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मैनपुरी में ज्योति मिश्रा की जघन्य हत्या उसी के सगे और चचेरे भाइयों ने मिलकर की
ज़िला मैनपुरी, थाना कोतवाली में ज्योति मिश्रा की जघन्य हत्या उसी के सगे और चचेरे भाइयों ने मिलकर की थी। अन्तर्जातीय विवाह हत्या का मूल कारण बना था। विगत 7 जुलाई की देर शाम को ज्योति मिश्रा अपने पति रोहित यादव के साथ लौट रही थी गाँव, तभी यह वारदात हुई थी। हत्यारे तीनों भाइयों को गिरफ़्तार कर पुलिस ने सटीक खुलासा किया है।
मैनपुरी एसपी अजय कुमार ने बताया कि वर्ष 2018 में ज्योति मिश्रा पुत्री बृजेश कुमार मिश्रा सर्वेन्द्र मिश्रा निवासी अंगोथा और रोहित यादव पुत्र राजकुमार निवासी बृजपुरा थाना कोतवाली मैनपुरी दोनो घर से भाग गये थे, जिसके सम्बन्ध में थाना कोतवाली पर केस पंजीकृत हुआ था, जिसमें ज्योति ने कोर्ट में बयान दिया कि वह अपने घर वालों के साथ न जाकर अपने प्रेमी रोहित के साथ ही रहेगी तभी से तीनों भाई इन दोनों को मारने की योजना बनाने लगे थे । परन्तु उस समय लोगों का शक लडकी के परिवार पर ही जाता इसलिए घर के बडे बुजुर्गों ने लडकों को समझा बुझा कर रोक दिया था, जिससे लडकों ने इस मामले को भविष्य के लिए टाल दिया था।
इसी बीच ज्योति के ग्राम अंगोंथा में ताना कशी तेज हो गयी थी। लोग जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए कमेन्ट करने लगे थे जोकि लडकों को नागवार गुजरता था। ताने सुनकर जब भी घर लौटते तो मर्डर कर देने की बात करते थे परन्तु घर के बडे यह कहकर रोकते थे कि, अब कुछ भी कर लो खोई हुई इज्जत वापस नहीं आयेगी। परन्तु चचेरा भाई राघवेन्द्र मिश्रा ज्यादा ही नाराज रहने लगा था क्योंकि इस घटना के बाद उसकी शादी के लिए लोग आते ज़रूर, परन्तु सारी बातों की जानकारी होने पर रिश्ता नहीं करते थे। राघवेन्द्र को लगता था कि इसकी सारी जड़ चचेरी बहन ज्योति ही है। इसे खत्म करना होगा। इसके बाद वह अकेले ही एक बार ज्योति की ससुराल ग्राम बृजपुरा गया जहाँ उसने ज्योति को वापस चलने के लिए धमकाया भी था और कहा था कि अगर अभी भी तुम्हें अक्ल नहीं आयी तो बाद में परिणाम भुगतोगी। लेकिन ज्योति उसके साथ वापस नहीं गई। उसके बाद राघवेन्द्र मिश्रा, गुलशन मिश्रा और रघुराई मिश्रा ने मिलकर योजना तैयार की कि जिस दिन रोहित औऱ ज्योति एक साथ मिलेंगे उनकी हत्या कर देंगे, और तीनों लोग तमंचे और कारतूस का इंतजाम करने तथा मौक़े की फ़िराक़ में लग गये।
7/जुलाई /2020 की शाम को ज्योति और रोहित को मोटरसाइकिल से जाते हुए राघवेन्द्र ने देखा। राघवेन्द्र भागता हुआ घर पहुंचा और गुलशन व रघुराई से तैयार हो जाने के लिए कहा। तीनों ने दो तमंचा व 10 कारतूस लिए और पैदल ही जाकर बम्बा के पास, जहाँ खराब रोड थी वहीं इंतजार करने लगे। जब ज्योति और रोहित वापस आते दिखे और मोटरसाइकिल की रफ्तार धीमी हुई तो ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें ज्योति को छः गोलियाँ लगीं और रोहित को एक गोली पेट में लगी। रोहित को केवल एक गोली मारने का कारण पूछा तो बताया कि उनका इरादा रोहित को अपाहिज करने का था ताकि वह जीवन भर अपने किये की सजा भुगतता रहे और पछताता रहे। पर गोली घुटने पर लगने की बजाय पेट में लग गई। इसी बीच गोलियों की आवाज़ सुनकर कुछ लोग घटना स्थल की तरफ आते दिखाई दिये जिस पर तीनो हत्यारे वहाँ से भाग निकले और तमंचों को वहीं झाड़ियों में फेक दिया, फिर तेजी के साथ भागते हुए वहीं पास स्थिति गांव में अपने घर पहुँच गए ताकि कोई शक ना कर सके।
मामले में मुक़दमा दर्ज हुआ, तफ्तीश हुई और एक हफ़्ते के भीतर ही आखि़रकार सारे सबूतों के साथ पुलिस ने दबोच कर इन तीनों हत्यारों को सलाखों के पीछे भेज दिया। वहीं दूसरी तरफ़ घायल रोहित यादव का इलाज अभी भी पीजीआई सैफई में जारी है।