी.

44 वर्षीय डिंपल यादव ने अपना पहला चुनाव 2009 में लड़ा था, जब अखिलेश यादव ने फिरोजाबाद सीट छोड़ी थी. इस उपचुनाव में डिंपल यादव को मशहूर अभिनेता और राजनेता राज बब्बर को हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 2012 में कन्नौज लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें डिंपल यादव निर्विरोध जीत गई थीं. इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भी डिंपल यादव ने कन्नौज से चुनाव लड़ा और जीतीं, लेकिन 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी के सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को करीब 10 हजार वोटों से हरा दिया था. अब अखिलेश यादव ने डिंपल को मैनपुरी से चुनाव मैदान में उतारा है. इस सीट पर 1996 से ही सपा जीतती हुई आई है.

मैनपुरी में हमेशा चला है मुलायम का जादू

1996 में मुलायम सिंह यादव इसी सीट से लोकसभा पहुंचे थे. इसके बाद 1998 और 1999 का चुनाव सपा के टिकट पर बलराम यादव ने जीता था. 2004 में मुलायम सिंह यादव एक बार फिर जीते, लेकिन कुछ दिन बाद ही मुख्यमंत्री बनने के कारण मुलायम सिंह यादव ने सीट छोड़ दी. इसके बाद हुए उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव जीते थे. 2009 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव फिर जीते. इसके बाद 2014 का लोकसभा चुनाव मुलायम सिंह यादव ने दो सीटों (मैनपुरी और आजमगढ़) लड़ा और दोनों पर जीत हासिल की. फिर मुलायम सिंह ने मैनपुरी सीट छोड़ दी, जिस पर हुए उपचुनाव में तेज प्रताप यादव जीते थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में मुलायम फिर मैनपुरी सीट से जीते थे. मैनपुरी में हमेशा चला है मुलायम का जादू मैनपुरी सीट के रास्ते ही सैफई परिवार की तीन पीढ़ियों ने संसद का सफर तय किया. मैनपुरी में चुनावी रथ पर सवारी चाहे किसी की भी रही हो, लेकिन उस रथ के सारथी हमेशा मुलायम सिंह यादव ही रहे. मैनपुरी लोकसभा सीट पर मुलायम सिंह यादव का जादू चलता रहा है, जिसके आगे सारे समीकरण ध्वस्त हो जाते थे. इस सीट पर सवा चार लाख यादव, शाक्य करीब तीन लाख, ठाकुर दो लाख और ब्राह्मण मतदाताओं की वोटों एक लाख है. वहीं दलित दो लाख, इनमें से 1.20 लाख जाटव, 1 लाख लोधी, 70 हजार वैश्य और एक लाख मतदाता मु्स्लिम है. इस सीट पर यादवों और मुस्लिमों का एकतरफा वोट सपा को मिलता है.



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